केस नंबर 1 : ‘मुझे ऐसा पति चाहिए जो फेसबुक, व्हाट्सऐप जैसे डिजिटल मीडिया का एडिक्ट न हो.’ मुंबई के एक नामी अस्पताल में काम करने वाली लड़की ने अखबार में अपने लिए दिए गए वैवाहिक विज्ञापन में यह लिखा.

लड़की के परिवार के लोगों ने जब इस बारे में उस से पूछा तो वह बोली, ‘‘मैं ने अपने साथ काम करने वाली कई सहेलियों के पतियों को देखा है कि वे औफिस से आते ही अपने मोबाइल में बिजी हो जाते हैं. इस से पतिपत्नी के बीच के स्वाभाविक रिश्ते प्रभावित होने लगे हैं. हर दिन लड़ाईझगड़ा होता है.

ऐसे में मोबाइल सौतन सा दिखता है. मैं ऐसा नहीं चाहती, इसलिए मोबाइल एडिक्ट पति नहीं चाहती हूं.’’ बडे़ शहरों के वैवाहिक विज्ञापनों में अब ऐसी शर्तें लिखी जाने लगी हैं.

केस नंबर 2 : लखनऊ के परिवार परामर्श केंद्र में रेखा नामक महिला ने शिकायत दर्ज कराई कि उस के पति दिनभर मोबाइल पर व्यस्त रहते हैं. इस बात को ले कर उन का कई बार झगड़ा भी हो चुका है. एक बार गुस्से में आ कर पति ने मोबाइल तोड़ दिया. इस वजह से दोनों में मारपीट भी हुई. मोबाइल के चक्कर में उन के बीच पतिपत्नी के संबंध प्रभावित हो रहे हैं.

पति का परिवारिक बातों से कोई मतलब नहीं रह गया. औफिस से आने के बाद वे मोबाइल ले कर घर के एक कोने में बैठ जाते हैं, न किसी नातेरिश्तेदार से मिलने जाते हैं, और न किसी पड़ोसी से, मोबाइल में बस चैटिंग करते रहते हैं. इस से मैं बहुत परेशान हूं. रेखा ने परिवार परामर्श केंद्र में यह गुहार लगाई कि उस के पति को समझाया जाए, ताकि वे मोबाइल का इतना इस्तेमाल न करें.

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