फैशन डिजाइनर लीना टिपनिस ने अपनी मेहनत से यह साबित कर दिया कि मन में लगन और जज्बा हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं. रिटेल के क्षेत्र में व्यवसाय की शुरुआत करने वाली लीना 5 साल तक काम करने के बाद मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में उतरीं. उन के सेमी फौर्मल और फ्यूजन वाले परिधान देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफी लोकप्रिय हुए. उन्होंने अपनी ब्रैंड ‘लिनारिका’ 1996 में खोली, जिस के 30 स्टोर्स देशविदेश में हैं. ‘लेस इज मोर’ इस कौंसैप्ट से प्रभावित हो कर बने उन के कपड़े अधिकतर शहरी महिलाओं के लिए होते हैं. अपनी पोशाकों में उन्होंने हमेशा नैचुरल फाइबर्स को अधिक महत्त्व दिया है. उन के पिता की इच्छा थी कि वे मैडिकल की पढ़ाई करें और डाक्टर बनें, लेकिन लीना का मन मैडिकल की पढ़ाई में नहीं लगा और उसे अधूरी छोड़ कर वे फैशन के क्षेत्र में उतर गईं.

उन्होंने किसी प्रकार की ट्रैनिंग नहीं ली है. सालों की मेहनत, लगन और लोगों का उन के ब्रैंड के प्रति प्यार ही उन्हें आगे बढ़ने में मदद की है. उन से बात करना दिलचस्प था. पेश हैं, बातचीत के खास अंश:

फैशन के क्षेत्र में आने की प्रेरणा कैसे मिली?

फैशन मेरे खून में था. जब मैं 10वीं कक्षा में थी, तो मैं ने एक किताब के बीच में गारमैंट के कई ‘स्कैचैस’ बनाए थे. पिता ने जब देखा तो उन्होंने उसे उठा कर फेंक दिया. मुझे बहुत दुख हुआ, क्योंकि मैं ने बड़ी मेहनत से उसे बनाया था. वे चाहते थे कि मैं डाक्टर बनूं. मुझे मैडिकल कालेज में ऐडमिशन भी मिला, पर मैं वहां से पढ़ाई अधूरी छोड़ कर मुंबई आ गई. यहां मैं ने अपने एक दोस्त के लिए पोर्टफोलियो बनाने में हैल्प किया.

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