बच्चों को अपने साथ सुलाएं या अपने से अलग, यह एक जटिल समस्या है. आप सोचेंगी, भला यह भी कोई समस्या है. पर विश्वास मानिए, यह एक गंभीर समस्या है. आज लोग बड़ेबड़े शहरों में 1-1 कमरे में गुजारा कर रहे हैं. ऐसे में यह एक ऐसी समस्या है, जो प्रत्येक माता पिता के सामने आती है.

मां व बच्चे के लिए स्वास्थ्यवर्धक

बच्चों में शुरू से ही अलग सोने की आदत डालनी चाहिए. इस से कई लाभ होते हैं. बच्चे के अलग सोने से मां का स्वास्थ्य ठीक रहता है. मां आराम से सो लेती है. बच्चा भी पूरे बिस्तर पर करवट ले कर सो सकता है. अत: दोनों का ही स्वास्थ्य अच्छा रहता है. आए दिन डाक्टर के पास नहीं जाना पड़ता. इस के विपरीत बच्चे के मां के साथ सोने से मां को बराबर यह चिंता बनी रहती है कि कहीं बच्चे का हाथ या पैर उस के शरीर के नीचे न दब जाए.

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मां के लिए जरूरी भरपूर नींद

कभीकभी ऐसा भी सुनने में आता है कि मां के गहरी नींद में होने से मां का हाथ बच्चे के मुंह पर चला गया और बच्चे की सांस रुक जाने से मृत्यु हो गई. अत: अगर बच्चा अलग सोता है तो मां आराम से चैन की नींद सो लेती है. मां के लिए भी नींद बहुत जरूरी है. दिन भर काम करने के बाद निश्चिंत हो कर सोना आवश्यक है. लेकिन बच्चे को अलग सुलाने का मतलब यह नहीं है कि नवजात को ही अलग सुलाया जाए. ऐसा कहना या सोचना एकदम गलत है. ऐसा करना नवजात के लिए अहितकर होगा. अकसर बच्चे रात में हिलडुल कर चादर या कपड़े हटा देते हैं. अत: मां के पास सोने से मां उसे सारी रात ढके रहती है और फिर नवजात को जिस स्वाभाविक गरमी की आवश्यकता होती है वह उसे मां के शरीर से मिल सकती है. इस के अलावा इस समय बच्चे जल्दीजल्दी अपना बिस्तर गीला करते हैं. फिर उन्हें थोड़ेथोड़े समय बाद भूख लगती है. पास होने पर मां आराम से स्तनपान करा सकती है.

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