Children : बच्चों के कोमल दिमाग विभिन्न चैनल्स पर परोसी जा रही हिंसा से बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. अपने मनपसंद कार्टून कैरेक्टर्स की हरकतों को कौपी करने से बच्चों के व्यवहार में मानवीय संवेदनाओं और अच्छे गुणों की जगह उग्रता को ज्यादा स्थान मिल रहा है.

 शालिनी कौर दिल्ली के एक स्कूल में नर्सरी क्लास की टीचर हैं. उन की क्लास में 30 बच्चे हैं. उन्हीं में से 2 बच्चे अंकुर और प्रखर, उम्र 4 साल, एक दिन क्लास में एकदूसरे से खूब गुत्थमगुत्था हुए. दोनों ने एकदूसरे के बाल नोचे, नाखुनों से नोचनोच कर गाल लाल कर दिए. शालिनी ने डांट कर दोनों को अलग किया. छुट्टी के वक्त जब सारे बच्चे क्लास से बाहर जाने के लिए लाइन में लगे थे, उस वक्त अंकुर और प्रखर फिर एकदूसरे से भिड़ गए. गोरिल्ला की तरह छाती पर घूंसे मारते हुए दोनों एकदूसरे पर टूट पड़े. प्रखर ने अंकुर को जमीन पर गिरा दिया और उस पर चढ़ बैठा. क्लास के बच्चों ने शोर मचाया तो शालिनी, जो सब से आगे वाले बच्चे की उंगली थाम कर बच्चों की लाइन को बाहर ले जा रही थी, दौड़ कर पीछे क्लास में आई और दोनों को फिर डांट कर अलग किया.
शालिनी नर्सरी क्लास के इन दोनों छात्रों की हरकतें देख कर हैरान थी. अगले कुछ दिनों में भी दोनों के बीच ऐसी ही रंजिश दिखी. क्लास टीचर ने दोनों को अलगअलग बैंच पर बिठाया, मगर मौका पाते ही दोनों गोरिल्ला की तरह एकदूसरे से भिड़ जाते. आखिरकार, शालिनी को प्रिंसिपल से कह कर दोनों के मातापिता को बुलाना पड़ा. वह जानना चाहती थी कि कहीं बच्चों के मातापिता के बीच रिश्ते खराब होने या दोनों के बीच लड़ाई झगड़े आदि का असर तो उन के बच्चों के व्यवहार को उग्र नहीं बना रहा है

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