आज की भागदौड़ भरी जिन्दगी में प्रायः इंसान मानसिक तनाव से ग्रसित रहता हैं. जिस कारण उसे कई मानसिक बीमारियों के साथ ही उच्च रक्तचाप जैसी बीमारी भी अपनी जकड़ में ले लेती हैं. उक्त रक्तचाप ब्लड प्रेशर के होने और उसके निदान से संबंधित कुछ तथ्यों को बता रहे है जाने माने हृदय रोग विशेषज्ञ डा. आर.आर.सिंह.

हमारे शरीर के अंगों को खून पहुंचाने वाली धमनियां हृदय से निकलती है. इन धमनियों में प्रवाहित खून द्वारा लगाया गया दबाव ब्लड प्रेशर कहलाता हैं. ऊपर (सिस्टोलिक) तथा नीचे (डाइस्टोलिक) का ब्लड प्रेशर हृदय के संकुचन तथा विराम अवस्था से जुड़ा हुआ है. आम मनुष्य का ब्लड प्रेशर 120/80 होता हैं. शरीर में ब्लड प्रेशर का नियंत्रण गुर्दो की कार्यक्षमता पर निर्भर करता है शरीर में नमक यानी सोडियम क्लोराइड की मात्रा अधिक होने से ब्लड प्रेशर बढ़ता हैं. यदि सोडियम का शरीर से बाहर निकास घट जाये या इसका सेवन बढ़ जायें तब ब्लड प्रेशर बढ़ने की संभावना रहती हैं.

फिलहाल में प्रकाशित जे.एन.सी. के 6 के अनुसार 120/80 ब्लड प्रेशर सभी उम्र के मनुष्यों के लिए सटीक बताया गया हैं. आम तौर पर 90 प्रतिशत मरीजों में ब्लड प्रेशर का कोई मुख्य कारण नहीं होता हैं. इसे प्राइमरी हाइपरटेंशन कहते हैं. केवल दस प्रतिशत मरीजों में अधिक ब्लड प्रेशर के कारण मौजूद हो सकते हैं. जैसे गुर्दे की बीमारी, गुर्दे की धमनी में रूकावट, कोआर्कटेंशन यानी शरीर की मुख्य धमनी एओरटा में जन्मजात रूकावट, टयूमर या कभी कभी गर्भवती महिलायें.

उक्त रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) होने के संभावना बढ़ती उम्र के साथ अधिकाधिक हो जाती हैं. इसलिए 40 वर्ष की उम्र के बाद समय-समय पर इसकी जांच करवाना आवश्यक है. इस एक ही परिवार के सदस्यों में भी यह अधिक पाया जाता हैं. नमक एवं वसा युक्त भोजन का सेवन मोटापा शिथिल जीवन शैली मानसिक तनाव, मदिरापान, धूम्र पान इत्यादि में भी ब्लड प्रेशर बढ़ाने में सहायक होते हैं. चिंता का विषय है कि आज कल स्कूल जा रहे बच्चों में भी इसकी संख्या बढ़ती पायी जा रही हैं. यह प्रायः खानपान एवं मोटापे से जुड़ा हुआ हैं.

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