मणिरत्नम की फिल्म ‘रोजा’ से चर्चा में आने वाली अभिनेत्री मधु शाह ने तमिल, तेलगू, मलयालम, कन्नड़ा और हिंदी फिल्मों में काम किया है. उसकी हिंदी फिल्म ‘फूल और कांटे’ भी हिट रही, जिसमें उन्होंने अभिनेता अजय देवगन के साथ अभिनय किया था. जिसे दर्शकों ने काफी पसंद भी किया. फिल्मी माहौल में बड़ी हुई मधु तमिल परिवार की है. वे अभिनेत्री हेमामालिनी की भतीजी और जूही चावला की भाभी है. जब मधु कामयाबी की चोटी पर थीं, तो उन्होंने अपने प्रेमी आनंद शाह से शादी कर ली थी और दो बेटियां अमेया और केया की मां बनी.
उनका पारिवारिक जीवन सुखद होने के बावजूद, मधु का फिल्मों में काम करने की इच्छा बनी रही और उन्होंने दक्षिण की फिल्मों से काम की दुबारा शुरुआत की. अभी उन्हें स्टार प्लस के धारावाहिक ‘आरंभ’ में महारानी की भूमिका निभाने का मौका मिला है. वे बहुत खुश हैं, इस मौके पर उन्होंने हमसे अपने जीवन के कई पहलुओं पर बातचीत की. पेश है इस खास बातचीत के कुछ अंश.
प्र. टीवी की ओर आना कैसे हुआ? किस बात से आप प्रभावित हुई?
मुझे इसके निर्देशक गोल्डी बहल ने कहा कि वीकेंड शो है, इसके काम के लिए महीने में 7 दिन ही लगेंगे. इस शो की कहानी ने मुझे प्रेरित किया. इसमें मैं महारानी की भूमिका निभा रही हूं, जिसके कई शेड्स है. इसके अलावा ये समय मेरे लिए खास है, क्योंकि इससे पहले भी कई ऑफर आये, पर मैं महीने में 20 दिन काम नहीं कर सकती थी, क्योंकि मेरा परिवार है. इसलिए मुझे ये सही लगा. इस शो की शूटिंग फिल्म की तरह बड़े अंदाज में हो रही है, इसलिए ज्यादा सोचना नहीं पड़ा.
वैसे तो आज टीवी की ऑडियंस करोड़ों में है, इससे मैं हर घर में पहुंच सकती हूं. असल में मैंने काफी सालों से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ा हुआ है और मैं दक्षिण में कार्यरत हूं. अब इसकी वजह ये नहीं कि मैं काम करना नहीं चाहती. मुझे वैसा काम नहीं मिला जिसकी मुझे चाहत है,कई अच्छे डिरेक्टर ने मुझे काम के लिए बुलाया, लेकिन वे मेरा ऑडिशन लेना चाहते हैं, जो मुझे पसंद नहीं. यहां मुझे कुछ ऐसा नहीं करना पड़ा. शायद उन्हें मुझपर विश्वास है कि मैं इस चरित्र को अच्छी तरह से कर सकती हूं. ऐसे में इस शो के द्वारा मेरी पहचान फिर से बनेगी. बस इसी बात से मैं उत्साहित हुई और इस शो से जुड़ गयी.
प्र. इस चरित्र में तैयार होने के लिए आपको कितना घंटा देना पड़ता है?
इस गेटअप के लिए मुझे दो घंटे देने पड़ते हैं. पूरी क्रिएटिव टीम के अनुसार तैयार होना पड़ता है. इसमें ‘स्किन टोन’ से लेकर सब कुछ कहानी के अनुसार करना पड़ता है. बॉडी पेंटिंग करनी पड़ती है. सबसे अधिक इसकी चुनौती यही है कि इसे पहनकर मुझे सेट पर 10 से 12 घंटे बैठना पड़ता है. थोड़ी देर बाद एक-एक चीज चुभने लग जाती है. इसके बाद अगर दर्शक मेरे काम को पसंद कर लेंगे, तो उससे बड़ी खुशी मेरे लिए कुछ भी नहीं है.
प्र. इतने सालों तक इंडस्ट्री से दूर रहकर आपने अपने प्रसिद्धी, पॉपुलैरिटी और स्टारडम को कितना ‘मिस’ किया है?
मुझे इस बात से खुशी है कि दर्शकों ने मुझे भुलाया नहीं है और मुझे आज भी वे देखना चाहते है. यही वजह है कि मुझे टीवी पर काम मिला, लेकिन यहां ये कहना जरुरी है कि जब मैंने काम छोड़ा और शादी की, तो शुरू-शुरू में ‘मिस’ नहीं किया, क्योंकि मैं 5 भाषाओं में काम करते-करते थक चुकी थी. इसके अलावा फिल्मों की क्रिएटिविटी से भी मैं असहज होने लगी थी. दक्षिण में कुछ अच्छी फिल्में थीं, लेकिन हिंदी में एक ही तरह की फिल्में बनने लगी थी.
बड़े स्टार के साथ केवल रोमांटिक दृश्य करने का ही मौका मिल रहा था. मैं दक्षिण से लेकर उत्तर तक काम कर परेशान हो चुकी थी. ऐसे में मुझे आनंद मिला, प्यार हुआ और शादी की. बच्चे हुए और करीब 5 साल बाद ही मैं इंडस्ट्री को ‘मिस’ करने लगी. बच्चे उस समय छोटे थे ,मैं उन्हें छोड़ नहीं पाई, लेकिन अब पिछले 4 सालों से दक्षिण में, मैं काम कर रही हूं. ये सही है कि प्रसिद्धी, पॉपुलैरिटी, स्टारडम एक ऐसी चीज है, जो एक बार मिल जाने पर, फिर उसे भुलाना आसान नहीं होता है. इसलिए कई बार इसे न पाने पर कलाकार मानसिक रूप से बीमार हो जाते है. मैं अपने पारिवारिक जीवन और फ्रेंड्स से बहुत खुश हूं, लेकिन स्टारडम फिर से अगर मिल जाए तो और भी अच्छा लगेगा.
प्र. क्या आपके बच्चों ने आपकी फिल्मों को देखा है?
नहीं, वे मेरी फिल्में देखना पसंद नहीं करते. अभिनेता मिठुन चक्रवर्ती के साथ एक फिल्म में मुझे मार दिया जाता है, जिसे देखकर मेरी छोटी बेटी दुखी हो गयी. बड़ी बेटी को भी मेरी रोमांटिक दृश्य कभी पसंद नहीं आते. उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं कि मैं किसी हीरो के साथ रोमांस करूं. एक ‘रेप सीन’ और ‘मर्डर’ को देखकर वे दोनों परेशान हो गए थे . इसलिए मैं उन्हें इन सबसे दूर रखती हूं, लेकिन अब उन्हें मेरा काम पसंद है. वे इस धारावाहिक में मुझे नये सिरे से काम करते हुए देखेंगे.
प्र. टीवी और फिल्मों में क्या अंतर पाती है?
मुझे काफी लोगों ने टीवी पर काम न करने की चेतावनी दी थी, क्योंकि टीवी पर दुगुनी रफ्तार से जल्दी-जल्दी काम होता है. इसलिए भी मैंने टीवी से अपने आपको दूर रखा, लेकिन निर्माता गोल्डी बहल के सेट पर फिल्मों के जैसे माहौल का एहसास हो रहा है. मैं अपने हिसाब से ही काम कर रही हूं. आज के टीवी कलाकार अभिनय के हिसाब से अच्छा काम करते हैं. अब सारी बातें इंडस्ट्री में बदल गयी है. असल में एक्टिंग एक अनुभव को महसूस करने जैसा है. अब मैं टीवी भी देखती हूं.
प्र. आज मीडिया हर छोटी-बड़ी चीज को दिखाती है,जिसे लेकर कुछ लोगों को नाराजगी भी रहती है, क्या पहले या आज आपको ऐसा कभी अनुभव हुआ है?
मीडिया हर किसी को प्रसिद्ध बनाकर रखता है. आज कुछ न करते हुए भी लोग मुझे जानते है, क्योंकि फोटो छपते रहते हैं. मैं इन सभी के प्रति आभार व्यक्त करती हूं. नकारात्मक बात ये है कि वे आलोचना भी करते हैं. इसका कुछ नहीं किया जा सकता. 90 के दशक में मेरी फिल्म ‘फूल और कांटे’ जितनी चर्चा में आई थी, अगर आज की मीडिया होती तो मुझे 10 गुना अधिक पॉपुलैरिटी मिलती. उस समय लोग आपको केवल परफोर्मेंस के आधार पर जानते थे. मैं भी उसे ही अधिक मानती थी, लेकिन आज मीडिया का किसी को भी आगे करने में बहुत बड़ी हाथ होता है.
प्र. क्या आपको जीवन में किसी प्रकार का मलाल रह गया है?
अच्छी फिल्में करने की इच्छा है. आज हर कलाकार को अभिनय करने का मौका है. टीवी, वेब सीरीज, शोर्ट फिल्म्स आदि कई आप्शन हैं, जहां वे अपने मन मुताबिक काम कर सकती हैं. मुझे खुशी है कि मैं इस समय फिर से काम कर रही हूं.
प्र. इंडस्ट्री में दोस्ती बड़ी क्षणिक होती है, क्या आप इस बात को मानती हैं? आप की दोस्ती शुरू से लेकर अब तक किसी से रही है?
ये सही है, क्योंकि यहां सब मतलब के लिए दोस्त बनते हैं. इसमें मैं अपने आप को भी शामिल करती हूं, लेकिन दक्षिण में मेरे कई अच्छे दोस्त है. रमैया कृष्णन, खुशबू, डांस मास्टर वृंदा आदि मेरे बहुत पक्के दोस्त हैं.
प्र. आपकी सफलता में किसका हाथ मानती हैं?
सफल होने के लिए मेहनत तो है ही, पर मैं ‘लक’ को नहीं मानती. सबसे अधिक महत्वपूर्ण मैं शालीनता को समझती हूं. कई बार खराब मेकअप भी अच्छा लगने लगता है. मेरा परिवार मेरे रास्ते में कभी भी नहीं आया. मैंने जो चाहा, हमेशा मुझे करने दिया. शादी के बाद भी मेरी सास और मेरे पति का हमेशा मुझे सहयोग रहा है. वे भी चाहते हैं कि मैं अपने पसंद का काम करूं.