चटपटी बातों और लटकोंझटकों से सब को हंसाने वाली ‘कौमेडी नाइट्स विद कपिल’ टीवी कार्यक्रम में बूआ का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री उपासना सिंह 26 वर्षों से टैलीविजन सीरियल्स, बौलीवुड और पौलीवुड में अभिनय कर रही हैं. उन में सब से बड़ी खासीयत यह है कि चाहे वे कितनी भी व्यस्त हों, त्योहार अपने परिवार के साथ ही मनाती हैं. एक मुलाकात में उन्होंने बताया कि किस तरह से उन्होंने अपने अभिनय के लंबे सफर को तय किया और त्योहारों खासकर दीवाली में क्याक्या करती हैं खास.

कौमेडी का सफर कैसे शुरू हुआ?

राजस्थानी फिल्म करने के बाद कई और फिल्मों के औफर आए, मैं ने उन में अभिनय किया, सब में मुख्य भूमिका थी. वही नाचगाना, रोमांटिक भूमिका. लोग मुझे लेडी अमिताभ या फिर राजस्थान की मीना कुमारी कहा करते थे. ऐसे में डेविड धवन ने फिल्म ‘लोफर’ के लिए रोल औफर किया. मेरे कोस्टार शक्ति कपूर थे. मुझे अलग भूमिका निभानी थी. मैं ने हां कह दी. लोफर की कौमेडी सब को बेहद पसंद आई. हालांकि डेविड धवन और शक्ति कपूर ने काफी सहयोग दिया था. इस के बाद ‘जुदाई’ फिल्म मिली जिस में मेरा डबल रोल था-मां और बेटी का, जिस का डायलौग ‘अब्बा, डब्बा, जब्बा’ बहुत प्रसिद्ध हुआ.

मुंबई कैसे आना हुआ? कितना मुश्किल था नए शहर में ऐडजस्ट करना?

वैसे तो मैं पंजाब की हूं, पर मैं और मेरी बहन ने चंडीगढ़ होस्टल में रह कर पढ़ाई की है क्योंकि मेरी मां वहां जौब करती थीं. वहीं से मैं ने रेडियो और दूरदर्शन पर काम करना शुरू कर दिया था. 12 वर्ष की उम्र में मैं ने ‘चित्रलेखा’ नाटक किया. मैं ने ड्रामा में मास्टर्स की शिक्षा हासिल की है. मां चाहती थीं कि मैं डाक्टर बनूं पर मुझे अभिनेत्री बनना था. स्टडी के दौरान ही मैं ने राजस्थानी फिल्म की, जो हिट रही. जब काम मिलने लगा तो मुंबई आने की बात हुई. मां ने अपने जेवर बेच कर मिले पैसों से मुझे मुंबई में फ्लैट खरीद कर दिया. मेरी कामयाबी में मेरी मां और बहन का हाथ है. मेरे रिश्तेदार कहा करते थे कि फिल्म गंदी लाइन है, बेटी को मत भेजो पर मां का मुझ पर विश्वास था, मैं ने पढ़ाई और फिल्म दोनों साथसाथ की हैं.

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