15 वर्ष की उम्र से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखने वाली अभिनेत्री मृणाल कुलकर्णी ने हिंदी और मराठी धारावाहिकों व फिल्मों में काम कर अपनी अलग पहचान बनाई है. स्वभाव से नम्र, हंसमुख और मृदुभाषी मृणाल ने मराठी फिल्म ‘रमा माधव’ में पहली बार निर्देशन कर काफी प्रशंसा बटोरी है. वे हिंदी फिल्म का भी निर्देशन करना चाहती हैं. उन्हें हर वह फिल्म अच्छी लगती है जिसे करने में उन्हें अलग अनुभव हो. उन से मिल कर बात करना दिलचस्प था, पेश हैं खास अंश :

दीवाली आप कैसे मनाती हैं?

महाराष्ट्र में दीवाली 5 दिनों की होती है. मराठी संस्कृति में दीवाली जोरशोर से मनाई जाती है. मैं हर दिन को अपने परिवार के साथ मनाना चाहती हूं. बचपन में जब मैं पुणे में थी तो दीवाली की रौनक 1 महीने पहले से दिखाई पड़ती थी. मेरी मां घर की साजसज्जा के अलावा मिठाइयां भी बनाती थीं. नए कपड़े पहनना, उस की तैयारियां करना सबकुछ बड़ा ही अलग हुआ करता था, अब मुंबई में काम करते हुए दीवाली कम मना पाती हूं. कई बार शूटिंग के लिए बाहर जाना पड़ता है पर इस बार मुझे थोड़ा समय मिलेगा क्योंकि फिल्म ‘रमा माधव’ के बाद थोड़े दिनों का बे्रक लिया है और अपने परिवारजनों के साथ दीवाली मनाना चाहती हूं.

दीवाली में सब से अच्छा क्या लगता है?

आपसी मेलमिलाप. पहली बात तो यह है कि आजकल हम काम में इतने व्यस्त रहते हैं कि एकदूसरे को मेल, मैसेज या वाट्सऐप पर याद करते हैं. इसी बहाने हम समय निकाल कर एकदूसरे की खुशियों में शामिल होते हैं. जब हम काम करते हैं, परिवार के लिए वक्त नहीं होता. दीवाली में हमें जाना जरूरी होता है. इस के अलावा दीवाली के पटाखे बहुत अच्छे लगते हैं.

कितना पहले से तैयारियां करती हैं?

मुंबई में अधिक तैयारियां नहीं करती, पुणे में मेरे घर पर महीनों पहले से दीवाली की सजावट, सफाई, रंगरोगन शुरू हो जाता था. मैं हमेशा अपने घर की सजावट के लिए खूब सारे फूल, डैकोरेटिव पीस आदि इस्तेमाल करती हूं जिस से घर आम दिनों से अलग दिखे. ये सारी वस्तुएं मैं समयसमय पर खरीदती रहती हूं. इस के अलावा दोस्तों और परिवारजनों को बुलाती हूं.

दीवाली की कौन सी बात आप को पसंद नहीं?

दीवाली में पौल्यूशन बढ़ता है जिस से कई लोगों  की सांस की बीमारी बढ़ जाती है. यह मुझे अच्छा नहीं लगता. त्योहारों को खुशी से मनाना चाहिए. मैं इन 5 दिनों की दीवाली में अपनी खुशी को खोजती रहती हूं.

किस तरह के परिधान पहनती हैं?

मुझे साड़ी सब से अधिक पसंद है इसलिए दीवाली के सभी दिन मैं सिल्क की अलगअलग साडि़यां पहनती हूं. महाराष्ट्र की पैठनी सिल्क मुझे बहुत पसंद है.

दीवाली के बाद की थकान को कैसे दूर करती हैं?

थकान नहीं होती बल्कि आगे काम करने की इच्छा बढ़ती है. आजकल फोन के द्वारा सबकुछ मंगवाया जा सकता है. परिवारजन और दोस्त जब मिलते हैं तो खुशी बढ़ती है.

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