सरकारी अफसरी के मजे लेने हैं जनाब तो अपने मातहत बाबुओं पर चुनिंदा नुसखे आजमाइए, फिर देखिए, कैसे ये कामचोर, चापलूस और भ्रष्ट बाबू ‘पग घुंघरू बांध’ आप के इशारे पर ताताथइया करते नजर आते हैं.
अगर आप भारत की प्रथम श्रेणी सेवा में भरती हुए हैं और शीघ्र ही आप को किसी कार्यालय का कार्यभार मिलने वाला है तो आप को सफलतापूर्वक कार्यालय संचालित करने व अपने मातहतों से निष्ठापूर्वक इच्छित कार्य करवाने के कुछ उपाय बताए जा रहे हैं. इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़ें और उन पर अमल करें. आप एक सफल अधिकारी सिद्ध होंगे और 10 साल की सेवा के बाद आप को श्रेष्ठ अधिकारी का मैडल व 15 साल की सेवा के बाद अति विशिष्ट अधिकारी का मैडल मिल जाएगा.
सर्वप्रथम कार्यभार संभालते ही आप एक गोष्ठी आयोजित करें और उस में सभी से अकड़ कर बात करें. यह सिद्ध करने का प्रयत्न करें कि आप बहुत ही ईमानदार, कठोर व अनुशासित अधिकारी हैं. कार्यालय में किसी प्रकार की कामचोरी, भ्रष्टाचार व अनुशासनहीनता आप बरदाश्त नहीं करते. कार्य में लापरवाही बरतने के लिए आप कर्मचारी को निलंबित ही नहीं करते बल्कि त्वरित कार्यवाही कर के उसे बरखास्त भी कर देते हैं.
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धीरेधीरे आप कर्मचारियों और कनिष्ठ अधिकारियों के चरित्र का अध्ययन करें. आप के पदभार ग्रहण करते ही कुछ चाटुकार, कामचोर, भ्रष्ट और बौस के प्रति सेवाभाव वाले कर्मचारीअधिकारी आप के इर्दगिर्द गुड़ के ऊपर मक्खी की तरह मंडराने लगेंगे. ये प्रथम श्रेणी के कर्मचारी होते हैं. उन से आप को होशियार होने की आवश्यकता नहीं है, बस उन के गुणों को पहचानने की आवश्यकता है. वे आप के प्रत्येक व्यक्तिगत कार्य के लिए सब से उपयुक्त प्राणी हैं. वे कार्यालय का कार्य भले ही न करते हों, अधिकारी के व्यक्तिगत कार्य पूरी निष्ठा, लगन और अनुशासन से करते हैं. प्रत्येक कार्यालय में ऐसे 10 से 20 प्रतिशत कर्मचारी होते हैं.
अब हम प्रथम श्रेणी के ऐसे कर्मचारियों की चर्चा विस्तार से करते हैं. इस किस्म के कर्मचारी या कनिष्ठ अधिकारी कभी समय पर कार्यालय नहीं आते और कार्यालय में आने के बाद भी कभी अपनी सीट पर नहीं मिलते. उन का प्रिय स्थान होता है कार्यालय की कैंटीन या जाड़े के दिनों में बाहर के खूबसूरत, हरेभरे लौन, जिन पर पसर कर ये मूंगफली चबाते हैं या ताश के पत्ते फेंटते दिखाई पड़ते हैं. उन को बौस कभीकभार ही ढूंढ़ता है, जब उसे कोई अपना व्यक्तिगत कार्य करवाना होता है, वरना वे खुले सांड़ की तरह सड़क पर विचरती खूबसूरत और कमसिन गायों को ताकते रहते हैं.
एक सक्षम अधिकारी के नाते आप इस श्रेणी के कर्मचारियों से निम्न प्रकार के कार्य करवा सकते हैं :
- कर्मचारियों की योग्यता पहचान कर उन्हें भिन्नभिन्न कार्यों में लगा सकते हैं, जैसे बच्चों को स्कूल छोड़ना और लाना, बाजार से खाद्य सामग्री व घरेलू सामान की खरीदारी, नातेरिश्तेदारों के बच्चों को स्कूलकालेज में ऐडमिशन दिलवाना, यात्राटिकट करवाना, अतिथियों के लिए गेस्टहाउस आदि का प्रबंध करना, बौस के दौरे पर खानेपीने की व्यवस्था से ले कर वातानुकूलित गाड़ी का प्रबंध आदि करना. प्रथम श्रेणी के कर्मचारी इन कार्यों को विधिवत व पूरी कर्मण्यता के साथ पूरा करते हैं.
- आप को जमीन खरीद कर उस पर मकान बनवाना है तो ऐसे कर्मचारी आप के बड़े काम आएंगे. आप को कुछ करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. बौस के व्यक्तिगत कार्य करवाने की उन में इतनी क्षमता होती है कि प्रौपर्टी डीलर और रजिस्ट्रार स्वयं आ कर आप के कार्यालय में आप के प्लौट या फ्लैट की रजिस्ट्री कर जाएंगे.
- मकान बनवाने के लिए नक्शा बनवाने से ले कर, ठेकेदार से बात करने और भवन सामग्री का प्रबंध करने तक का सारा कार्य वे बहुत आसानी और सुविधा से कर देते हैं. आप को भवन निर्माण के अंतिम चरण तक कहीं जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती. बस, निर्माण की गति और गुणवत्ता देखने के लिए कभीकभार अवश्य पधार सकते हैं.
- गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से वे बौस के विदेश जाने के कार्यक्रम भी बनवा देते हैं. संबंधित अधिकारी से फाइल को त्वरित गति से हरी झंडी दिलवा कर बौस को विदेश भेज देते हैं.
- पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसैंस, पैन कार्ड आदि तुरंत बनवा देते हैं.
- बेगम को खरीदारी करनी हो तो उन्हें साथ भेज दीजिए, सारी खरीदारी मुफ्त हो जाती है, आप की बचत हो जाती है.
- किसी एक विश्वसनीय कर्मचारी को आप बहुत ही गोपनीय कार्य के लिए चुन सकते हैं, जैसे आप के लिए सुविधाशुल्क वसूलने का कार्य. इस कार्य में वे इतनी ईमानदारी बरतते हैं कि आप के कान को भी भनक नहीं लगने देते और सारा माल आप के बताए हुए निर्दिष्ट स्थान तक पहुंच जाता है.
- आप के घर में कोई सगासंबंधी आए तो उसे घुमानेफिराने के लिए आप परेशान न हों, बस उन्हीं में से किसी कर्मचारी को लगा दें. वह आप के रिश्तेदार को आप से भी बड़ा बौस मान कर नगर के सभी स्थलों का भ्रमण मुफ्त में करवा देगा, अच्छे से अच्छे रेस्तरां में भोजन करवा देगा और आप की जेब से एक कौड़ी भी खर्च नहीं होगी.
- ऐसे कर्मचारी बिना किसी स्वार्थ के होलीदीवाली आप के परिवार के सभी सदस्यों के लिए महंगेमहंगे उपहार लाते हैं, इसलिए आप इन की सदैव प्रशंसा करते रहें.
- चूंकि ऐसे कर्मचारी आप के सारे व्यक्तिगत कार्य करवाते हैं, इसलिए उन को हमेशा प्रोत्साहित करते रहें. समयसमय पर उन को नकद इनाम के साथसाथ श्रेष्ठतम कर्मचारी का प्रमाणपत्र भी देते रहें. अवधि होने पर सरकार से उन के लिए पदक की अनुशंसा करें. 15 अगस्त और 26 जनवरी पर सरकार प्रतिवर्ष इस प्रकार के कर्मचारियों और अधिकारियों को पदक देती है.
- ऐसे कर्मचारी बिना अस्पताल में भरती हुए, कुछ लाइलाज बीमारियों का इलाज करवाने के मैडिकल बिल हर महीने जमा करते हैं, आप आंख मूंद कर उन को पास कर दें, अन्यथा वे वास्तव में बीमार पड़ जाते हैं. ऐसी स्थिति में आप के सभी आवश्यक कार्य रुक सकते हैं.
वहीं, दूसरी श्रेणी के कर्मचारी और कनिष्ठ अधिकारी वे होते हैं जो सरकारी काम के प्रति पूरी तरह से समर्पित होते हैं. वे घुग्घू प्रकार के जीव होते हैं जो बिना किसी व्यक्तिगत स्वार्थ के मन लगा कर, पूरी ईमानदारी, निष्ठा और लगन से कार्यालय का काम करते रहते हैं और हमेशा डांट खाते रहते हैं. आप उन को अच्छी तरह पहचान लीजिए और उन से ज्यादा से ज्यादा काम करवाने के लिए आप निम्नलिखित उपायों को उपयोग में लाएं ?:
इस प्रकार के कर्मचारी और अधिकारी चाहे जितना ही अच्छा और साफसुथरा कार्य करें, आप उन के अच्छे कार्य की कभी तारीफ न करें, वरना वे गरूर में आ जाएंगे और यह समझ कर कि आप उन के ऊपर निर्भर करते हैं, वे कार्य के प्रति कोताही, लापरवाही और ढीलापोली करने लगेंगे.
आप ऐसे कर्मचारियों और कनिष्ठ अधिकारियों को कार्य में लापरवाही बरतने के लिए हमेशा डांटते रहें. कार्य अगर समय से पहले भी कर के दे दें, तब भी आप उन से कहें कि कार्य में देरी क्यों लगाई? उन को डांटने का काम आप प्रथम श्रेणी के कर्मचारियों के सामने करें.
ऐसे कर्मचारियों या कनिष्ठ अधिकारियों को कभी भी आप अपने सामने कुरसी पर बैठने के लिए न कहें, चाहे आप के सामने उन से छोटा कर्मचारी आप का व्यक्तिगत कार्य करने के लिए बैठा हो. इस से उन के मन में हीनभावना आएगी और भविष्य में अधिक अनुशासन के साथ आप के समक्ष पेश होंगे.
कभी कभी उन को डराने के लिएज्ञापन भी देते रहें और उन पर अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की धमकी भी देते रहें. ज्ञापन के प्रत्युत्तर पर चेतावनी अवश्य दें.
इस प्रकार के जीव से आप कभी भी सीधे मुंह बात न करें. चूंकि वे अनुशासित और कार्य के प्रति समर्पित जीव होते हैं, उन को कार्य करने के अतिरिक्त और कुछ नहीं आता, इसलिए आप को खुश रखने के लिए वे और अधिक ईमानदारी से कार्य करते हैं. उन के ही कारण कार्यालय का काम कभी अधूरा नहीं रहता, परंतु उन को इस बात का एहसास न होने दें, वरना वे काम करना बंद कर देंगे.
ऐसे कर्मचारियों को सदैव किसी न किसी काम में उलझाए रखें. काम न हो, तब भी उन्हें कोई न कोई काम देते रहें, जैसे फाइलों में पृष्ठ संख्या डालें, पुरानी फाइलों के कवर बदलें, नष्ट करने वाली पुरानी फाइलों की सूची बनाएं आदि. कार्यालय में बहुत से ऐसे निरर्थक कार्य होते हैं जिन में घुग्घू टाइप के कर्मचारियोंअधिकारियों को आप उलझाए रख सकते हैं और वे पिद्दी की तरह यह सोच कर खुश होते हैं कि बौस उन के ऊपर बहुत अधिक भरोसा करते हैं, इसलिए हर प्रकार के छोटेबड़े काम उन्हीं से करवाते हैं. उन को यह नहीं मालूम पड़ता कि बौस उन का शोरबा बना कर धीरेधीरे चुस्की ले कर पी रहे हैं.
ऐसे कर्मचारियों से निरर्थक कार्य करवाने व उन्हें व्यस्त रखने का लाभ यह होता है कि उन्हें कभी यह सोचने का मौका नहीं मिलता कि उन का शोषण किया जा रहा है.आप स्वयं किसी मामले में कोई फैसला न लें, ऐसे में आप पर कोई जिम्मेदारी आ सकती है. इसलिए ऐसे मामलों को घुमा कर कनिष्ठ अधिकारी की मेज पर लौटा दें और कुछ ऐसी जानकारियां मांग लें, जिन का उत्तर देने में कनिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी को अत्यधिक समय लग जाए और तब तक मूल प्रश्न ही दब कर रह जाए या उस की प्रासंगिकता समाप्त हो जाए.
भूले से भी कभी ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों को कोई पारितोषिक, इनाम या श्रेष्ठता का प्रमाणपत्र न दें, बल्कि उन की वार्षिक रपट में भी कभी उत्तम या श्रेष्ठ कर्मचारी की श्रेणी न दें. उन को बस औसत श्रेणी ही दें, या अधिकतम देना ही पड़े तो ‘अच्छा’ की श्रेणी से अधिक न दें.
ऐसी श्रेणी के कर्मचारीअधिकारी कभीकभी किसी के उकसाने पर अगर कोई प्रतिवेदन देते हैं कि उन से अत्यधिक कार्य लिया जाता है या काम के अनुरूप उन को प्रोत्साहन नहीं दिया जाता तो उस पर कभी विचार न करें और अगर करें भी तो उस पर ‘विश्वसनीय नहीं’ की टिप्पणी के साथ बंद कर दें. साथ ही, भविष्य में अनुशासित और सावधान रहने की चेतावनी दे कर व्यक्तिगत पंजिका में दर्ज भी करवा दें. प्रतिवेदन देने वाला कर्मचारीअधिकारी भविष्य में भूल कर भी अपने प्रति किसी ज्यादती की शिकायत नहीं करेगा. ऐसे कर्मचारियों को कभी अवकाश न दें. मन मार कर देना भी पड़े तो आवश्यकता से कम अवकाश दें, ताकि वे हमेशा दबाव में रहें और आप का हर जायजनाजायज कहना मानते रहें.
मुझे विश्वास है कि अगर आप ने उपरोक्त सुझावों पर अमल किया तो आप एक अनुशासित और ईमानदार अधिकारी के रूप में प्रतिष्ठित हो जाएंगे और फिर आप के खिलाफ कोई सांस लेने की जुर्रत भी नहीं कर पाएगा. तब आप मनमाने ढंग से सरकारी कार्यों को उलटापुलटा कर के बेहिसाब ‘कमाई’ कर सकते हैं. तुलसीदासजी डंके की चोट पर कह गए हैं कि ‘भय बिनु प्रीत न होय गुसाईं’ अर्थात आप अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को डरा कर रखेंगे, तभी वे आप का सम्मान करेंगे.हमारे बुजुर्गों के अनुभवों से लाभ उठाएं और एक सफल अधिकारी बन कर दिखाएं.