आप सोना चाहते हैं, लेकिन दिमाग कहीं भटक रहा है. नींद न आने पर मजबूर हो कर आप अपने दोस्त से चैटिंग करने लगते हैं या बेमतलब फेसबुक अथवा यू ट्यूब पर कोई वीडियो देखने लगते हैं. सोने की कोशिश करने की जगह आप सोशल मीडिया से चिपक जाते हैं. नींद न आने की यह बीमारी अनिद्रा कहलाती है. जीवनशैली से संबंधित रोग सभी को प्रभावित करते हैं और इन में हाइपरटैंशन, तनाव, डिप्रैशन, अनिद्रा आदि शामिल हैं.
नींद न आने की समस्या
दरअसल, जरूरत से ज्यादा काम करने से दिमाग व शरीर के थकने, जल्दबाजी में खाना खाने और जंग फूड पर ज्यादा निर्भरता से लाइफस्टाइल में इस तरह की गड़बडि़यां पैदा होती हैं. अनिद्रा कई कारणों से मनुष्य पर प्रभाव डाल सकती है. यह व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक सेहत को खराब कर सकती है.
एक अध्ययन के अनुसार अमेरिका में 30 से 40 फीसदी वयस्क नींद न आने की बीमारी से पीडि़त हैं, जबकि 10 से 15 फीसदी वयस्कों को यह समस्या अपने परिवार से विरासत में मिलती है. भारत में 1 करोड़ से ज्यादा लोग नींद न आने की समस्या से पीडि़त हैं.
इस का सब से प्रमुख कारण यह है कि हर व्यक्ति ज्यादा पैसा कमाना चाहता है, इसलिए वह देर रात तक औफिस में रुकता है. उसे पार्टी भी करनी है. इसलिए वह औफिस के बाद पार्टी भी अटैंड करता है. आज उस की जिंदगी में हर चीज परफैक्ट है, पर एक चीज लापता है और वह है नींद.
जीवन पर गहरा प्रभाव
बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि हमारे दिमाग में एक सोने की और एक जागने की साइकिल होती है. अगर स्लीप साइकिल वर्किंग मोड में होती है तो वैकअप साइकिल औफ रहती है, क्योंकि यह तब प्रभावी होती है जब स्लीप साइकिल काम करना बंद कर देती है. इसलिए जब कोई अनिद्रा से ग्रस्त होता है तो उस के बायोलौजिकल सिस्टम में दोनों साइकिल एक ही साइड पर काम करती हैं. सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली नींद न आने की यह आदत जीवन पर काफी गहरा प्रभाव डालती है. इस से किसी भी व्यक्ति को सोने में काफी परेशानी होती है, जिस से उस की ऐनर्जी में कमी आती है, उस का मन किसी एक जगह नहीं लगता. मूड लगातार बदलता रहता है. इस के साथ ही उस की परफौर्मैंस पर भी प्रभाव पड़ता है.
कितनी जरूरी है नींद
नींद न आने की समस्या से पीडि़त अधिकांश लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कई परेशानियों का सामना करते हैं. नींद न आने से लोग तनावग्रस्त रहते हैं, मनोवैज्ञानिक परेशानी महसूस करने लगते हैं. उन्हें बहुत जल्दी गुस्सा आता है. उन का दिमाग ठीक ढंग से काम नहीं करता. कुछ लोग देर तक औफिस में ठहरते हैं. वह एक ही चेयर पर बैठेबैठे देर तक काम करते हैं, जिस से उन की रीढ़ की हड्डी में दर्द होने लगता है और वे कमर दर्द के भी शिकार हो जाते हैं.
अगर नींद न आने की समस्या 3-4 हफ्तों से ज्यादा समय तक रहती है, तो उस व्यक्ति को डाक्टर से संपर्क करना चाहिए. कुछ लोग नींद न आने का इलाज कराने से भी डरते हैं, क्योंकि वे सोचते हैं कि इस बीमारी की दवा लेने के साइड इफैक्ट झेलने पड़ेंगे, लेकिन इस बीमारी को कुदरती इलाज से भी ठीक किया जा सकता है. हम सभी के लिए 8 घंटे की भरपूर नींद चाहिए. नींद हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी है.
क्या करें
यदि आप को नींद न आने की बीमारी हो, तो आप घर में इस उपाय को आजमा सकते हैं-
-सोने से पहले गरम पानी से स्नान करें. यह एक ऐक्सरसाइज की तरह होगा. गरम पानी से नहाने के बाद बैड पर जाते ही आप को नींद आ जाएगी.
-दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद आप को अपने मांसपेशियों को आराम देने और अच्छी नींद लेने के लिए अपने शरीर को कूलडाउन करने की जरूरत होती है. इस के लिए आप किसी टब या बालटी में कुनकुने पानी में अपने पैरों को डुबो कर रख सकते हैं.
-अपने शरीर की मांसपेशियों एवं ऊतकों को आराम देने के लिए आप 1 चम्मच एप्सौम साल्ट या डैड सी साल्ट को पानी में डाल सकते हैं. फुट बाथ आप की त्वचा को बैक्टीरिया से बचाता है और दिन भर की थकान से हुए पैरों के दर्द को भी कम करता है. उस गरम पानी में आप कुछ आवश्यक तेल भी डाल सकते हैं, जिस से रिलैक्स होने में मदद मिलती है. नींद न आने के रोग में कई तेल भी काफी फायदेमंद होते हैं. आप तुलसी का तेल, देवदार का तेल, लैवेंडर तेल, रोजमैरी औयल, विंटर ग्रीन औयल आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं. आप को किसी भी तेल की 1-2 बूंदें पानी की बालटी में डालनी है.
घरेलू उपचार
वैज्ञानिकों का कहना है कि लैवेंडर के तेल से मालिश करने से यह तेल लगाने के 5 मिनट के भीतर ही शरीर की कोशिकाओं में पहुंच जाता है. इस तेल का शांत प्रभाव नींद न आने की बीमारी से बचाता है. इस की सुगंध सीधे दिमाग तक पहुंचती है और तेल के वाष्पीकृत भीतरी तत्त्व सीधे सांस में प्रवेश करते हैं.
अगर सोने जाने से पहले गरम पानी से नहाने का समय नहीं है तो कुनकुने पानी में अपने पैर डाल कर बैठ जाएं. दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद यह रिलैक्स करने का बेहतरीन तरीका है. इस उपाय से स्किन हाइड्रेट होती है, मांसपेशियां ढीली पड़ती हैं. इस से रिलैक्स होने में मदद मिलती है, जिस से बिस्तर पर लेटते ही नींद आ जाती है.
– डा. नरेश अरोड़ा, चेस अरोमाथेरैपी कौस्मैटिक्स




 
  
  
  
             
        




 
                
                
                
                
                
                
                
               