जो आंखें कभी सैक्सुअल डिजायर का सब से मजबूत माध्यम हुआ करती थीं अब उस की जगह फिट और टोंड बौडी ने ले ली है. चुस्त बौडी और वैल टोंड फिगर से युवतियों में सैक्स अपील बढ़ती है. युवतियों में बौडीबिल्डिंग व फिजिकल फिटनैस का क्रेज इन दिनों काफी बढ़ा है. युवतियां फिटनैस के लिए अब सिर्फ जिम ही नहीं जातीं या हलकीफुलकी स्ट्रैचिंग तक ही सीमित नहीं रहतीं, बल्कि उन्होंने बौडी बिल्डिंग के एक नए ट्रैंड की शुरुआत भी की है ताकि वे सैक्सी दिखें.

बौलीवुड और हौलीवुड की अभिनेत्रियों के बीच बढ़ते बौडीबिल्डिंग के क्रेज ने इसे आम युवतियों में खासा लोकप्रिय बना दिया है. हैरानी की बात यह है कि वे सैक्सी फिगर के लिए बेफिक्री से पैसे उड़ा रही हैं और जिम में जम कर घंटों पसीने बहाने से गुरेज नहीं कर रही हैं. टोंड और वैलशेप बौडी पाने के लिए वे तमाम ऐसे नुसखे आजमा रही हैं जो कभी उन की पहुंच से बाहर थे और जिन पर युवकों का एकछत्र राज था. ‘‘आज की युवतियां काफी सक्षम हैं, जुझारू हैं और आर्थिक रूप से सशक्त भी, तो क्यों न वे मनचाही फिगर पाने के लिए पैसे खर्चें,’’ यह कहना है विभा का जो एक वर्किंगवूमन होने के बाद भी रैगुलर जिम जाती  हैं. उन से यह पूछने पर कि आखिर ऐसा क्या है जिस के लिए उन्होंने जिम जाने की चाहत को आज भी बनाए रखा है, तो वे कहती हैं कि अकसर जब वे युवकों को अपने मसल्स शो करते देखती हैं तो उन के मन में युवकों के इस एकछत्र राज को तोड़ने की इच्छा जगती है. इसी तरह फीमेल बौडीबिल्डिंग प्रतियोगिता जीतने वाली 45 वर्षीय वीणा को देख कर बिलकुल नहीं लगता कि वे उम्र के इस पड़ाव को भी पछाड़ सकती हैं. उन की बौडीबिल्डिंग की चाहत ने उन्हें अपने सर्किल में खासा लोकप्रिय बना दिया है. वे कहती हैं, ‘‘शुरू में जब मैं ने जिम जाने का निर्णय लिया तो घर वालों ने ज्यादा आपत्ति नहीं जताई पर जब मेरा यह शौक धीरेधीरे बौडीबिल्डिंग पैशन में बदलने लगा तो इस पर घर वालों ने एतराज जताया, लेकिन तमाम विरोधों के बाद भी मैं ने अपना यह पैशन जारी रखा और आज युवापीढ़ी मुझ से बौडीबिल्डिंग से जुड़े टिप्स लेने आती है. सोच कर अच्छा लगता है कि वक्त अब बदल चुका है.’’

फीमेल बौडीबिल्डिंग इतनी पौपुलर हो चुकी है कि अब ब्लौक, जिला और स्टेट से ले कर नैशनल लैवल तक बौडीबिल्डिंग चैंपियनशिप आयोजित होती हैं. वैलनोन बौडीबिल्डिंग संस्थान के संस्थापक का कहना है, ‘‘मुझे यह देख कर हैरानी होती है कि पहले जहां इक्कादुक्का युवतियां ही अपने इस शौक को पूरा करने आती थीं और वे भी बीच में ही कोर्स छोड़ कर चली जाती थीं, पर अब ऐसा नहीं है. युवतियों की भीड़ में अच्छाखासा इजाफा हुआ है. हम अपने स्तर पर इन्हें इंटर इंस्टिट्यूशनल संस्थानों में बौडीबिल्डिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए भी भेजते रहते हैं जिस से युवतियों का उत्साह बढ़ता है.’’

देश की पहली फीमेल बौडी बिल्डर जो दूसरों के लिए उदाहरण बनीं

देश की पहली फीमेल बौडीबिल्डर मुंबई की अश्विनी वास्कर की बौडीबिल्डिंग जर्नी भी इतनी आसान नहीं रही. उन्होंने बताया, ‘‘मेरे इस निर्णय पर पहले सब हंसे फिर हमें डिस्करेज करने की पूरी कोशिश की गई. हमें परिवार और समाज की दुहाई दी गई, जहां युवतियों के लिए ऐसे क्षेत्र प्रतिबंधित होते हैं. हमारे घर वालों का कहना था कि लोगों को जब इस बारे में पता चलेगा कि उन की बेटी पुरुषों जैसी बौडी बनाना चाहती है तो लोग क्या कहेंगे?

‘‘तमाम ऐसी निराश और हतोत्साहित करने वाली बातें एकएक कर हमारे सामने रखी गईं. पर मैं अपने इरादे की पक्की थी. मैं ने ठान लिया था कि चाहे जो भी हो, इस क्षेत्र में दूसरों के लिए उदाहरण बनूंगी. फिर क्या था तमाम मुश्किलों ने मुझे रोकने की कोशिश की, पर मैं कहां रुकने वाली थी. यह बात और है कि शुरुआत में मुझे मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा पर अंतत: मैं ने अपना रास्ता बना ही लिया.’’

कहना होगा कि दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते युवतियां अब उन क्षेत्रों को भी ऐक्सप्लोर कर रही हैं, जो उन के लिए अनऐक्सेबल था, पर अपने ड्रीम को पूरा करने के लिए वे अब किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं.

क्या कहते हैं ऐक्सपर्ट

कई बार सैक्सी सिक्स पैक्स की चाहत में लड़कियां उलटीसीधी ऐक्सरसाइज कर बौडीपेन को आमंत्रित कर देती हैं. इसलिए ऐक्सपर्ट के अनुसार इस तरह के वर्कआउट हमेशा प्रोफैशनल्स की देखरेख में ही शुरू करने चाहिए. उन का मानना है कि युवतियां 6% तक अपने एैब्स ऐक्सपैंड कर सकती हैं और इस के लिए उन्हें वर्कआउट ट्रैनिंग की बेहद जरूरत होती है जो एक रिगोरस प्रोसैस है जिस में उन के मसल्स को ऐक्सपैंड कर उन के वेट को पहले कम किया जाता है और फिर उन्हें पावर ट्रेनिंग से गुजरना होता है. यह सब इतना आसान नहीं होता. इस के लिए स्ट्रौंग विलपावर के साथसाथ ऐसिस्टैंस पावर का होना भी बेहद जरूरी है. इसे बनाए रखने के लिए स्ट्रैंथ, ऐजुकेशन और मोरल ऐंड फिजिकल ऐजुकेशन दी जाती है जिस से वे इस कठिन और मुश्किल सैशन को आसानी से पूरा कर सकें.

शुरुआती दौर में उन्हें बाइसिकिल वर्कआउट की भी सलाह दी जाती है जिस से उन की बौडी लचीली बनी रहे और लैग लिफ्टअप में सहायता मिले.

बौडी बिल्डिंग के क्रेजी टिप्स

जो युवतियां बौडीबिल्डिंग की शुरुआत करने जा रही हैं उन के लिए कुछ क्रेजी टिप्स हैं, जिन्हें आसानी से फौलो किया जा सकता है और जो इंस्टैंट बिल्डअप के लिहाज से महत्त्वपूर्ण भी हैं.

यह सच है कि मजबूत, टोंड और काउंटेबल पैक्स तुरंत नहीं पाए जा सकते. उन्हें पाने के लिए लंबे और कड़े अभ्यास की जरूरत होती है पर इन पौइंट्स को ध्यान में रख कर इसे आसान बनाया जा सकता है :

–       जहां तक संभव हो सके कार्डियो करें. इस के लिए हफ्ते में कम से कम एक दिन में एक मील दौड़ें. चाहें तो अपने पालतू कुत्ते को सुविधानुसार साथ ले जा सकती हैं. इस से आप को उस के साथ दौड़ने में न केवल आसानी होगी बल्कि दौड़ कर कैलोरी भी बर्न कर सकती हैं.

–       खाने में साबुत अनाज जैसे ओटमील या साबुत पास्ता की मात्रा बढ़ाएं. सोयाबीन और बीफ, टर्की आदि मीट की मात्रा भी बढ़ाई जा सकती है.

–       वेट ऐक्सरसाइज से पहले और बाद में स्ट्रैचिंग जरूर करें, इस से मसल्स क्रैंपिंग से बचा जा सकता है.

–       बाइसिकिल वर्कआउट से स्टैमिना बढ़ाया जा सकता है. इस से ऐब्स तेजी से ग्रोथ करती हैं.

सिक्स पैक बौडी और ऐब्स पाने की चाहत युवतियों में एक जनून की हद तक पहुंच चुकी है. जगहजगह खुलते बौडीबिल्डिंग केंद्र व प्रतियोगिताएं इस की पुष्टि करती हैं.

गठीला शरीर, भरा बदन, परफैक्ट ऐब्स और सिक्स पैक्स की चैंपियनशिप पर अब युवतियां भी कब्जा जमा रही हैं. ऐसा हो भी क्यों न, इस से उन्हें एक आकर्षक फिगर के साथसाथ एक सैक्सी बौडी भी तो मिल रही है. टशन का जमाना है तो कदमताल तो करनी ही पड़ेगी.         

देश की टौप 7 फीमेल बौडीबिल्डर

याशमिन भानक : आईबीबीएफएफ रैंकिंग में 16वें स्थान पर.

करुणा वागमारे : अमैच्योर ओलिंपिक 2015 में 5वें स्थान पर रहीं.

दीपिका चौधरी : 4 अप्रैल, 2015, यूएस में एनपीएस फिगर टाइटल जीता.

ममोता देवी : वर्ल्ड बौडीबिल्डिंग और फिजिक स्पोर्ट चैंपियनशिप जीती.

रीबिता देवी : इंडिया की टौप बौडी बिल्डर.

सोनाली स्वामी : 39 वर्षीय सोनी इंडियन एथलीट की सहभागी हैं.

किरण डेंबला : प्रसिद्ध फीमेल बौडीबिल

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