भले ही आप का बच्चा ठीकठाक खा लेता हो, अच्छी नींद लेता हो और अन्य बच्चों की तरह चहकता रहता हो, लेकिन रोजाना स्कूली बस्ते का बोझ सहते रहना उस की सेहत के लिए समस्याएं खड़ी कर सकता है. दरअसल, स्कूली बस्ते का स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है. हो सकता है कि आप का बच्चा अपनी पीठ पर असामान्य बोझ ढो रहा हो जिस से उसे कमरदर्द, रीढ़ की विकृति या गरदन के पास खिंचाव जैसी तकलीफें हो सकती हैं. स्कूली बच्चे और्थोपैडिक समस्याओं की चपेट में आ रहे हैं और डाक्टर पीठ या कमरदर्द से पीडि़तों के आयुवर्ग में जबरदस्त बदलाव के गवाह बन रहे हैं. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कई ऐसे खतरे हैं जिन से आप के बच्चे का भी वास्ता पड़ सकता है.

कंधा : भारी या असामान्य स्कूली बस्ते का बोझ शारीरिक संरचना को असंतुलित कर सकता है. गरदन के आसपास की मांसपेशियों और स्नायुतंत्र पर लगातार बोझ व दबाव के कारण गंभीर खिंचाव उत्पन्न हो जाता है. इस मामले में यदि उचित देखभाल न की जाए तो विभिन्न प्रकार की और्थोपैडिक संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं.

पीठ : यदि आप का बच्चा लगातार भारी स्कूली बस्ता ढो रहा होता है तो कोमल ऊतक (टिश्यू) नष्ट हो जाते हैं जिस कारण चोट या शारीरिक संरचना बिगड़ सकती है. नियमित रूप से 2 किलो से अधिक बोझ वाले बस्ते ढोने से मांसपेशियों में दर्द और रीढ़ संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

गरदन : स्कूली बस्ते जब भारी होते हैं तो गरदन स्वाभाविक रूप से बोझ के विपरीत दिशा में झुक जाती है. इस से बोझ वाले हिस्से की गरदन पर खिंचाव बढ़ जाता है और वजन के विपरीत दिशा में दबाव बढ़ जाता है.

पैर : भारी बस्ता ढोने के कारण आप के बच्चे की चाल बेढंगी हो जाती है और शारीरिक संरचना के प्रतिकूल दबाव बनने लगता है, जिस से उसे परेशानी हो सकती है.

क्या करें : बस्ते में कंधे के दोनों तरफ की पट्टियां होनी चाहिए और आप अपने बच्चे को हमेशा वजन का संतुलन बना कर चलने का निर्देश देते रहें. इस से बच्चे की गरदन, कंधे और पीठ पर वजन का बराबर मात्रा में संतुलन बना रहेगा. अगर बच्चे नियमित रूप से अपने वजन का 10 प्रतिशत से ज्यादा बोझ कंधे पर उठाएंगे तो उस के लिए नुकसानदेह है. बैग में वही चीजें ले जाएं जो जरूरी हों. ऐसे डिजाइन वाला बैग खरीदें जिस के शोल्डर स्ट्रैप्स पैड वाले हों. बच्चों को बचपन से ही व्यायाम करने की आदत डालें.

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