लेखक- डा. बी बी दास

ओवरी कैंसर और पीरियड्स न आने के बीच की कड़ी के बारे में जानकारी, लक्षण और उस से जुड़े जोखिम के बारे में जानिए और यह भी जानें कि ऐसे मामले में डाक्टर के पास कब जाएं...

महिलाओं में 2 अंडाशय होते हैं. गर्भाशय के दोनों तरफ एकएक अंडाशय होता है. अंडाशय महिलाओं की प्रजनन प्रणाली का हिस्सा हैं और एस्ट्रोजन और प्रोजैस्टेरौन सहित हार्मोंस के उत्पादन के लिए जिम्मेदार हैं.

महिलाओं के अंडाशय पर ट्यूमर या अल्सर विकसित हो सकते हैं. आमतौर पर ये सौम्य होते हैं. इस का मतलब यह है कि इन में कैंसर नहीं है. ये अंडाशय के अंदर या ऊपर रहते हैं. बहुत कम मामलों में ओवरी के ट्यूमर्स में कैंसर पाया जाता है.

ओवरी कैंसर के लक्षणों को समझने से किसी महिला के कैंसरग्रस्त होने की पहचान जल्दी हो सकती है. कई महिलाओं में ओवरी कैंसर के शुरुआती चरणों में लक्षण दिखाई नहीं देते. इस के अलावा ओवरी कैंसर के लक्षण इरिटेबल बाउल सिंड्रोम जैसी स्थितियों से मिलते हैं. लक्षण अस्पष्ट और बहुत कम हो सकते हैं जिससे निदान में देरी होने के कारण नतीजा खराब हो सकता है. यदि निम्न लक्षण महीने में 12 से ज्यादा बार होते हैं तो अपने डाक्टर या स्त्रीरोग विशेषज्ञ से संपर्क करें :

उदर या पेड़ू का दर्द, पेट फूलना, खाने में कठिनाई, भोजन करने पर पेट जल्दी भरा महसूस होना, मूत्र संबंधी आदतों में बदलाव, जल्दीजल्दी मूत्र आना, यौन संबंध के समय दर्द, पेट खराब रहना, अत्यंत थकावट, कब्ज, पेट की सूजन, वजन कम होना आदि.

जोखिम के दूसरे कारण : ओवरी कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले कारण एक नहीं, बल्कि कई हैं. मसलन, उम्र का बढ़ना, 35 वर्ष की उम्र के बाद बच्चे होना, गर्भधारण के बाद बच्चा न होना, ज्यादा वजन या मोटा होना, परिवार में ओवरी कैंसर, स्तन कैंसर या कोलोरैक्टल कैंसर का इतिहास होना, रजोनिवृत्ति के बाद हार्मोन थेरैपी लेना, फैमिली कैंसर सिंड्रोम हो और इनविट्रो फर्टिलाइजेशन जैसे उपचार लेना आदि.

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