आंख जिस्म का सब से नाजुक और संवेदनशील अंग है. इस में मामूली चोट या संक्रमण गंभीर रूप धारण कर सकता है और आंखों की रोशनी भी जा सकती है. इसलिए आंखों के मामलों में सतर्क रहना बेहद जरूरी है.
टैलीविजन, कंप्यूटर, मोबाइल, लेजर किरणें आदि का लगातार लंबे समय तक उपयोग किया जाए तो इन का दुष्प्रभाव आंखों पर भी पड़ता है. इसी तरह तेज रोशनी वाले हाईलोजन, बल्ब, बारबार जलनेबु?ाने वाली रोशनियां भी आंखों पर बुरा असर डालती हैं. वैल्ंिडग से निकली नीली रोशनी आंख के परदे को बहुत नुकसान पहुंचाती है.
आंखें इंसान की सब से बड़ी जरूरत होती हैं. इन को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है कि आंखों में होने वाली बीमारियों के बारे में पूरी जानकारी हो. इस संबंध में पेश हैं नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. सौरभ चंद्रा से हुई बातचीत के अंश :
आंखों की बीमारियों में बदलते मौसम की भूमिका कितनी होती है?
आंखें हैं तो सबकुछ है. मौसम के साथ होने वाले बदलावों का आंखों पर गहरा असर पड़ता है. गरमी के मौसम में धूप और धूल से आंखों में संक्रमण हो जाता है. यह प्रदूषण और धूप से आंखों में आने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है. बरसात में फंगल इन्फैक्शन ज्यादा होता है. इस में आंखें लाल हो जाती हैं, चिपकने लगती हैं. सर्दी का आंखों पर कम प्रभाव पड़ता है.
इन का इलाज क्या है?
गरमी में जब भी आप बाहर से वापस आएं तो अपनी आंखों को हलके गरम पानी से धो लें. इस से धूल और बैक्टीरिया को आंखों से दूर करने में मदद मिलती है. बरसात में अगर आंखें लाल हों तो इन की साफसफाई का ध्यान रखें.