आजकल जहां भी देखो, लोग कोरोना की बात कर रहे हैं. यह एक नई बीमारी है, जिस का इलाज सिर्फ जानकारी है. इस बीमारी का नाम है कोविड 19. यह बीमारी एक महीने में 84 देशों में पहुंच चुकी है. दिसंबर के आखिरी महीने में यह चीन के वुहान शहर में देखी गई थी. अब यह बीमारी चीन के अलावा साउथ कोरिया, ईरान, इटली के अलावा जापान के डायमंड प्रिंसेस जहाज में कहर ढा चुकी है.
भारत में भी यह वायरस दस्तक दे चुका है. लेख लिखे जाने तक इस वायरस से संक्रमित होने के 29 मामले सामने आ चुके थे. कोरोना वायरस 84 देशों तक पहुंच चुका है जिस में 95,334 मामले सामने आए हैं. इस में मरने वालों की संख्या 3,285 व संक्रमित लोगों की संख्या 38,408 है.
व्यावहारिक तौर पर कोरोना वायरस सार्स की तरह काम करता है. इस के लक्षण 5 दिनों में नजर आने लगते हैं जिस के पश्चात 9 दिनों के भीतर संक्रमित व्यक्ति को निमोनिया होने और 14 दिनों में मृत्यु होने का खतरा होता है.कोराना वायरस के सभी मरीजों को बुखार होने के साथ 75 फीसदी को खांसी, 50 फीसदी को कमजोरी, 50 फीसदी को सांस न आने जैसी स्थिति से गुजरना पड़ रहा है.
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यह बीमारी है क्या
यह रेस्पिरेटरी सिक्रेशन है जिस का अर्थ है श्वसन तंत्र से फैलने वाली बीमारी जो शरीर में बुखार के साथ खांसी या ब्रेथलैसनैस यानी सांस में कमी करती है. जैसेजैसे इस बीमारी में बुखार के साथ खांसी या सांस फूलने लगती है वैसेवैसे यह एक आदमी से दूसरे आदमी में फैलती है.इस के फैलने के 2 तरीके हैं. पहला तरीका है ड्रौपलेट इन्फैक्शन जिस में अगर बीमारी से पीडि़त आदमी दूसरे आदमी के ऊपर 3 फुट के अंदर खांस देता है तो उस को यह बीमारी हो सकती है. दूसरा इस का कारण है बारबार हाथ को न धोना. अगर खांसी आने या छींकने के बाद यह वायरस किसी सरफेस पर रुक जाता है और हम उस को हाथ लगाते हैं तो यह वायरस हमारे हाथ में आ जाता है और अगर हम उन्हीं हाथों को अपने मुंह या आंखों पर हाथ लगाते हैं तो हमें यह बीमारी हो सकती है.
पहले यह बीमारी चमगादड़ और सांप जैसे वन्यजीवों से उभरी और फिर आदमी से आदमी में आई. अब यह कम्युनिटी में फैल रही है. इस का मतलब है कि कई देशों में यह बीमारी बिना किसी आदमी के संपर्क में आए भी हो रही है. इस बीमारी से 80 फीसदी लोग सिर्फ हलके बुखार और खांसी से पीडि़त होते हैं और उन की सांस नहीं फूलती.20 फीसदी लोगों की सांस फूलती है और उन को अस्पताल में जाने की जरूरत होती है. 2 फीसदी लोग निमोनिया से पीडि़त होते हैं और फिर उन की मृत्यु हो जाती है.
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एक नई चीज इस बीमारी में देखने में आई है कि यह बीमारी ज्यादातर बड़े या बुजुर्ग लोगों को होती है और 15 साल से कम उम्र के बच्चों में यह कम देखी गई है. मरने वालों में 80 फीसदी वे लोग हैं जो या तो वृद्ध हैं या उन के शरीर में कोई अंदरूनी बीमारी है.जापान में डायमंड प्रिंसैस जहाज में 23 फीसदी लोगों को यह बीमारी हो गई, जब उन को इकट्ठा रखा गया. यह बीमारी चिकन खाने से नहीं होती, चमगादड़ का सूप पीने से नहीं होती, लेकिन जंगली जानवरों के कच्चे मीट को हाथ लगाने से चीन जैसे देश में हो सकती है.
इस बीमारी में कोई एंटीबायोटिक काम नहीं करती. इस की कोई वैक्सीन नहीं है. किसी भी नई वैक्सीन को बनने में 18 महीने का समय लगता है. इसी बीमारी से मिलतीजुलती सार्स (एसएआरएस) यानी सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम की बीमारी जब आई थी तो वह सिर्फ 6 महीने रही थी, इसलिए उस की वैक्सीन नहीं बन पाई. अगर तब उस की वैक्सीन बनाई जाती तो शायद वह थोड़ीबहुत इस बीमारी में भी काम करती.
कोरोना से ऐसे बचें
अगर आप किसी ऐसी जगह पर जा रहे हैं जहां पर इस बीमारी से लोग पीडि़त हैं तो वहां पर सावधानियां बरतें. जो लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं उन्हें 3 लेयर वाला सर्जिकल मास्क पहनना चाहिए. ऐसे डाक्टर जो इन मरीजों का इलाज कर रहे हैं उन्हें एन95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर किसी आदमी को यह बीमारी हो जाती है तो वह 2 से 3 लोगों को यह बीमारी फैला सकता है. यह बीमारी तभी फैलती है जब आप का कम से कम 10 मिनट तक उस से संपर्क रहे. लेकिन, इस बीमारी से पीडि़त कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें हम सुपर स्प्रेडर कहते हैं. ऐसा एक आदमी हजारों में यह बीमारी फैला सकता है. ऐसा लगता है कि चीन में यह बीमारी एक ही आदमी से फैली है. साउथ कोरिया में भी एक महिला ने यह बीमारी फैलाई. इसी तरह ईरान में भी एक सुपर स्प्रेडर रहा होगा जिस ने यह बीमारी फैलाई होगी.इस बीमारी से बचना है तो हमें फ्लू से बचना होगा क्योंकि इस बीमारी में और फ्लू की बीमारी के लक्षणों में कोई फर्क नहीं है.
अगर किसी को भी खांसीजुकाम के साथ बुखार है तो उसे समझ लेना चाहिए कि उस को यूलाइक इलनैस है. उसे दूसरे लोगों से 3 फुट की दूरी तक रहना चाहिए अगर उस ने मास्क नहीं पहन रखा. जहां पर भी वह खांसीजुकाम करता है उस जगह को साफ कर देना चाहिए.
सिंपल ब्लीचिंग पाउडर में यह वायरस एक मिनट में मर जाता है. अगर यह बीमारी फैल जाए तो
ऐसी जगह में नहीं जाना चाहिए जहां पर लोग इकट्ठे होते हैं. भारत में सार्स, मर्स, इबोला तथा येलो फीवर नाम की बीमारियां कभी नहीं आईं. अब जब कोरोना देश में भी दस्तक दे चुका है तो हमें सतर्क रहना
जरूरी है.भारत, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका में इस प्रकार की बीमारियां पहले कम देखी गई हैं. यह बीमारी सार्स से कम खतरनाक है, लेकिन ज्यादा तेजी से फैलने वाली है. जो बीमारी ज्यादा तेजी से फैलती है उस को रोकना मुश्किल होता है.
भ्रांतियों से बचें
एक बार अगर यह बीमारी आ जाए तो 7 दिन में यह बीमारी दोगुने लोगों को हो जाती है. लेकिन साउथ कोरिया में यह देखा गया कि यह बीमारी 2 दिन में 3 गुना लोगों को हो गई. भारत में बहुत सारे लोग अफगानिस्तान से मैडिकल चैकअप के लिए आते हैं और अगर वे 15 दिनों के बीच में ईरान गए हों तो वे इस बीमारी को भारत में ला सकते हैं.अभी तक देखा नहीं गया है कि यह बीमारी अगर गर्भावस्था में औरतों को हो जाए तो वह बीमारी उन के बच्चों में फैल सकती है या नहीं. कई सारे लोग इस बीमारी के बारे में भ्रांतियां फैला रहे हैं कि यह चीन की एक लैबोरैट्री से निकली है. यह बायोटेररिज्म हो सकती है. यह मांस खाने से होती है. यह अमेरिका और चीन की लड़ाई है. चीन में यह बीमारी लाखों में फैल चुकी है. चीन में हजारों लोगों को गोली मार दी गई जो कोरोनो वायरस से पीडि़त थे इत्यादि, सब झूठ है. यह सब भ्रम है और हमें इन से बचना चाहिए.
इस से पहले भी ऐसी महामारी पूरी दुनिया में आ चुकी है. सार्स, मर्स ऐसी 2 बीमारियां हैं जो पहले महामारी का रूप ले चुकी हैं और वे इसी वायरस की जाति से हैं. इस बीमारी को रोकने के लिए चीन ने एक ऐसा असंभव कार्य किया जो शायद कोई दूसरा देश न करता. चीन ने 5 करोड़ लोगों को नजरबंद कर दिया ताकि यह बीमारी देश के शेष हिस्सों में न जा पाए. अगर उस ने ऐसा न किया होता तो शायद चीन में अब तक यह बीमारी बड़ी महामारी का रूप ले चुकी होती. अभी तक डब्लूएचओ ने इसे महामारी घोषित नहीं किया है, हालांकि, कहा है कि सभी इस के लिए तैयार रहें.
–लेखक सीएमएएओ, एचसीएफआई के अध्यक्ष और वरिष्ठ फिजीशियन व कार्डियोलौजिस्ट हैं.