लेखक-डा. अरविंद कुलकर्णी

पूरा देश कोरोना महामारी से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहा है, ऐसे में देशवासियों के पास समय काटने के लिए केवल फोन या टीवी ही विकल्प के तौर पर बचते हैं. लेकिन उन्हें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि गलत मुद्रा में बैठ कर ज्यादा देर तक फोन चलाने से गरदन और कंधे की समस्याएं बढ़ती हैं. इन समस्याओं से बचने के लिए सावधानी बरतनी जरूरी है.

फोन को चलाने के लिए हमें अपनी गरदन को 60-70  डिगरी में झुकाना पड़ता है, जिस के कारण गरदन पर लगभग 25 किलो के वजन का दबाव पड़ता है. और गरदन पर अत्यधिक दबाव पड़ने के कारण रीढ़ का ढांचा समय से पहले बिगड़ने लगता है.

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फोन नेक यानी गरदन, पीठ और कंधे की मांसपेशियों में अकड़न, दर्द और सुन्नपन एक वैश्विक महामारी बन चुका है. इस बीमारी से हर आयुवर्ग, खासकर युवावर्ग, के लाखों लोग प्रभावित हैं. आज जिस तरह से हम दिनरात मोबाइल तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं और टेबलेट, कंप्यूटर जैसे स्मार्ट गैजेट्स का बिना रुके पूरेपूरे दिन इस्तेमाल कर रहे हैं, उस का विपरित प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ रहा है. इसे ही फोन नेक की समस्या कहते हैं. फोन नेक गरदन में होने वाले उस दर्द और समस्या को कहते हैं जो लगातार और लंबे समय तक सैलफोन या दूसरे ताररहित गैजेट्स के इस्तेमाल के कारण होता है.

लौकडाउन के दौरान गरदन पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द के मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है. ऐसे कुल मरीजों में 50 फीसदी मरीज युवा हैं जिन की उम्र 15-25 वर्ष के बीच है. इस बीमारी को ले कर सब से बड़ी चिंता युवा और बढ़ते बच्चों की है क्योंकि अभी उन की बढ़ती उम्र है और इस उम्र में इलैक्ट्रौनिक उपकरणों के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से उन की सर्वाइकल स्पाइन यानी गरदन की हड्डियों को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है. नतीजतन, उन्हें अपना पूरा जीवन गरदनदर्द के साथ बिताना पड़ सकता है.

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