सीमा ने औफिस पहुंच कर अपना पर्स खोला और दराज की चाभी निकालने के लिए जैसे ही अंदर वाली पौकेट में हाथ डाला, उसे अंदर महीन लकड़ी के बुरादे जैसा कुछ होने का एहसास हुआ. उसने झटके से हाथ बाहर निकाला और पर्स उलटा, तो देखा कि तेजपत्ते के कुछ पत्ते किसी ने उसके पर्स में रख दिए थे.उन में से कुछ चूरा हो गए थे. सीमा ने ध्यान से देखा तो उन पत्तों पर लाल स्याही से कुछ नंबर लिखे हुए थे.

सीमा आशंकित हो उठी. ये पत्ते कब और किसने मेरे पर्स में रखे? इन नंबरों का क्या मतलब है? किसी ने कोई जादूटोना तो नहीं किया? ऐसे अनेक सवाल उसके जेहन में कौंधने लगे. सारा दिन चिंता में बीता. शाम को घर आई और घरवालों को बताया तो उसकी मां बोली,''अरे, वो तेजपत्ते मैंने रखे थे तेरे पर्स में. तूने फेंक तो नहीं दिए?"

"आपने? मगर क्यों? और उन पर नंबर क्यों लिखे थे?''सीमा ने एकसाथ कई सवाल अपनी मां पर दागे.

''अरे,वह मैं फेसबुक पर बाबाजी की रील देखती हूं न. बाबाजी ने बताया कि तेजपत्ते के 5 पत्तों पर वह चमत्कारी नंबर लिख कर अपने पर्स में उस स्थान पर रखो जहां पैसे रखते हैं तो आय में चमत्कारिक रूप से वृद्धि होती है. इसलिए मैंने तेरे पर्स में रखे थे. तूने फेंक दिए क्या?''

''क्या मां, तुम तो यह इंटरनैट देखदेख कर पागल हो गई हो. मेरा 3 हज़ार का पर्स तुम्हारे तेजपत्तों की महक और चूरे से भर गया था. मैं सारा दिन औफिस में परेशान रही, सो अलग. तुम यह इंटरनैट देखना बंद करो. और आगे मेरे पर्स को हाथ मत लगाना.''

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