Genital Herpes Treatment : हम ज्यादा नैतिकता की बात नहीं करेंगे पर बीमारियां तो कहीं भी सिर उठा कर घुस सकती हैं और इन में से एक जेनिटल हर्पीज जननिक जुलपिती वायरस के कारण होती है. चिकित्सा विज्ञान में इस बीमारी को हार्पी प्रोजेनिटलाइज (जननिक जुलपिती) के नाम से जाना जाता है.

यह रोग किसी संक्रमित रोगी के साथ यौन संपर्क करने से फैलता है. इस रोग का वायरस त्वचा में प्रवेश कर नजदीक के स्नायु तक पहुंच जाता है. यह कोविड जैसा तो नहीं, पर हर वायरस कुछ न कुछ डराता है. यह चूंकि यौन संबंध से होता है, इसलिए इसे छिपाया जाता है.

हर्पीज वायरस के शरीर में प्रवेश करने के कुछ सप्ताह बाद रोगी के जननांगों पर बारीकबारीक फुंसियां निकलने लगती हैं. इन फुंसियों में धीरेधीरे तरल भरने लगता है और ददोरे होने लगते हैं.

इन रोगियों में पिन के आकार की सख्त जगह बन जाना आम बात है. मूत्र त्यागते समय जलन होने लगती है, बुखार, जोड़ों में दर्द तथा अरुमूल में पीड़ादायक सूजन आ जाती है. इसे ‘प्राथमिक संक्रमण’ के नाम से जाना जाता है और यह स्थिति 10-20 दिनों तक बनी रह सकती है.

अगर रोगी अपनी चिकित्सा न कराए, तो इन दरोरों में जीवाणुओं द्वारा संक्रमण हो सकता है और इन में मवाद पड़ जाता है.

महिलाओं में तो प्राथमिक संक्रमण भी बड़ा ही पीड़ादायक हो सकता है, उन के लिए चलना भी मुश्किल हो जाता है.

जेनिटल हार्पीज का दोबारा होना कोई अपवाद नहीं है. इस का होना तो आम बात है. प्राथमिक संक्रमण कम हो जाता है लेकिन कुछ समय बाद यह संक्रमण फिर से सक्रिय होने लगता है. कुछ युवकयुवतियों में तो इस का संक्रमण जल्दीजल्दी होते देखा गया है जबकि कुछ में कुछ समय बाद फिर से यह संक्रमण देखा गया है.

वहीं, इस रोग के फिर से होने पर बहुत ही कम पीड़ा होती है. सच तो यह है कि कुछ रोगी तो अपने जननांगों को जब तक देखते नहीं हैं तब तक उन्हें पता नहीं चलता कि उन को यह रोग हो भी गया है. उन के एक या दो ददोरे हो सकते हैं. ये दोचार दिन में ही ठीक हो जाते हैं. सामान्यतया हर्पीज के संक्रमण के फिर से होने पर न ही बुखार आता है, न ही कोई सूजन आती है.

निदान : आमतौर पर इस हालत का निदान रोगी के लक्षणों को देख कर किया जाता है. वैसे तो इस के लिए किसी भी जांच की आवश्यकता नहीं पड़ती है, फिर भी इस के लिए रक्त की जांच उपलब्ध है. यह जांच अनुसंधान या निदान में किसी संशय की स्थिति में की जाती है.

चिकित्सा : जेनिटल हर्पीज छोटी माता या खसरे जैसा ही वायरल संक्रमण होता है. कुछ ही समय में स्थिति सामान्य हो जाती है. फिर भी दूसरे वायरल संक्रमण से भिन्न इस संक्रमण का फिर से सक्रिय होना चिंताजनक बात है.

जेनिटल हर्पीज में एंटीवायरल औषधि वाइक्लोवीर चिकित्सा के रूप में उपयोग की जाती है. प्राथमिक संक्रमण के समय दिन में 5 बार 200 एमजी की इस की टेबलेट दी जाती है. इस दवा का इस्तेमाल डाक्टर की सलाह के अनुसार करें. लेकिन ध्यान रहे कि इस निदान में भी यह गारंटी नहीं है कि इस रोग की पुनरावृत्ति न हो.

इसीलिए अधिकांश यौन रोग विशेषज्ञ साइक्लोविर क्रीम की सिफारिश करते हैं. यह क्रीम अपेक्षाकृत सस्ती भी होती है. यह चिकित्सा सुनिश्चित करती है कि दरोरे जल्दी से ठीक हो रहे हैं और इस वायरस के फैलने की संभावना कम हो रही है.

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