रोज की तरह अपनी सोसायटी के कम्युनिटी पार्क में सैर पर निकलीं माहम और शुभ्रा अचानक एक लेडी फिटनैस ट्रेनर को पार्क में कुछ लोगों को योग व फिटनैस मंत्र सिखाते देख चौंकीं. इस कक्षा में युवकों, अधेड़ों के साथसाथ कुछ युवतियां व बड़ी उम्र की महिलाएं भी शामिल थीं. शुभ्रा को झकझोरते हुए माहम बोली, ‘‘शुभ्रा, चल बात करते हैं उस लेडी टीचर से. मैं तो कब से यह चाह रही थी कि कोई लेडी टीचर आए और हमें योग व फिटनैस के मंत्र दे. देख आज हमें अपने ही पार्क में सुनहरा अवसर मिल रहा है.’’

इस पर शुभ्रा के मन में भी योग कक्षा में शामिल होने की इच्छा तो जागी लेकिन वह हैजिटेशन करती बोली, ‘‘न बाबा न, मैं नहीं जाती.’’ शुभ्रा की बात सुन कर माहम भी हैजिटेट हुई और बोली, ‘‘तू ठीक कहती है शुभ्रा, भला इतने युवकों व अधेड़ों के बीच हम सहजता से ऐक्सरसाइज कैसे कर पाएंगी?’’ कहते हुए दोनों आगे बढ़ गईं. शुभ्रा और माहम जैसी युवतियां अपनी तंदुरुस्ती के प्रति सतर्क होने के बावजूद हैजिटेशन की शिकार हो कर मनचाही गतिविधियों में शामिल नहीं हो पातीं. एक आंकड़े के मुताबिक 60-70% युवतियां सिर्फ संकोच की वजह से ही अपनी सेहत को ले कर लापरवाह रहती हैं.

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ऐसे में अकसर कहा जाता है कि पारंपरिक भारतीय परिवेश में युवतियों के लिए फिटनैस और सेहत की आजमाइश मुफीद नहीं, वे तो घरपरिवार संभालते ही ज्यादा अच्छी लगती हैं. इस वाक्य को बहुत हद तक युवतियों की अपनी सेहत और फिटनैस के प्रति झिझक ने भी हवा दी है. आज भी जब हम देखते हैं कि जिम, व्यायामशालाएं, ऐरोबिक्स और योग कक्षाओं में युवकों के मुकाबले युवतियों की गिनती उंगली पर की जा सकती है, सोचने पर विवश हो जाते हैं कि आखिर युवतियों में इतनी फिटनैस हैजिटेशन क्यों?

हालांकि पहले की अपेक्षा युवतियां अपनी सेहत और फिटनैस को ले कर काफी सजग व सतर्क हो रही हैं पर अभी भी युवतियों का एक बड़ा तबका ऐसा है जो सिर्फ झिझक और संकोच के मारे खुद को ऐसी कक्षाओं और फिटनैस सैंटर्स से दूर रखे हुए है. मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक सुझाव के बावजूद अधिकतर युवतियां फिटनैस क्लासेस से खुद को इसलिए नहीं जोड़ पातीं, क्योंकि उन के भीतर हैजिटेशन और ‘फन फियर’ होता है कि कोई उन का मजाक न उड़ा दे.

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बात फिटनैस की हो तो संकोच कैसा

आखिर सेहतमंद और सुंदर काया पाने का अधिकार सभी को है, चाहे वह पुरुष हो या स्त्री. कहा भी गया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग का वास होता है तो फिर अपनी फिटनैस के प्रति ऐसी लापरवाही क्यों? सजग, सतर्क और चुस्त बनें और जीवन में आगे बढ़ें. अगर आप स्वस्थ रहेंगी तो आप में आत्मविश्वास भी जगेगा और आप अपने परिवार को सूझबूझ और कौशल के साथ प्रगति पथ पर आगे बढ़ाते हुए प्रशंसा की पात्र भी बनेंगी. वहीं अगर मन ही बुझाबुझा, थका व निष्क्रिय होगा तो परिणाम भी वैसे ही मिलेंगे. कहने का तात्पर्य यह है कि जब युवक इतनी सजगता के साथ अपनी सेहत और फिटनैस का खयाल रख सकते हैं तो युवतियां भला क्यों पीछे रहें. आखिर आप की काया आप की अनमोल संपत्ति है, जिस की सुरक्षा व तंदुरुस्ती का खयाल आप कोही रखना होगा, तो फिर तोड़ डालिए संकोच की इस दीवार को और अपने शरीर को सेहतमंद रखने की जुगत में जुट जाइए, आज और अभी से.

सैर पर जाएं, तो इन्हें नजरअंदाज करें

पार्क को गौसिप का अड्डा न बनाएं : अकसर युवतियां घर से सैर पर निकलती हैं लेकिन पार्क में पहुंच कर घरगृहस्थी की समस्याओं, पारिवारिक क्लेशों जैसी बेवजह की अर्थहीन गौसिप में लग जाती हैं, जिस के कारण ऐक्सरसाइज पीछे छूट जाती है और गपबाजी अहम हो जाती है. अत: कोशिश करें कि फिट रहने का जो मूल प्रयोजन है उसे सार्थक करें.

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समूह में जाने के बजाय अकेली सैर पर जाएं : समूह या झुंड में सैर पर जाने के बजाय कोशिश करें कि अकेली सैर पर जाएं. समूह या साथी के साथ सैर पर जाने से आप का ध्यान बातचीत या दूसरी ओर बंटा रहेगा. अकेली होंगी तो खुद पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर पाएंगी, जिस के सार्थक परिणाम निकलेंगे.

अवसर न गंवाएं :  शुभ्रा और माहम की भांति आप भी दूर खड़ी रह कर कातर निगाहों से सब को फिटनैस का पाठ पढ़ते बस देखती न रहें बल्कि आसपास जहां कहीं भी आप को योग या व्यायाम करने का अवसर मिले तो उसे गंवाएं नहीं. इस में संकोच कैसा? हैजिटेशन दूर कर पूरे मनोयोग से फिटनैस मंत्र सीखें.

पहल करने से न चूकें : कई बार अवसर उपलब्ध नहीं होते तो पहल भी करनी पड़ती है. अगर आप के क्षेत्र में या आसपास कोई फिटनैस सैंटर नहीं है तो इस के लिए आगे बढ़ कर आप खुद प्रयास कर सकती हैं. चाहें तो आरडब्लूए के सदस्यों से बात कर फिटनैस सैंटर की व्यवस्था करवाएं. आजकल तो एमएलए और ब्लौक स्तर पर वार्ड कमिशनर्स द्वारा उन के विकास फंड से उन के अपने विधानसभा क्षेत्र में मुफ्त में फिटनैस सैंटर्स खोले जा रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर के बहुत से योग व फिटनैस प्रशिक्षण संस्थान हैं जो समुचित संसाधन उपलब्ध कराने पर आप के क्षेत्र में प्रशिक्षण दे सकते हैं. इस के लिए भी कोशिश की जा सकती है.

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संकोच छोड़ें, सेहत के प्रति सजग बनें

चूंकि सेहत को ले कर आज हर कोई फिक्रमंद है चाहे पुरुष हो या स्त्री. आप भी अपनी सेहत के प्रति सजग बनें और बिना हैजिटेशन फिटनैस सैंटर जाएं व खुले दिमाग से मनमाफिक स्टैप्स करें. हो सकता है शुरू में लोग आप पर हंसें या मजाक बनाएं पर उन्हें नजरअंदाज कर आप व्यायाम करें. कल को यही लोग आप को सराहेंगे. इसलिए डिगें नहीं और न ही अपना आत्मविश्वास खोएं. बीत गए वे दिन जब युवतियां हीनभावना, कुंठा के कारण संकोचवश मनमाफिक खेलकूद या अन्य गतिविधियों में हिस्सा नहीं ले पाती थीं. आज शरीर को आकर्षक व फिट रखने के लिए युवतियों ने स्वयं ही आगे बढ़ कर अपने लिए तंदुरुस्ती के दरवाजे खोल लिए हैं. हैल्थ के प्रति युवतियों की बढ़ती जागरूकता ने यह साबित कर दिया है कि अच्छी हैल्थ सिर्फ युवकों की बपौती नहीं. अत: फिटनैस के मामले में संकोच, झिझक को कहें ना और सेहत को कहें हां.

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