दर्द हमारे जीवन का एक अभिन्न भाग है. हर कोई कभी न कभी, कहीं न कहीं, किसी न किसी प्रकार के दर्द से अवश्य ही जूझता है. कमर दर्द, दांत दर्द, गरदन दर्द तो ऐसे आम दर्द हैं जिन की शिकायत रोजाना सुनने को मिल जाती है. ऐसा ही एक आमतौर पर उभरने वाला दर्द है, सिरदर्द. हम अकसर ही सिरदर्द से परेशान हो जाते हैं. वैसे तो सिरदर्द को सामान्य ही समझा जाता है लेकिन हर मामले में अकसर होने वाला सिरदर्द आम नहीं होता है. वास्तव में, बहुत सी बड़ी बीमारियों का आगाज सिरदर्द से ही होता है. ऐसी ही एक गंभीर बीमारी है माइग्रेन, जिसे आम बोलचाल की भाषा में अर्धकपारी भी कहा जाता है.
यह आमतौर पर कुछ घंटों में दूर हो जाता है और इस के लक्षणों में जी मिचलाना, उलटी होना, रोशनी को देख कर घबराहट होना, शोर या किसी भी प्रकार की खुशबू से चिढ़न होना, गरदन या कंधे में दर्द या उन्हें मोड़ने में दर्द होना, दृष्टि संबंधी समस्याएं, पेट में गड़बड़ी, उबासी लेने में दबाव, मुंह का सूखना व कंपकंपी उठना आदि शामिल हैं. ऐसे कारक जिन से माइग्रेन के उत्पन्न होने के खतरे अधिक रहते हैं वे हैं :चौकलेट, शराब, चीज, नट्स का सेवन, दुर्गंध, हार्मोनल बदलाव, शोरशराबा, तेज रोशनी, तनाव, मौसम में बदलाव, सोने के तरीकों में बदलाव, व्यायाम, धूम्रपान, आहार को मिस करना आदि.
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न्यूरो स्पाइन सर्जन डा. सतनाम सिंह छाबड़ा के अनुसार माइग्रेन के कई प्रकार होते हैं :
साधारण माइग्रेन :
यह ऐसा सिरदर्द होता है जो बिना किसी आहट के शुरू होता है. इस सिरदर्द के शुरू होने से पहले इस के कोई लक्षण नहीं उभरते, जैसा कि अन्य प्रकार के माइग्रेन में होता है.
क्लासिक माइग्रेन :
इस में सिरदर्द शुरू होने से पहले कई अन्य लक्षण उभरने लगते हैं जैसे धुंधली दृष्टि, ठीक से सुनाई न देना, देखते समय अजीबअजीब सी आकृतियों का दिखाई देना आदि. सिरदर्द शुरू होने से तकरीबन आधा घंटा पहले ये लक्षण उभर सकते हैं.
रीबाउंड सिरदर्द :
जब पीडि़त पर दवाओं का असर न हो और सिरदर्द बरकरार रहे तो डोज बढ़ा कर ले ली जाती है. इस से कुछ समय तक तो उन दवाओं का असर दिखता है लेकिन आगे चल कर दवाओं के बढ़ाए डोज का भी कोई असर नहीं होता है. एक सप्ताह में यह दर्द 2 से 3 बार तक हो सकता है.
औक्युलर माइग्रेन :
इस माइग्रेन के दौरान आंखों की रक्तवाहिनियां प्रभावित होती हैं न कि सिर की कोई रक्तवाहिनी. इस से पीडि़त को देखने में समस्या होती है. आंखों में अजीब सा प्रकाश दिखने लगता है. यह समस्या 15 से 20 मिनट तक रहती है फिर सब सामान्य हो जाता है लेकिन बहुत से लोगों को इस के बाद हलके सिरदर्द की शिकायत होती है.
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औफ्थैल्मिक माइग्रेन :
इस का संबंध भी आंखों की मध्य नसों से ही होता है. इस में सिरदर्द भी होता है और पीडि़त को उलटी भी होती है. जैसेजैसे सिरदर्द बढ़ता है वैसेवैसे आंखों की कुछ नसें पैरालिटिक हो जाती हैं. ऐसे में आंखों की पलकें लटक जाती हैं.
सिरदर्द रहित माइग्रेन :
माइग्रेन के इस प्रकार में पीडि़त को सिरदर्द तो नहीं होता लेकिन अन्य लक्षण थोड़ी देर के लिए परेशान कर सकते हैं. ये उन लोगों को होता है जिन का इतिहास माइग्रेन से ग्रस्त रहा हो.
बेसिलर आर्टरी :
इस में मस्तिष्क की धमनी में दर्द की वजह से सिरदर्द उत्पन्न हो सकता है. इस से बोलने व देखने में तकलीफ हो सकती है. बड़ों से ज्यादा बच्चे इस से प्रभावित होते हैं.
कैरोटिडाइनिया :
इस में चेहरे का आधा भाग प्रभावित होता है जैसे जबड़े व गरदन का भाग. यह दर्द तीव्र व भयानक भी हो सकता है या फिर कम व हलका भी हो सकता है. कैरोटिड रक्तवाहिनी में सूजन भी हो सकती है. यह बुजुर्गों में अधिक पाया जाता है. इस का असर कई घंटों तक रह सकता है और यह सप्ताह में एक से ज्यादा बार तक हो सकता है.
डा. सतनाम सिंह छाबड़ा के मुताबिक, माइग्रेन के उचित उपचार के लिए कुछ परीक्षणों की आवश्यकता होती है जिस में रक्त की जांच, ब्रेन स्कैनिंग (सीटी या एमआरआई व स्पाइनल टेप) शामिल हैं.
खास बातें :
माइग्रेन के मरीज को समय पर सोना व जागना चाहिए. नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए. बहुत ज्यादा देर तक भूखे नहीं रहना चाहिए. तनाव को नियमित व्यायाम के द्वारा नियंत्रित करना चाहिए. बहुत तेज व चुभने वाली रोशनी से बचना चाहिए. उन चीजों को पहचान कर उन से बचना चाहिए जिन से यह समस्या होने की संभावना हो.