12 साल का का मिहिर स्कूल से घर आ कर बाथरूम में फ्रैश होने गया, तो वहीं से उस ने अपनी मम्मी को आवाज दी. मां ने सोचा कि हमेशा की तरह ही वह बुला रहा है. पहले तो उन्होंने ध्यान नहीं दिया. पर जब कोई हलचल सुनाई नहीं पड़ी तो वे भाग कर बाथरूम के पास गईं, देखा कि बाथरूम का दरवाजा खुला है और बेटा नीचे गिरा पड़ा है. उन्होंने फौरन पड़ोस की एक महिला को बुलाया और दोनों ने मिहिर को उठाया व उसे कमरे में ले आईं. उन्होंने तुरंत उस के हाथपांव पोंछे तो पता चला कि उस का बांया हाथ व पांव हरकत नहीं कर पा रहा था. दरअसल बाएं हाथ व पांव में लकवा आ गया था. वे उसे नजदीकी डाक्टर के पास ले गईं. डाक्टर ने प्रारंभिक जांच के बाद कुछ दवाइयां दीं, जिन का कुछ खास असर नहीं पड़ा. वे बच्चे को अस्पताल ले गईं जहां उसे फिजियोथेरैपी द्वारा ठीक किया गया. अब वह एकदम सामान्य है और अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी कर रहा है.

इस तरह का अचानक स्ट्रोक बच्चों में आना कोई मानसिक तनाव या शारीरिक वजह नहीं है. पहले इस तरह के स्ट्रोक का पता नहीं चल पाता था जिस से बच्चा कम उम्र से ही शारीरिक रूप से अपंग हो जाता था. लेकिन आजकल कई इलाज उपलब्ध हैं जिन से बच्चे को सामान्य बनाया जा सकता है. ये सभी लक्षण डैवलपमैंट डिसऔर्डर या विकास संबंधी विकार के अंतर्गत आते हैं. इन्हें कम उम्र में ही अगर ठीक किया जाता है तो बच्चा सामान्य जिंदगी जी सकता है. इस बारे में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल की पीडियाट्रिक न्यूरोलौजिस्ट डा. प्रज्ञा गाडगिल कहती हैं, ‘‘सब से पहले यह समझना आवश्यक है कि विकासात्मक विकार है क्या? यह एक प्रकार का डिसऔर्डर है जो बचपन में बच्चों की कुछ न्यूरोलौजिकल समस्या की वजह से होता है.

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