कोरोना से जूझ रही देश की जनता अब नई बीमारी म्यूकर माइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चपेट में है. यह दुर्लभ किस्म की बीमारी कोरोना से उबरे उन मरीजों में तेजी से पनप रही है, जिनके इलाज में स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल हुआ है. कोरोना से रिकवर हो चुके कई लोगों के लिए यह दुर्लभ संक्रमण जानलेवा साबित हो रहा है. ओडिशा में इसका पहला केस मिला था. इसके बाद गुजरात और राजस्थान में सामने आने के बाद पूरे देश से ब्लैक फंगल इन्फेक्शन के केस सुनायी देने लगे हैं. मध्य प्रदेश के जबलपुर से महाराष्ट्र के ठाणे तक में इस वजह से लोगों की जानें जा रही हैं. सबसे ज़्यादा उत्तर भारत में इसका प्रकोप है. उत्तर प्रदेश में तो ब्लैक फंगस कहर बनने की राह पर है. यहाँ इस बीमारी के 73 मरीज मिले हैं. कानपुर में ब्लैक फंगल इन्फेक्शन से पीड़ित दो मरीजों की मौत हो चुकी है. मथुरा में दो और लखनऊ में एक मरीज की आंखों की रोशनी पूरी तरह जा चुकी है. लखनऊ केजीएमयू नेत्र रोग विभाग के डॉ. संजीव कुमार गुप्ता के मुताबिक ब्लैक फंगस की चपेट में आए आठ मरीज केजीएमयू में भर्ती हैं. इनकी आंखों की रोशनी पर असर आ चुका है. जरूरी दवाएं दी जा रही हैं. इनमें तीन मरीजों की रोशनी काफी हद तक प्रभावित है. सर्वाधिक 20 मरीज वाराणसी में सामने आए हैं. हैवी स्टेरॉयड लेने वाले कोरोना मरीज इस वक़्त हाई रिस्क पर हैं.

ब्लैक फंगल इनफेक्शन या विज्ञान की भाषा में म्यूकर माइकोसिस कोई रहस्यमय बीमारी नहीं है, लेकिन ये अभी तक दुर्लभ बीमारियों की श्रेणी में गिनी जाती थी. भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद के मुताबिक म्यूकर माइकोसिस ऐसा दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. इस बीमारी से साइनस, दिमाग, आंख और फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है. यह संक्रमण मस्तिष्क और त्वचा पर काफी बुरा असर डालते हैं. इसमें त्वचा काली पड़ जाती है, वहीँ कई मरीजों की आंखों की रौशनी चली जाती है. संक्रमण की रोकथाम समय पर ना हो पाए तो मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है. समय रहते इलाज न मिले तो मरीज की मौत भी हो सकती है.

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