क्या आप का भी पूरा दिन मोबाइल पर कभी कौल, कभी व्हाट्सएप, कभी फेसबुक तो कभी इंस्टाग्राम पर स्क्रोलिंग करते हुए बीतता है और आप को किसी एक काम पर फोकस ही नहीं कर पाने की समस्या हो रही है तो आप का दिमाग पौपकौर्न ब्रेन सिंड्रोम का शिकार हो चुका है.
एक रिसर्च के अनुसार जब किसी व्यक्ति का किसी भी चीज को देखने का ध्यान बनाए रखने की क्षमता कम हो जाती है तो वह पौपकौर्न सिंड्रोम का शिकार माना जा सकता है. जहां 2004 में टीवी देखते हुए चैनल बदलने के लिए कोई व्यक्ति ढाई मिनट लगाता था वहीं 2012 में यह टाइम स्पैन कम हो कर सवा मिनट हो गया और आज 2024 में मोबाइल या टीवी की स्क्रीन पर यह स्पैन सिर्फ 47 सैकंड रह गया है यानी महज 47 सैकंड बाद उस का दिमाग दूसरी किसी चीज को देखने या सुनने की मांग करता है.
पौपकौर्न ब्रेन के लक्षण
एक्स्पर्ट्स के अनुसार पौपकौर्न ब्रेन के शिकार लोग किसी काम पर फोकस नहीं कर पाते हैं. अगर इस का सही समय पर इलाज न हो तो धीरेधीरे लर्निंग और मैमोरी पर भी नैगेटिव असर पड़ता है. साथ ही, इस से व्यक्ति के इमोशन पर भी असर पड़ता है. पौपकौर्न ब्रेन सिंड्रोम में व्यक्ति का दिमाग अस्थिर रहता है, जिस की वजह से वह जरूरी चीजों को फोकस नहीं कर पाता है.
वहीं कई लोगों में एंग्जायटी की भी परेशानी देखने को मिली है. पौपकौर्न ब्रेन में दिमाग डिजिटल दुनिया की तरह मल्टीटास्किंग और स्क्रोलिंग का आदी हो जाता है और दिमाग काम करने के दौरान वैसे ही रिऐक्ट करता है और आप के विचार पौपकौर्न की तरह इधरउधर घूमने लगते हैं. इस सिंड्रोम का असर दिमाग की कार्यक्षमता पर पड़ता है, जिस की वजह से व्यक्ति को कई बार सामने रखी हुई चीजें भी नहीं मिलती हैं. इस के अलावा व्यक्ति याद की हुई चीजों को तुरंत ही भूल जाता है.
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