बीसीसीआई द्वारा लोढ़ा कमिटी की सभी सिफारिशें न मानने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई को कोर्ट ने 9 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है. बीसीसीआई, लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को मानने में लगातार आनाकानी कर रहा है. जबकि सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह साफ कर चुका है कि बोर्ड को किसी भी सूरत में लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को मानना ही होगा.

कुछ दिन पहले जस्टिस लोढ़ा ने शीर्ष अदालत से बोर्ड के कामकाज की देखरेख के लिए पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लै को इसका पर्यवेक्षक नियुक्त करने का भी अनुरोध किया था.

इस मामले पर कोर्ट को अब यह तय करना है कि क्या क्रिकेट के लिए बीसीसीआई प्रशासक नियुक्त किया जाए या फिर बीसीसीआई को और वक्त दिया जाए. इससे पहले लोढ़ा पैनल की सिफारिशें न मानने तक बीसीसीआई द्वारा राज्य क्रिकेट संघों को किसी भी तरह का फंड जारी करने पर रोक है.

इस रोक के चलते भारत में क्रिकेट खेलने आई इंग्लैंड की टीम भी आर्थिक संकट से जूझ रही है. बोर्ड ने इंग्लिश खिलाड़ियों और टीम मैनेजमेंट को फंड जारी करने को लेकर अपनी विवशता दिखाई थी.

उल्लेखनीय है कि लोढ़ा कमिटी बीसीसीआई की रूप-रेखा पूरी तरह से बदलना चाहती है. बीते साल जुलाई में जस्टिस लोढ़ा समिति ने अपनी रिपोर्ट का पहला हिस्सा जारी किया था, जिसके बाद से बीसीसीआई में हलचल मची है.

लोढ़ा कमिटी बोर्ड में अधिक उम्र के अधिकारियों को नहीं चाहती और वह राज्य संघों में भी एक ही क्रिकेट संघ को चाहती है, जो पूर्ण सदस्य हो और उसे वोट देने का अधिकार हो. इसके अलावा पैनल की ऐसी और भी कई शर्ते हैं, जिन्हें बीसीसीआई मानने पर राजी नहीं हो पा रही है.

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