तमिलनाडु में जन्मी और भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान शांता रंगास्वामी भारत की पहली महिला क्रिकेटर हैं. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमैंट पुरस्कार से नवाजा है.

रंगास्वामी ने 12 टैस्ट मैचों और 16 एकदिवसीय मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की है. बीसीसीआई ने महिला क्रिकेटरों के लिए लाइफटाइम अचीवमैंट पुरस्कार की शुरुआत इसी वर्ष की है. इस पुरस्कार को पाने वाली शांता रंगास्वामी पहली महिला खिलाड़ी हैं. उन्होंने टैस्ट क्रिकेट में 32 के औसत से 750 रन बनाए. उन के नाम 1 शतक और 6 अर्धशतक हैं. वहीं एकदिवसीय मैचों में उन्होंने 287 रन बनाए. 50 रन उन का सर्वश्रेष्ठ व्यक्तिगत स्कोर है.

इस वर्ष जून में महिला विश्वकप का आयोजन इंगलैंड में हो रहा है और पुरुषों के क्रिकेट वर्ल्डकप से पहले महिला विश्वकप का आयोजन हो रहा है. ऐसे समय में बीसीसीआई ने इस तरह का पुरस्कार दे कर सराहनीय काम किया है. शांता का मानना है कि यह अच्छा एहसास है कि महिला क्रिकेटरों को आखिरकार वह मिल रहा है जिस की वे हकदार हैं.

बीसीआई ने, देर से ही सही यह पहल की है तो इस से महिला खिलाडि़यों को प्रोत्साहन मिलेगा. वैसे देखा जाए तो एक तरफ भारतीय महिला क्रिकेट टीम दर्शकों के आकर्षण और दिलचस्पी की बाट जोह रही है वहीं दूसरी तरफ बीसीसीआई महिलाओं के साथ हमेशा से भेदभाव करता आया है. महिला टीम की कप्तान मिताली राज के अलावा कई पूर्व क्रिकेटरों ने भी गाहेबगाहे इस बात को उठाया भी है पर बीसीसीआई को इस से कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि महिला क्रिकेट टीम से उस की कोई खास आमदनी होती नहीं.

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