लेखक-डा. राकेश सेंगर, अभिषेक सिंह, आलोक कुमार सिंह
हमारे देश के तकरीबन 64 फीसदी लोग किसी न किसी रूप से कृषि से जुड़े हैं. इस में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. नए दौर में कृषि का सही तरीके से अध्ययन कर के आप एक अच्छा कैरियर बना सकते हैं.
12वीं पास होने के बाद छात्र बहुत परेशान से रहते हैं कि आगे चल कर किस फील्ड को चुनें, जिस से बेहतर रोजगार मिल सके. किसी से पूछने पर अधिकतर लोग इंजीनियरिंग, डाक्टर आदि जैसे कोर्स या डिगरी करने की सलाह ही देते हैं, लेकिन आप के पास इस के अलावा भी विकल्प मौजूद हैं.
जैसा कि आप को पता ही है कि किसी भी व्यक्ति की प्रारंभिक जरूरतें रोटी, कपड़ा और मकान हैं. अगर आप इन से जुड़े कोई कोर्स करना चाहते हैं, तो आप एक अच्छाखासा रोजगार तलाश सकते हैं.
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एग्रीकल्चर यानी कृषि का नाम सुनते ही मन में बस एक ही बात आती है कि क्या इतना पढ़ कर किसान बनेंगे? तो हम आप की इस सोच को बदलना चाहेंगे कि एग्रीकल्चर का मतलब केवल पारंपरिक किसान बनना ही नहीं, बल्कि इस क्षेत्र में तकनीक से जुड़े अनेक विषय हैं, जिन की पढ़ाई कर के आजकल के युवा अपना कैरियर बना सकते हैं.
एग्रीकल्चर क्या है क्या : यह शब्द एक लैटिन शब्द है. यह 2 शब्दों से मिल कर बना है, ‘एगर’ और ‘कल्चर’. ‘एगर’ का मतलब होता है ‘मिट्टी’ और ‘कल्चर’ का मतलब होता है ‘संस्कृति’. दूसरे शब्दों में, ‘पौधों या पशुओं से संबंधित उत्पादों की खेती करना या उत्पादन करना एग्रीकल्चर कहलाता है.’
एग्रीकल्चर या कृषि के अंतर्गत फसल उत्पादन, पशुपालन और डेरी विज्ञान, कृषि रसायन और मृदा विज्ञान, बागबानी, कृषि अर्थशास्त्र, कृषि इंजीनियरिंग, वनस्पति विज्ञान, प्लांट पैथोलौजी, विस्तार शिक्षा और विज्ञान जैसे अनेक विषय शामिल हैं. ये कोर्स भी अब अपनी अलगअलग शाखाओं में विस्तार कर रहे हैं और देश के अनेक कृषि विश्वविद्यालय में इन विषयों को पढ़ाया जाता है.
खास एग्रीकल्चर कोर्स
एग्रीकल्चर कोर्सों में डिप्लोमा, स्नातक और परास्नातक डिगरी शामिल हैं. इन कोर्सों में छात्रों को कृषि और बागबानी की मूल बातें सिखाई जाती हैं. साथ ही, ‘एग्रीकल्चर को व्यवसाय कैसे बनाना है’ आदि भी सिखाते हैं. आधुनिक तरीके से फसलों की खेती कर के और कृषि उत्पादों की मार्केटिंग कर के भी अपना बेहतर भविष्य बना कर अच्छी आमदनी कमा सकते हैं.
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विज्ञान की ही एक प्रमुख विधा कृषि विज्ञान है जिस में कृषि उत्पादन, खाद्य पदार्थों की आपूर्ति, फार्मिंग की क्वालिटी सुधारने, क्षमता बढ़ाने आदि के बारे में बताया जाता है. इस का सीधा संबंध बायोलौजिकल साइंस से है. इस में बायोलौजी, फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मैथमैटिक्स के सिद्धांतों को शामिल करते हुए कृषि क्षेत्र की समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जाता है.
प्रोडक्शन तकनीक को बेहतर बनाने के लिए ‘रिसर्च एवं डवलपमैंट’ को इस सिलेबस में शामिल किया गया है. इस की कई शाखाएं प्लांट साइंस, फूड साइंस, एनिमल साइंस व सौयल साइंस आदि हैं, जिन में स्पैशलाइजेशन कर इस क्षेत्र का जानकार बना जा सकता है.
कृषि के क्षेत्र में कैरियर बनाने के इच्छुक छात्रों को बौटनी, फिजिक्स, कैमिस्ट्री व गणित की जानकारी होना बहुत जरूरी है. ऐसे कई अंडरग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, डिप्लोमा
6 डौक्टरल कोर्स हैं, जो एग्रीकल्चर साइंस की डिगरी प्रदान करते हैं.
एग्रीकल्चर में पढ़ने के क्षेत्र
प्राकृतिक संसाधन : इस कोर्स में वानिकी (वन विज्ञान), मिट्टी और वन्यजीव से जुड़े विषयों को पढ़ाया जाता है. छात्रों को ऊर्जा स्रोतों, जैसे कि इलैक्ट्रिक मोटर्स और कंबशन इंजन और साथ ही सरकारी नियमों और कार्यक्रम, जो प्राकृतिक संसाधन संरक्षण से संबंधित हैं आदि की जानकारी दी जाती है.
मूल बागबानी : बागबानी एक ऐसा विज्ञान है, जो पौधों की बागबानी और प्राकृतिक विकास का अध्ययन करता है. इस कोर्स में छात्रों को पौधे की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करने का कौशल विकसित करने में मदद मिलती है. अध्ययन के विशिष्ट विषयों में पौध उत्पादन, छंटाई, पौधे की वृद्धि और भंडारण प्रक्रियाओं के नियम शामिल हैं.
जंतु विज्ञान : एग्रीकल्चर कोर्स पर फोकस करते हुए पशु विज्ञान पर भी ध्यान दे सकते हैं. इस में सभी जानवरों पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में बताया जाता है. घोड़ों, गायों और खेती से जुड़े दूसरे जानवरों के बारे में पढ़ाई होती है.
इस कोर्स में छात्र जैविक नजरिए से पशु विकास के बारे में जान सकते हैं जैसे पशु उत्पादों, पशु आहार और पशु प्रजनन में इस के विशिष्ट विषय हैं. पशु विज्ञान पाठ्यक्रम के दौरान छात्र पशु उद्योग के इतिहास, पशु रोग और पशु पालन में वर्तमान रुझान भी सीखते हैं.
मिट्टी और कीटनाशक : कृषि के छात्रों को मिट्टी और कीटनाशकों के बारे में जानने के लिए रासायनिक प्रक्रिया और प्रभाव को समझाया जाता है कि कौन से तत्त्व फसल विकास के लिए अच्छे हैं. मिट्टी और कीटनाशक के कोर्स में पानी और मिट्टी, उर्वरक उपयोग और मिट्टी के निर्माण का संरक्षण शामिल है.
यह एक ऐसा पाठ्यक्रम है, जो व्याख्यान और प्रयोगशाला में सिखाया जाता है, ताकि छात्र इन चीजों को अच्छी तरह से समझ सकें और अपने कौशल को विकसित
कर सकें.
खाद्य सिस्टम : चाहे कृषि उत्पाद में फसल या पशु भोजन, किसानों और दूसरे लोगों को उपलब्ध कराया जाए, उन्हें यूएस खाद्य प्रणाली और प्रक्रियाओं की एक मजबूत समझ की आवश्यकता है. इस कोर्स में छात्र अमेरिकी खाद्य प्रणाली का अध्ययन करते हैं, क्योंकि यह वर्तमान अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य कारकों और विनियामक कानूनों से संबंधित हैं. अध्ययन के विशिष्ट विषयों में राजनीतिक व्यवस्था, स्वास्थ्य, पर्यावरण, खाद्य खुदरा बिक्री और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नियम शामिल हो सकते हैं.
एग्रीकल्चर सर्टिफिकेट कोर्स
(अवधि 1-2 साल)
10वीं या 12वीं जमात के बाद आप एग्रीकल्चर सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकते हैं:
* सर्टिफिकेट इन एग्रीकल्चर साइंस
* सर्टिफिकेट इन फूड एंड बेवरीज सर्विस
* सर्टिफिकेट इन बायोफर्टिलाइजर प्रोडक्शन
एग्रीकल्चर डिप्लोमा कोर्स
(अवधि 2 साल)
इस कोर्स में दाखिले के लिए साइंस, कृषि, गणित में 50 फीसदी अंकों के साथ 12वीं पास होना जरूरी है.
* डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर
* डिप्लोमा इन एग्रीकल्चर एंड अलाइड प्रैक्टिस
* डिप्लोमा इन फूड प्रोसैसिंग
स्नातक कोर्स (अवधि 4 साल)
इस के बैचलर कोर्स (बीएससी इन एग्रीकल्चर) में दाखिले के लिए साइंस, कृषि, गणित के साथ 50 फीसदी अंकों के साथ 12वीं पास होना जरूरी है.
* बीटैक इन एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग
* बीटैक इन एग्रीकल्चरल इनफौर्मेशन टैक्नोलौजी
* बीटैक इन एग्रीकल्चर एंड डेरी टैक्नोलौजी
* बीटैक इन एग्रीकल्चरल एंड फूड इंजीनियरिंग
बीएससी बैचलर औफ साइंस (बीएससी):
इस के लिए 12वीं (विज्ञान, कृषि, गणित) उत्तीर्ण होना आवश्यक है.
* बीएससी इन एग्रीकल्चर
* बीएससी (औनर्स) इन एग्रीकल्चर
* बीएससी इन क्रौप साइकोलौजी
* बीएससी इन डेरी साइंस
* बीएससी इन फिशरीज साइंस
* बीएससी इन प्लांट साइंस
* बीएससी इन बागबानी
* बीएससी इन वानिकी
* बीएससी-एग्रीकल्चर जैव प्रौद्योगिकी
बीबीए इन एग्रीकल्चर मैनेजमैंट
(कोर्स की अवधि 4 साल)
बीबीए (बैचलर औफ बिजनैस एडमिनिस्ट्रेशन). यह एक स्नातक स्तर का प्रबंधन कार्यक्रम है. इस कोर्स को करने के लिए 12वीं होना आवश्यक है.
परास्नातक (कोर्स अवधि 2 साल)
मास्टर डिगरी, पीजी डिप्लोमा और पीजी प्रमाणपत्र कार्यक्रम पीजी (स्नातकोतर) स्तर पाठ्यक्रम हैं. बैचलर डिगरी कोर्स पूरा करने वाले उम्मीदवार इन पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने के पात्र हैं:
* एमएससी इन एग्रीकल्चर बायोलौजिकल साइंस
* एमएससी इन एग्रीकल्चर बौटनी
* एमएससी इन एग्रीकल्चर सस्य विज्ञान
* एमएससी इन एग्रीकल्चर प्लांट जैनेटिक्स
* एमएससी इन एग्रीकल्चर मृदा विज्ञान
* एमएससी इन एग्रीकल्चर कीट विज्ञान
* एमएससी इन एग्रीकल्चर कृषि अर्थशास्त्र
* एमएससी इन एग्रीकल्चर कृषि मौसम विज्ञान
* एमएससी इन एग्रीकल्चर प्लांट पैथोलौजी
* एमएससी इन एग्रीकल्चर कृषि विस्तार
* एमएससी इन एग्रीकल्चर बायोटैक्नोलौजी
* एमएससी इन एग्रीकल्चर बागबानी
डाक्टरल कोर्स (कोर्स की अवधि
3 साल या उस से ज्यादा)
पीएचडी एक शोध आधारित डाक्टरेट कार्यक्रम है. ऐसे उम्मीदवार, जिन्होंने पीजी कोर्स पूरा कर लिया है, वे इसे आगे बढ़ाने के पात्र हैं :
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर बायोटैक्नोलौजी
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चरल एंटोमोलौजी
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर बायोलौजिकल साइंस
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर बौटनी
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर सस्य विज्ञान
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर प्लांट जैनेटिक्स
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर मृदा विज्ञान
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर कीट विज्ञान
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर कृषि अर्थशास्त्र
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर कृषि मौसम विज्ञान
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर प्लांट पैथोलौजी
* डाक्टर औफ फिलोसफी इन एग्रीकल्चर कृषि विस्तार
दलहनी के बाद खुलते रास्ते
कृषि में 12वीं के बाद कैरियर बनाने के रास्ते खुल जाते है. इस में बीएससी से ले कर पीएचडी तक के कोर्स उपलब्ध हैं. ग्रेजुएशन में प्रवेश 12वीं के बाद मिलता है. इस के बाद विभिन्न विषयों से पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी हो सकती है.
इस में दाखिला लेने के बाद विषयों पर अच्छी पकड़ होना चाहिए, क्योंंकि प्रवेश एग्जाम के आधार पर अच्छी यूनिवर्सिटी या कालेज में अध्ययन के लिए दाखिला मिल सकता है.
इन सभी कोर्स को करने के लिए प्रमुख स्टेट, सैंट्रल, डीम्डटूबी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी निम्नलिखित हैं:
केंद्रीय विश्वविद्यालय कृषि संकाय के साथ
* बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश.
* अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश.
* विश्व भारती, शांति निकेतन, पश्चिम बंगाल
* नागालैंड विश्वविद्यालय, मेडिजिपहर्मा, नागालैंड
डीम्डटूबी यूनिवर्सिटीज
* भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली-110012
* भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली-243122, उत्तर प्रदेश
* राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान, करनाल-132001, हरियाणा
* केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान, मुंबई-400061, महाराष्ट्र
राज्यवार कृषि विश्वविद्यालय
आंध्र प्रदेश
२ आचार्य एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय, गुंटूर
२ डा. वाईएसआर होर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी
२ श्री वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, तिरुपति
असम
२ असम कृषि विश्वविद्यालय, जोरहाट
बिहार
२ बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर
२ बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना
छत्तीसगढ़
२ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर
२ छत्तीसगढ़ कामधेनु विश्वविद्यालय, दुर्ग
गुजरात
२ सरदार कृषिनगर दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय, दांतीवाड़ा
२ आनंद कृषि विश्वविद्यालय, आनंद
२ नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी
२ जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय, जूनागढ़
२ कामधेनु विश्वविद्यालय, गांधीनगर
हरियाणा
२ चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार
२ लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, हिसार
२ हरियाणा राज्य बागबानी विज्ञान संस्थान, करनाल
हिमाचल प्रदेश
२ चौ. सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर
२ डा. यशवंत सिंह परमार बागबानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सोलन
झारखंड
२ बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची
जम्मू और कश्मीर
२ शेर ए कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, श्रीनगर
२ शेर ए कश्मीर कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू
कर्नाटक
२ कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, बैंगलुरु
२ कर्नाटक पशु चिकित्सा, पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, बीदर
२ कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, रायचूर
२ कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़
२ बागबानी विज्ञान विश्वविद्यालय, बगलकोट
२ कृषि और बागबानी विज्ञान विश्वविद्यालय, शिमोगा
केरल
२ केरल कृषि विश्वविद्यालय, त्रिशूर
२ केरल यूनिवर्सिटी औफ फिशरीज ऐंड ओशन स्टडीज, पनांगड, कोच्चि
२ केरल पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पूकोड, वायानंद, केरल
मध्य प्रदेश
२ राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर
२ नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, जबलपुर
२ जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर
महाराष्ट्र
२ डाक्टर बालासाहिब सावंत कोकन कृषि विद्यापीठ, दापोली
२ महाराष्ट्र पशु और मत्स्य पालन विज्ञान विश्वविद्यालय, नागपुर
२ वसंतराव नायक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ, परभणी
२ माततम फुले कृषि विद्यापीठ, राहुरी
२ डाक्टर पंजाबराव देशमुख कृषि विद्या विद्यालय, अकोला
ओडिशा
२ ओडिशा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर
पंजाब
२ गुरु अंगद देव वैटरनरी ऐंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना
२ पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना
राजस्थान
२ महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर
२ स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर
२ राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर
२ एसकेएन कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर
२ कृषि विश्वविद्यालय, कोटा
२ कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर
तमिलनाडु
२ तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयंबटूर
२ तमिलनाडु पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, चेन्नई
२ तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय, नागपट्टिनम
तेलंगाना
२ श्री कोंडा लक्ष्मण तेलंगाना राज्य बागबानी विश्वविद्यालय, हैदराबाद
२ श्री पीवी नरसिम्हा राव तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, हैदराबाद
२ प्रोफैसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय, हैदराबाद
उत्तराखंड
२ जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर
२ वीसीएसजी उत्तराखंड बागबानी और वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार
उत्तर प्रदेश
२ चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कानपुर
२ नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फैजाबाद
२ सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवंम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ
२ पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा.
२ बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा
२ सैम हिगिनबौटम कृषि विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान, इलाहाबाद
पश्चिम बंगाल
२ विधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, मोहनपुर
२ पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, कोलकाता
२ उत्तर बंगा कृषि विश्वविद्यालय, कूचबिहार
कृषि क्षेत्र में रोजगार
मैनेजमैंट में पीजी डिप्लोमा इन एग्री वाटर मैनेजमैंट कृषि विज्ञान के क्षेत्र में प्रोफैशनल्स का वेतन उन की योग्यता, संस्थान और काम करने के अनुभव पर निर्भर करता है.
सरकारी क्षेत्र में कदम रखने वाले ग्रेजुएट प्रोफैशनल्स को प्रारंभ में 20-25 हजार प्रति माह मिलते हैं. कुछ साल के अनुभव के बाद यह राशि 40-50 हजार प्रतिमाह हो जाती है, जबकि प्राइवेट सैक्टर में प्रोफैशनल्स की स्किल्स के हिसाब से वेतन दिया जाता है.
यदि आप अपना फर्म या कंसल्टैंसी सर्विस खोलते हैं, तो आमदनी की रूपरेखा, फर्म के आकार व स्वरूप पर निर्भर करती है. टीचिंग व रिसर्च के क्षेत्र में भी अच्छी तनख्वाह मिलती है. कृषि विज्ञान में डिगरी/डिप्लोमा कोर्स करने के बाद निम्नलिखित पदों पर नियुक्ति हो सकती हैं:
* एग्रीकल्चर ऐक्सटैंशन औफिसर
* रूरल डवलपमैंट औफिसर
* फील्ड औफिसर
* एग्रीकल्चर क्रेडिट औफिसर
* एग्रीकल्चर प्रोबेशनरी औफिसर
* प्लांट प्रोटैक्शन औफिसर
* सीड प्रोडक्शन औफिसर
* प्लांट पैथोलौजिस्ट
* एग्रीकल्चर असिस्टैंट/ टैक्निकल असिस्टेंट
इन सभी कोर्सों में दाखिला प्रवेश प्रक्रिया के बाद मिलता है. प्रवेश परीक्षाएं संबंधित संस्थान, यूनिवर्सिटी अथवा इंडियन काउंसिल औफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर), नई दिल्ली द्वारा कराई जाती हैं.
आईसीएआर से मान्यताप्राप्त संस्थान आईसीएआर के अंक को आधार बना कर प्रवेश देते हैं. आईसीएआर पोस्ट ग्रेजुएट के लिए फैलोशिप भी प्रदान करता है.
प्रवेश लेने का समय
बीएससी, एमएससी, पीएचडी, जैसे कोर्सों में सामान्य तौर पर दाखिले से संबंधित नोटिफिकेशन प्रत्येक साल के फरवरी से मार्च माह के बीच तक आ जाता है और इन की परीक्षा मई माह से जून माह के बीच करवाई जाती है. जुलाई माह के अंत तक दाखिले की प्रक्रिया चलती रहती है.
ध्यान देने योग्य बातें
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अनुमोदित कालेज में अध्ययन करना बेहतर है. इस के अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा मान्यता न प्राप्त करने वाले गैर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी या कालेज से बीएससी एग्रीकल्चर के छात्र एमएससी पीएचडी में प्रवेश लेने के अलावा कृषि अधिकारी (एओ) जैसी सरकारी नौकरियों के लिए पात्र नहीं होते हैं.
सरकार ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अनुमोदित यूनिवर्सिटी और कालेज से शिक्षा लिए छात्र ही केवल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे जूनियर रिसर्च फैलो, एमएससी के लिए सीनियर रिसर्च फैलो, पीएचडी में एडमिशन ले पाएंगे, इसलिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अनुमोदित यूनिवर्सिटी व कालेज से ही कृषि संबंधी शिक्षा लेना बेहतर है.