Download App

काटन कैंडी सब को लुभाए

तमाम मेलों से ले कर मौल्स तक में बुढि़या के बाल यानी काटन कैंडी का स्वाद सभी को लुभाता है. छोटे बच्चे तो इस के खास दीवाने होते ही?हैं, पर बड़े लोग भी इस का स्वाद लेने में पीछे नहीं रहते हैं. लोग 10 रुपए से ले कर 30 रुपए तक की अलगअलग आकार वाली काटन कैंडी खरीदते हैं. मेलों और मौल्स में काटन कैंडी की मशीन लगा कर इसे बनाया जाता है. घरों में मशीन लगा कर काटन कैंडी की छोटीछोटी चिडि़या बनाई जाती हैं. इन को गांवगांव गलीगली बांस के डंडों में टांग कर बेचा जाता है. यह चीनी से बनती है, इसलिए कुछ जगहों पर इसे चीनी की चिडि़या भी कहा जाता है

आमतौर पर बच्चे छोटीछोटी चिडि़या के आकार वाली काटन कैंडी को खूब पसंद करते हैं. काटन कैंडी रुई जैसी होती है. इसे रंगबिरंगी बनाने के लिए खाने वाले अलगअलग रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. ज्यादातर लोग पिंक कलर की काटन कैंडी पसंद करते हैं, लिहाजा पिंक कलर की काटन कैंडी ज्यादा बनती है. रुई जैसी मुलायम होने के कारण ही इसे काटन कैंडी कहा जाता है. बच्चे इसे बुढि़या के बाल के नाम से जानतेपहचानते हैं.

काटन कैंडी मशीन

काटन कैंडी बनाने में सब से जरूरी काटन कैंडी मशीन होती?है. यह बिजली से चलती है. इस के चारों तरफ लोहे की चादर लगी होती है. मशीन के बीच में ग्राइंडर लगा होता है. इस के चारों ओर बहुत ही छोटेछोटे छेदों वाली स्टील की चादर लगी होती है. ग्राइंडर के बीच में जब खाने के रंग मिली चीनी डाली जात है, तो ग्राइंडर में चीनी आटे जैसी महीन पिस जाती?है. यह खास किस्म का ग्राइंडर होता है, जो तेजी से गरम हो जाता है. ग्राइंडर के गरम होने से चीनी पिघल जाती है. पिघलने के बाद चीनी छोटेछोटे छेदों से हो कर रुई के आकार में बाहर निकलने लगती है. मशीन में चीनी डालने वाला कारीगर लकड़ी के एक टुकडे़ में इस रुई जैसी चीनी को फंसा कर कैंडी जैसा आकार देता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...

तमाम मेलों से ले कर मौल्स तक में बुढि़या के बाल यानी काटन कैंडी का स्वाद सभी को लुभाता है. छोटे बच्चे तो इस के खास दीवाने होते ही हैं, पर बड़े लोग भी इस का स्वाद लेने में पीछे नहीं रहते हैं. लोग 10 रुपए से ले कर 30 रुपए तक की अलगअलग आकार वाली काटन कैंडी खरीदते हैं. मेलों और मौल्स में काटन कैंडी की मशीन लगा कर इसे बनाया जाता है. घरों में मशीन लगा कर काटन कैंडी की छोटीछोटी चिडि़या बनाई जाती हैं. इन को गांवगांव गलीगली बांस के डंडों में टांग कर बेचा जाता है. यह चीनी से बनती है, इसलिए कुछ जगहों पर इसे चीनी की चिडि़या भी कहा जाता है. आमतौर पर बच्चे छोटीछोटी चिडि़या के आकार वाली काटन कैंडी को खूब पसंद करते हैं. काटन कैंडी रुई जैसी होती है. इसे रंगबिरंगी बनाने के लिए खाने वाले अलगअलग रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. ज्यादातर लोग पिंक कलर की काटन कैंडी पसंद करते हैं, लिहाजा पिंक कलर की काटन कैंडी ज्यादा बनती है. रुई जैसी मुलायम होने के कारण ही इसे काटन कैंडी कहा जाता है. बच्चे इसे बुढि़या के बाल के नाम से जानतेपहचानते हैं.

काटन कैंडी मशीन

काटन कैंडी बनाने में सब से जरूरी काटन कैंडी मशीन होती है. यह बिजली से चलती है. इस के चारों तरफ लोहे की चादर लगी होती है. मशीन के बीच में ग्राइंडर लगा होता है. इस के चारों ओर बहुत ही छोटेछोटे छेदों वाली स्टील की चादर लगी होती है. ग्राइंडर के बीच में जब खाने के रंग मिली चीनी डाली जाती है, तो ग्राइंडर में चीनी आटे जैसी महीन पिस जाती है. यह खास किस्म का ग्राइंडर होता है, जो तेजी से गरम हो जाता है. ग्राइंडर के गरम होने से चीनी पिघल जाती है. पिघलने के बाद चीनी छोटेछोटे छेदों से हो कर रुई के आकार में बाहर निकलने लगती है. मशीन में चीनी डालने वाला कारीगर लकड़ी के एक टुकडे़ में इस रुई जैसी चीनी को फंसा कर कैंडी जैसा आकार देता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...
अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें