इन दिनों कई जगहों पर गन्ने की उपज में गिरावट दर्ज की जा रही?है. इस की कई वजहें?हैं, जिन का यहां जिक्र किया जा रहा?है:

गेहूं काट कर देर से गन्ने की बोआई करना : गेहूं काटने के बाद गन्ना बोने में होने वाली देरी से नजात पाने के लिए किसान लाइन छोड़ कर पौधे लगाने के तरीके से गन्ने की बोआई कर के गन्न्ना फसल से पूरा फायदा ले सकते हैं. इस तरीके का इस्तेमाल करने के लिए किसान गेहूं की बोआई लाइन में सीडड्रिल से करें और गेहूं की 4 लाइनों के बाद 2 लाइनों की बोआई न करें. इस के लिए सीडड्रिल में इस तरह का इंतजाम करें कि 4 लाइनों के बाद 2 लाइनों में बीज न गिरें और इस तरह 2 लाइनों की खाली पड़ी जगह में मौसम के तापमान के अनुसार जनवरी के आखिर से 15 फरवरी तक फावड़े से गन्ने की बोआई करें. ध्यान रहे कि गेहूं की फसल को नुकसान न पहुंचे. छोटे व सीमांत किसानों के लिए यह तकनीक बहुत कारगर है, क्योंकि इस तकनीक से गन्ने की बोआई समय से की जा सकती है.

बीज उपचार किए बिना गन्ने की बोआई करना : गन्ने में लगने वाली ज्यादातर बीमारियों को बीज उपचार से आसानी से दूर किया जा सकता है, जबकि खड़ी फसल में इन का नियंत्रण करना मुश्किल होता है, इसलिए बीज से होने वाली बीमारियों व कीटों की रोकथाम के लिए बीज उपचार जरूर करें.

इस के लिए किसान फफूंदीनाशक कार्बंडाजिम 200 ग्राम और कीटनाशक इमिडाक्लोरप्रिड 50 मिलीलीटर को 100 लीटर पानी में घोल कर टुकड़ों को 10-15 मिनट तक डुबो कर उपचारित करें और जरूरत के हिसाब से इसी अनुपात में घोल बना कर उपचारित करते रहें. यदि बोआई के दिन काम ज्यादा हो तो यह काम 1 दिन पहले शाम को कर सकते हैं. आजकल कुछ चीनी मिलें मुफ्त में गरमनम तापमान द्वारा गन्ने के बीज उपचारित कर के किसानों को देती हैं. यह बीज उपचार के लिए अच्छी तकनीक है.

बोआई के समय खेत में नमी की कमी होना : जब बोआई कर रहे हों तो नाली में टुकड़ों को ज्यादा देर तक खुला न छोड़ें. बोआई के तुरंत बाद फावड़े से मिट्टी की हलकी परत से ढक दें. ज्यादा देर तक टुकड़ों को तेज धूप में खुला छोड़ने से टुकड़ों में पानी की मात्रा कम हो जाती है, जिस से जमाव प्रभावित होता है.

ट्रैंच विधि से बोआई करने पर मिट्टी में नमी की कमी होने पर बोआई का काम पूरा होने के तुरंत बाद नालियों में हलकी सिंचाई कर देने से यह समस्या दूर हो जाती है.

पाटा लगा कर गहराई में गन्ने के बीजों को दबा देने से जमाव में कमी आना : खेत में बोए गए बीजों के ऊपर कभी भी मिट्टी की ज्यादा मोटी परत नहीं डालनी चाहिए न ही पाटा लगा कर मिट्टी को दबाना चाहिए. ऐसा करने पर नए कोमल कल्लों को बाहर निकलने में ज्यादा ताकत खर्च करनी पड़ती है.

जमाव में कमी के कारण प्रति इकाई रकबे पौधों का कम संख्या में बनना : जिस खेत से बीज लेना हो उस खेत की बोआई से 8-10 दिनों पहले सिंचाई कर दें और साथ ही 5-8 किलोग्राम जमावर्धक यूरिया प्रति बीघा की दर से खेत में छिड़क दें ताकि गन्ने में मिठास कम हो जाए और पानी की मात्रा बढ़ जाए यानी सुक्रोज का ग्लूकोज में परिवर्तन हो जाए, क्योंकि ग्लूकोज जमाव फीसदी  को बढ़ाता है, जबकि सुक्रोज जमाव को कम करता है. यदि ऐसा नहीं कर पाए हों तो बीज के टुकड़ों को यूरिया के 2 फीसदी घोल से उपचारित जरूर कर लें. 2 आंख वाले टुकड़ों का बोआई में इस्तेमाल करें और टुकड़ों को कूंड़ में इस तरह रखें कि गन्ने की आंख नीचे की तरफ न रहे. इन बातों का ध्यान रखने पर जमाव अच्छा होगा और पौधों की संख्या बढ़ेगी.

देर से बोआई करने पर कम समय मिलने के कारण प्रति इकाई रकबे कम संख्या में मिल लायक गन्नों का बनना :देर से बोआई की स्थिति में किसान पहले से नर्सरी तैयार कर के खेत में सीधी रोपाई कर के जमाव में लगने वाले समय को बचा कर प्रति इकाई रकबे में कल्लों की संख्या बढ़ा सकते हैं या लाइन छोड़ कर पेड़ लगाने के तरीके से गन्ने की बोआई गेहूं की खड़ी फसल में कर के कल्लों की संख्या बढ़ा सकते हैं.

गन्ने के खेत की गहरी जुताई न करना : आजकल रोटावेटर का ज्यादा इस्तेमाल होने की वजह से किसान गन्ने के खेत की गहरी जुताई नहीं कर पाते हैं, जबकि गन्ने की अच्छी उपज लेने के लिए एक जुताई 9-10 इंच गहराई तक करना जरूरी होता है.

प्रति गन्ना कम वजन का होना : खेत में सही मात्रा में पोषक तत्त्वों की आपूर्ति और सही सिंचाई का इंतजाम करें. साथ ही ध्यान रखें कि 2 लाइनों के बीच की दूरी कम से कम 90 सेंटीमीटर जरूर हो, जिस से खेत को हवा व रोशनी सही तरीके से मिल सके.

हवा व रोशनी मिलने से पौधों में संश्लेषण की क्रिया सही तरीके से होती है, जिस से फसल की बढ़वार अच्छी होती है और गन्ने का वजन बढ़ता है.

गन्ना बोते समय जल्दीबाजी करना : गन्ना बोते समय मजदूरों की कमी या प्लानिंग में कमी के कारण किसान बोआई की सही तकनीक नहीं अपनाते जैसे अधिक लंबे बीज टुकड़ों का बोआई में इस्तेमाल करना, तेज धूप में टुकड़ों को बिना मिट्टी ढके देर तक खुला छोड़ देना, कुंद धार वाले गंड़ासे से बीज काटना वगैरह या यों कहें कि किसान इस बात का ध्यान नहीं रख पाते कि जिस खेत में वे गन्ना बो रहे हैं वह खेत कम से कम 2 सालों के लिए बोया जा रहा है, इस के लिए किसान गन्ना बोते समय सावधानी बरतें.

बोआई के लिए इन बातों का खयाल रखें कि उन के पास कितने मजदूर हैं, कितने रकबे में गन्ना बोना है, बोआई के लिए बीज कितनी दूर से लाने हैं, बीज काटने के लिए गंड़ासे पर धार है या नहीं.

जो किसान देर से गन्ना बोते हैं उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि देर से गन्ना बोने पर प्रति इकाई रकबा उपज बहुत कम मिलती है. 1 हेक्टेयर से औसतन 450 क्विंटल गन्ना उपज मुश्किल से मिल पाती है, जबकि 1 हेक्टेयर की औसत उत्पादन लागत लगभग 1,00,000 रुपए है और 450 क्विंटल गन्ने की कीमत करीब 1,21,500 रुपए होती है, जिस में से उत्पादन लागत घटाने पर 1 साल में मात्र 21,500 रुपए फायदा मिलता है.

ऐसे में किसानों को सलाह दी जाती है कि वे गेहूं वाले खेत में गन्ना फसल न ले कर किसी दूसरी फसल का चुनाव करें.

उदाहरण के तौर पर आप गेहूं के बाद अपने खेत में ढैंचा की बोआई करें. उस के बाद धान की फसल लें. धान के बाद सरसों या आलू की फसल लें. उस के बाद कम समय वाली सरसों या आलू काट कर गन्ने की बोआई करें.

ढैंचा लेने से आप के खेत की उर्वरता बढ़ेगी, मिट्टी की भौतिक व रासायनिक दशाओं में सुधार होगा. धान की फसल यदि 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिल गई तो आप को मोटे तौर पर 67500 रुपए मिलेंगे. उत्पादन लागत 40,000 रुपए प्रति हेक्टेयर काट कर शुद्ध लाभ 27,500 रुपए होग. सरसों यदि 10 क्विंटल भी मिल गई तो मोटे तौर पर 40,000 रुपए की आमदनी होगी. यदि लागत 15,000 रुपए आई तो शुद्ध लाभ 25,000 रुपए होगा. इस के अलावा फसलचक्र का लाभ अलग से होगा. किसान चाहे तो स्किप रो प्लांटिंग मैथड से गन्ने की बोआई करें या जिस खेत में गन्ना बोना है, उस में रबी की फसल काटने के बाद ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई कर के खेत का सौरीकरण करें और उस में ढैंचे की हरी खाद लें. उस के बाद हरी खाद को खेत में पलट कर अच्छी तरह मिलाएं. सितंबर के पहले हफ्ते में तापमान का खयाल रखते हुए गन्ने की बोआई करें. इस समय बोए गए गन्ने का जमाव अच्छा होता है और बढ़वार तेज गति से होती है. अच्छी तरह से देखभाल कर के बोए गए गन्ने से अगले साल फरवरी महीने में औसतन 1000-1200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज ली जा सकती है.

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