शहतूत एक स्वाद से भरा व पौष्टिक फल है. शहतूत की मुख्य 3 किस्में हैं, सफेद शहतूत, लाल शहतूत और काला शहतूत. शहतूत का फल जितना रसीला और मीठा होता है, उतनी ही ज्यादा मात्रा में इस में एंटीआक्सीडेंट पाया जाता है. गरमी के मौसम में शरीर को ज्यादा पानी की जरूरत होती है और इस के सेवन से पानी की कमी को दूर किया जा सकता है. यह फल खूबसूरत ही नहीं होता, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है. यह पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करता है. पौष्टिकता की नजर से शहतूत में विटामिन सी, अम्ल, एंटीआक्सीडेंट व खनिज काफी मात्रा में पाए जाते हैं. पोटेशियम और मैंगनीज जैसे खनिजों से युक्त शहतूत में आयरन, कैल्शियम और फास्फोरस भी पाए जाते हैं.
औषधीय गुण
चूंकि शहतूत का फल एंटीआक्सीडेंट का अच्छा जरीया है, इसलिए यह हमारे शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. गरमी में जामुनी शहतूत अपने स्वाद के कारण सभी का मन मोह लेता है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस का सेवन गरमी के प्रकोप को कम करता है. शहतूत का पका फल कैंसर के खतरे को कम करता है. इस के अलावा यह गठिया, दिमागी विकार, गुर्दे के रोगों व मलेरिया आदि के इलाज में भी कारगर होता है. यह फल कई दूसरे रोगों जैसे कब्ज, अजीर्ण, सिर का चक्कर, नींद न आना, खून की कमी व बुखार जैसी बीमारियों के इलाज में भी उपयोगी होता है.
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शहतूत एंटी ऐज यानी बढ़ती उम्र के प्रभावों को कम करता है, यह बालों में भूरापन लाता है, क्योंकि इस में ज्यादा एंटीआक्सीडेंट पाया जाता है, जो बालों के लिए अच्छा होता है. यह नकसीर व गरमी के प्रकोप को कम करता है. शहतूत का शरबत बुखार में दिया जाता है.
शहतूत का शरबत खांसी व गले की खराश मिटाता है. यह पाचन शक्ति को बढ़ाने के साथ खून को साफ करता है. पुराने समय से ही चीन में इस फल का इस्तेमाल कई किस्म की दवाओं को बनाने में किया जाता रहा है.
शहतूत एक सुंदर पत्तेदार पौधा है, जो कि 9-12 मीटर ऊंचा और ज्यादा टहनियों वाला होता है. इस के पत्ते करीब 5-10 सेंटीमीटर लंबे व 3-5 सेंटीमीटर चौड़े होते हैं. फूल हरे रंग का होता है. फल की ऊपरी परत नरम व हलके जामुनी या हरे रंग की होती है, जिस के अंदर सफेद रंग के बीज होते हैं. फल खूबसूरत होता है, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इन्हें इस्तेमाल में ला कर 50-60 फीसदी तक ताजा शहतूत जूस निकाला जाता है.
हिमाचल प्रदेश में इस फल में फरवरी से मार्च महीने तक फूल आते हैं और फल अप्रैल से जून महीनों में पक कर तैयार होते हैं. एक अच्छे पौधे से करीब 10-15 किलोग्राम फलों की पैदावार होती है. यह पैदावार कुदरती वातावरण व पेड़ की उम्र पर भी निर्भर करती है.
शहतूत के पेड़ से टहनियां काट कर उस की 6-8 इंच लंबी कटिंग को मिट्टी में लगाया जाता है. इस के 6 महीने के बाद ही 3-4 फुट तक का पेड़ तैयार हो जाता है. 1 एकड़ में शहतूत के करीब 5000 पेड़ लगाए जा सकते हैं, जिन से करीब 8000 किलोग्राम शहतूत के फल प्राप्त किए जा सकते हैं. शहतूत की लकड़ी से बैट बनता है. इस के साथ ही हाकी स्टिक, टेबल टेनिस रैकेट वगैरह भी शहतूत की लकड़ी से ही बनाए जाते हैं.
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आज की जरूरत
दक्षिण भारत के अलावा उत्तर भारत में भी शहतूत का उत्पादन होता है. वैसे तो हरे व काले शहतूत के खूबसूरत और मीठे फल खाने में खासे मजेदार होते हैं, मगर शहतूत की खेती का खास मकसद रेशमकीटपालन से जुड़ा होता है, इसलिए इस की खेती करने से दोहरा फायदा होता है. रेशमकीटपालन के व्यवसाय में 50 फीसदी खर्च पत्तियों पर ही हो जाता है, यह कारोबार पत्तियों पर ही निर्भर करता है, पत्तियों पर रेशमकीट का जीवनचक्र चलता है, इसी जीवनचक्र में ये कीट रेशम के कोए बनाते हैं. रेशम के कोए 300-400 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से आसानी से बेचे जा सकते हैं. यदि किसान शहतूत की खेती कर के खुद कीटपालन करें तो दूसरी फसलों से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. शहतूत के पेड़ के हर भाग जैसे फल, हरे पत्ते व लकड़ी का अपना महत्त्व है. ये सभी भाग चिकित्सीय गुणों से भरपूर होते हैं. इस के फल सालभर में 5-8 हफ्ते तक ही मिलते हैं. सामान्य व नमी की परिस्थितियों में यह फल 1-2 दिनों व कोल्ड स्टोरेज में 2-4 दिनों में खराब हो जाता है. शहतूत के रस को 3 महीने के लिए कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है, जबकि बोतल बंद पेय कमरे के तापमान में 12 महीने के लिए रख सकते हैं. इस के तमाम उत्पाद जैसे ड्रिंक, स्क्वैश, सिरप, जैली, जैम, फू्रट सौस, फ्रूट पाउडर, फ्रूट वाइन वगैरह बनाना समय की मांग है, ताकि किसानों को इस से अतिरिक्त आमदनी मिल सके.
शहतूत में पाए जाने वाले पोषक तत्त्व व दूसरे पदार्थ
पौष्टिक तत्त्व मात्रा
खाद्य भाग 100 फीसदी
नमी 85-88 फीसदी
मैलिक अम्ल 1.1-1.8 फीसदी
कार्बोहाइड्रेट 7.8-9.0 फीसदी
प्रोटीन 0.5-1.4 फीसदी
रेशा 1.30 फीसदी
वसा 0.3-0.5 फीसदी
खनिज पदार्थ 0.8-1.0 फीसदी
कैरोटीन 0.17 फीसदी
कैल्शियम 0.17-0.39 फीसदी
पोटेशियम 1.00-1.49 फीसदी
मैग्नीशियम 0.09-0.10 फीसदी
सोडियम 0.01-0.02 फीसदी
फास्फोरस 0.18-0.21 फीसदी
आयरन 0.17-0.17 फीसदी
विटामिन सी 12.50 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम
निकोटिनिक अम्ल 0.7-0.8 फीसदी
– डा. नारायण सिंह ठाकुर व हामिद