लेखक-अरुण कुमार एवं डा. आरएस सेंगर

गांव में आज भी कृषि ही आजीविका का मुख्य साधन है. लगातार हो रहे अनुसंधान और नई किस्मों के आने से कृषि के स्तर में विकास हुआ है, लेकिन अब किसानों को खाद, बीज, दवाओं, कृषि औजारों, पानी, बिजली आदि पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है. खेती आज किसान के लिए घाटे का सौदा होती जा रही है, इसलिए इस पर खास ध्यान देने की जरूरत है. भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस को मुनाफे में बदलने की जरूरत है. भारत में कृषि पर सब्सिडी 10 फीसदी से भी कम है. अमेरिका व दूसरे देशों में कृषि सब्सिडी भारत के बजाय ज्यादा है.

वहां उन्नत तकनीक के चलते उत्पादन लागत भी कम आती है. यही वजह है कि विदेशी वस्तुएं भारतीय वस्तुओं की अपेक्षा काफी सस्ती होती हैं. अप्रैल, 2005 से विश्व व्यापार संगठन की संधि पूरी तरह से लागू होने से पूरे विश्व की कृषि एक बड़ी मंडी का रूप धारण कर चुकी है. वहीं वर्तमान सरकार ने भी किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए कई कदम उठाए हैं. उन का लाभ भी किसानों को मिल रहा है. ऐसी स्थिति में किसानों के लिए जरूरी है कि वे अंतर्राष्ट्रीय कृषि प्रतिस्पर्धा में कम लागत से ज्यादा उत्पादन ले कर उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार करें,

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जिस से विश्व बाजार में अच्छा मूल्य मिल सके और उन की साख भी बनी रहे. यहां बताई जा रही विविध तकनीकों को अपना कर किसान अधिक उपज ले सकते हैं, जिस से उन की लागत कम आएगी और मुनाफा बढ़ेगा. मिट्टी की जांच कराएं खेती करने से पहले खेत की मिट्टी की प्रयोगशाला में जांच जरूर करानी चाहिए. मिटी की रिपोर्ट के आधार पर ही फसलों का चुनाव करें और मिट्टी में मौजूद पोषक तत्त्वों की जरूरत के आधार पर खाद व पोषक तत्त्व डालें. सही जानकारी होने से खर्च में कमी आएगी और मिट्टी में सुधार होगा, जिस से उत्पादन अच्छा हासिल होगा.

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