लेखक-डा. प्रेम शंकर, डा. एसएन सिंह, डा. शैलेंद्र सिंह, डा. दिनेश कुमार यादव

आम के प्रमुख कीट और उनका प्रबंधन हमारे देश में फलोत्पादन में सब से पहले अगर किसी फल का नाम आता है तो वह है फलों का राजा ‘आम’. इस का प्रमुख कारण इस में पाए जाने वाले पोषकीय तत्त्वों, स्वाद, सुगंध व स्वास्थ्यवर्धक गुणों के साथसाथ विटामिन ‘ए’ की प्रचुर मात्रा में पाया जाना है. विश्व में इस फल का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है, लेकिन विगत वर्षों में देखा जा रहा है कि बागबान आम का भरपूर उत्पादन नहीं ले पा रहे हैं, जिस का प्रमुख कारण है आम में लगने वाले कीट. इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुए बागबानों के लिए आम के प्रमुख लगने वाले कीट व उन के उचित प्रबंधन के बारे में बताया जा रहा है. फुदका कीट कीट की उच्च संख्या : कीट पूरे वर्ष पेड़ों पर पाया जाता है, परंतु फरवरी से अप्रैल और जुलाई से अगस्त माह में कीट की छाया व उच्च आर्द्रता उपलब्ध होती है. कीट की संख्या तीव्रता से बढ़ती है.

अनुकूल वातावरण : उच्च आर्द्रता के साथ मध्यम उच्च तापक्रम और छाया. कीट की पहचान और क्षति का प्रकार : यह कीट आम को सर्वाधिक हानि पहुंचाने वाला है. यह उन सभी स्थानों पर पाया जाता है, जहां पर भी आम की खेती की होती है. यह कीट अत्यधिक संख्या में आम पर पाया जाता है और पेड़ के मुलायम भागों का रस चूस कर पेड़ की ओज को कमजोर कर देता है. लगातार रस चूसने के कारण कीटग्रसित भाग के ऊतक सिकुड़ कर सूख जाते हैं. रस चूसने के अलावा ये कीट एक मीठा स्राव भी छोड़ते हैं, जिस पर कज्जली फफूंदी का आक्रमण हो जाता है और पेड़ की पत्तियों पर कवक की काली परत उग जाती है, जिस से कीटग्रस्त पेड़ की प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है.

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