केंद्रीय गौवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ तीसरे अंक में आप ने पढ़ा था : अब आप की औसर 2 साल की हो चुकी है. वह अपनी पहली हीट दिखाएगी, जिसे आप छोड़ देते हैं. 2 साल पौने 3 महीने होने पर जब उस में तीसरी हीट के लक्षण दिखाई दें, तब उसे गाभिन कराने का सही समय मानिए. गाभिन होने के बाद उस का खास खयाल रखा जाता है. अब पढि़ए आगे… आ प की बछिया बड़ी हो कर एक नई बछिया या बछड़े की मां बन चुकी है और इस में कुल 3 साल लगे.

अब आप को इस के नवजात का पोषण बिलकुल वैसे ही करना है, जैसे इस बछिया का किया था. मगर अब मां बन चुकी इस गाय को विशेष पोषण चाहिए, क्योंकि खुद के शरीर में रखरखाव के लिए और दूध उत्पादन के लिए. अपने खुद के बच्चे के लिए इसे उतना दूध नहीं पैदा करना है, जितना इसे आप के बच्चों का खयाल है. अगर आप ने शैड्यूल के मुताबिक भरणपोषण किया है तो इस ताजा ब्याई गाय की जेर ज्यादा से ज्यादा 12 घंटों में गिर जाएगी. अगर नहीं गिरती है तो आप को किसी पशुचिकित्सक की शरण में जाना ही होगा. गर्भकाल के दौरान प्रोटीन की कमी होने पर जेर गिरने में समस्या आती है. इस समय दुधारू गाय को हम भरपेट हरा चारा देंगे. साथ में देंगे कुछ मात्रा में भूसा और रातिब मिश्रण की एक निश्चित मात्रा. अब 3 स्थितियां हो सकती हैं * आप के पास हरा चारा बहुत कम है और जो हरा चारा उपलब्ध है,

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वह गैरदलहनी चारा है और आप के पास पर्याप्त भूसा और प्रचुर मात्रा में रातिब मिश्रण उपलब्ध है. * आप के पास गैरदलहनी हरा चारा भी पर्याप्त मात्रा में है और भूसा भी और रातिब मिश्रण भी. * आप के पास दलहनी और गैरदलहनी हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, भूसा भी है, मगर रातिब मिश्रण लिमिटेड है या बिलकुल नहीं है. दुधारू गाय का पोषण उस के दुग्ध उत्पादन और दूध में उपस्थित वसा की मात्रा पर निर्भर होगा. यहां हम आप को 3 उत्पादन स्तर वाली गायों के पोषण के बारे में बताएंगे : * 5 लिटर दूध उत्पादन वाली. * 10 लिटर दूध उत्पादन वाली. * 15 लिटर दूध उत्पादन वाली. पहले बात करते हैं 5 लिटर दूध उत्पादन वाली गाय की तीनों स्थितियों में पोषण की. स्थिति 1 : इस स्थिति में 5 लिटर दूध देने वाली गाय को 5 किलोग्राम गैरदलहनी हरा चारा, 6 किलोग्राम भूसा और 5 किलोग्राम 16 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला रातिब मिश्रण देना होगा. चूंकि इस में रातिब मिश्रण की मात्रा ज्यादा है, इसलिए यह ज्यादा महंगा साबित होगा और उत्पादन लागत बहुत ज्यादा होगी. इस की उत्पादन लागत सभी खर्चे जोड़ कर तकरीबन 50 रुपए प्रति लिटर होगी.

लागत मूल्य से ज्यादा विक्रय मूल्य होने पर ही आप कुछ कमाई कर पाएंगे. 16 फीसदी क्रूड प्रोटीन वाला 100 किलोग्राम रातिब मिश्रण बनाने के लिए मक्का 40 किलोग्राम, गेहूं का चोकर 40 किलोग्राम, सरसों की खली 17 किलोग्राम, अच्छी गुणवत्ता का विटामिन मिनरल मिक्सचर 2 किलोग्राम और साधारण नमक 1 किलोग्राम को अच्छी तरह से मिलाने की जरूरत होगी. स्थिति 2 : इस स्थिति में 5 लिटर दूध वाली गाय को 24 किलोग्राम गैरदलहनी हरा चारा, 2 किलोग्राम भूसा और 2.5 किलोग्राम 16 फीसदी क्रूड प्रोटीन वाला रातिब मिश्रण प्रतिदिन देंगे. इस की उत्पादन लागत सभी खर्चे जोड़ कर तकरीबन 42 रुपए प्रति लिटर होगी. दूध 50 रुपए प्रति लिटर बेच कर भी आप कुछ न कुछ बचा ही लेंगे. स्थिति 3 : इस स्थिति में 5 लिटर दूध देने वाली गाय को 15 किलोग्राम दलहनी हरा चारा, 10 किलोग्राम गैरदलहनी हरा चारा और 6 किलोग्राम भूसा देने से भी सभी पोषण जरूरतें पूरी हो जाएंगी और यह सब से सस्ता भी होगा. इस की उत्पादन लागत सभी खर्चे जोड़ कर तकरीबन 35 रुपए प्रति लिटर होगी.

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यह सब से ज्यादा फायदा देने वाली स्थिति है. कुलमिला कर यह कह सकते हैं कि हरा चारा और भूसा खिला कर दूध पैदा करना सब से सस्ता होता है. साथ ही, बिना रातिब मिश्रण खिलाए केवल दलहनी और गैरदलहनी चारा खिला कर 5 लिटर तक दूध उत्पादन लिया जा सकता है, मगर इस से ज्यादा दूध उत्पादन वाली गायों के लिए रातिब मिश्रण देना जरूरी हो जाएगा. दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि दूध उत्पादन जितना ज्यादा होगा, उत्पादन लागत उतनी ही कम होती जाएगी, इसलिए किसी भी डेरी की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कम उत्पादन वाले ज्यादा पशुओं के स्थान पर ज्यादा उत्पादन वाले कम पशु रखे जाएं. किसान के पास पर्याप्त मात्रा में हरा चारा उपलब्ध हो. साथ ही, रातिब मिश्रण खुद बनाया जाए. खुद बनाया गया रातिब मिश्रण गुणवत्ता में भी अच्छा होगा और सस्ता पड़ेगा. इस के अलावा दूध की बिक्री बिचौलियों के माध्यम से न कर के खुद की जाए, ताकि उपभोक्ता को भी फायदा हो और आप को भी दूध का उचित दाम मिल पाए.

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दूध की मार्केटिंग तो आप को हर हाल में सीखनी पड़ेगी. ठ्ठ बीमार पशु की पहचान – डा. सुमित महाजन ऐसे कई संकेत हैं जो यह तय करते हैं कि कोई पशु स्वस्थ है या किसी बीमारी से पीडि़त है. पशुपालक पशुओं के संकेतों की जांच कर के बीमार पशुओं और रोगों को प्रारंभिक अवस्था में पहचान सकते हैं. अगर यह एक गंभीर बीमारी को जन्म दे रहा है, तो प्रारंभिक निदान पशुओं को बचा सकता है. एक पशु स्वस्थ है या बीमार है इस का निर्धारण निम्नलिखित दिए गए सांकेतिक लक्षणों से किया जा सकता है : पशु की भोजन में अरुचि या सामान्य रूप से कम खाना. यह आमतौर पर बीमार पशु का पहला संकेत है.  बीमार पशु समूह के अन्य पशुओं से अलगअलग या पीछेपीछे चलता है.

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वह जुगाली कम या फिर बंद कर देता है.  अत्यधिक मात्रा में लार का टपकना.  सांस लेने में तकलीफ होना.  आंख, नाक या योनि से असामान्य स्राव.  धंसा हुआ नेत्र गोलक भी बीमारी का संकेत होता है. दुधारू पशु के दूध में अचानक कमी आ जाती?है. मल त्याग में खिंचाव और तनाव. * पेशाब के रंग व मात्रा में बदलाव.  असामान्य ध्वनि निकालना (घुरघुराना).  अचानक पेट के आकार में परिवर्तन होना.  थनों में सूजन, दूध में छिछड़े व खून का आना थनैला रोग के लक्षण हैं. महत्त्वपूर्ण संकेतों में बदलाव बीमारियों के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं, इसलिए पशुपालकों को स्वास्थ्य या अस्वस्थता के संकेतों के लिए पशुओं की लगातार जांच करनी चाहिए, ताकि समय रहते बीमारी का सुचारु रूप से उपचार किया जा सके.

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