पत्तागोभी यानी बंदगोभी भारत में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में खासतौर से उगाई जाती है. पत्तागोभी  क्रुसीफेरी परिवार की एक खास सब्जी है.

मिट्टी और आबोहवा

पत्तागोभी की खेती के लिए मटियार, दोमट या फिर मटियार दोमट मिट्टी ज्यादा मुफीद होती है. पौध लगाने से पहले गोबर की सड़ी खाद मिला कर खेत की मिट्टी भुरभुरी कर लें और 3-4 हल या हैरो चला कर खेत को एकसार कर के जरूरत के मुताबिक छोटीछोटी क्यारियां बना लेनी चाहिए.

यह जाड़े के मौसम का पौधा है. इस को ठंड व नम जलवायु की जरूरत होती है. इस के जमने के दौरान जमीन का तापमान 12 डिगरी सैंटीग्रेड से 15 डिगरी सैंटीग्रेड से माकूल होता है.

बीज की मात्रा और उपचार

पत्तागोभी के लिए एक हेक्टेयर खेत में 500 से 750 ग्राम बीज की जरूरत होती है. संकर किस्मों का बीज 300 से 350 ग्राम ही काफी है.

बीज की बोआई से पहले फफूंदनाशी दवा थायरम या केप्टान की 2 से 3 ग्राम मात्रा प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर के बोएं ताकि पौधशाला में आर्द्र विगलन जैसी बीमारियों से पौध को बचाया जा सके.

बीज की बोआई का समय

बोआई का सही समय सितंबरअक्तूबर महीने तक है. वसंत व ग्रीष्म में फसल लेने के लिए बीज सुरक्षित जगहों पर प्लास्टिकघर, शीश महल वगैरह में दिसंबरजनवरी में बोया जा सकता है.

पौध तैयार करना

पत्तागोभी की पौध के लिए 1.0 से 1.25 मीटर चौड़ी, 15 सैंटीमीटर ऊंची तकरीबन 7 से 10 मीटर लंबी 15 से 16 क्यारियों की जरूरत होती है. क्यारियों की गुड़ाई कर के उस में कंपोस्ट या गोबर की सड़ी खाद 10 किलोग्राम वर्गमीटर की दर से मिला कर खेत में क्यारी तैयार कर लें और 5 से 10 ग्राम फ्यूरोडौन या थिमेट मिला लें. साथ ही, 5 से 10 ग्राम थाइरम, केप्टान या बाविस्टीन दवा कवकनाशी मिला कर बीज बोने के लिए तैयार कर लें. अब 8 से 10 सैंटीमीटर की दूरी पर 2 से 3 सैंटीमीटर गहरी नुकीली लकड़ी की मदद से क्यारी में लाइनें यानी कतारें बना लें.

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