भारत दुनिया के सब से बड़े आम निर्यातक देशों में से है लेकिन पिछले कुछ सालों में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात को गहरा धक्का लगा है. वजह थी, भारतीय आम में कीटनाशक की बहुत ज्यादा मात्रा का पाया जाना.

कीटनाशक के बहुत ज्यादा इस्तेमाल से निबटने का अव्वल तरीका यह है कि सही समय पर ही कीट की पहचान कर कीटनाशक या दूसरे तरीकों से उस से निबटा जाए. कीट की समस्या गंभीर होने और फिर कीटनाशक के छिड़काव से बचा जाए.

गुठली का घुन (स्टोन बीविल) : यह कीट घुन वाली इल्ली की तरह होता है जो आम की गुठली में छेद कर के घुस जाता है और उस के अंदर अपना भोजन बनाता रहता है. कुछ दिनों बाद ये गूदे में पहुंच जाता है और उसे नुकसान पहुंचाता है. इस की वजह से कुछ देशों ने इस कीट से ग्रसित बागों से आम का आयात पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था.

रोकथाम : इस कीड़े को नियंत्रित करना थोड़ा कठिन होता है इसलिए जिस भी पेड़ से फल नीचे गिरे, उस पेड़ की सूखी पत्तियों और शाखाओं को नष्ट कर देना चाहिए. इस से कुछ हद तक कीड़े की रोकथाम हो जाती है.

जाला कीट (टैंट केटरपिलर) : शुरुआती अवस्था में यह कीट पत्तियों की ऊपरी सतह को खाता है. उस के बाद पत्तियों का जाल या टैंट बना कर उस के अंदर छिप जाता है और पत्तियों का खाना जारी रखता है.

रोकथाम : पहला उपाय तो यह है कि आजादीरैक्टिन 3000 पीपीएम ताकत का 1 मिलीलिटर को पानी में घोल कर छिड़कें.

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