मूंगफली एक तिलहनी फसल है. दुनिया में भारत मूंगफली का सब से ज्यादा उत्पादन करने वाला देश है. लेकिन भारत की औसत उपज काफी कम है. भारत में मूंगफली की फसल गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा, आंध्र प्रदेश व राजस्थान में सब से ज्यादा उगाई जाती है. इस की खेती खरीफ व गरमी के मौसम में की जाती है. मूंगफली की कम पैदावार के कारणों में सब से बड़ा कारण है इस फसल पर रोगों का प्रकोप. किसान रोगों से फसल को बचा कर मूंगफली की पैदावार बढ़ा सकते हैं. मूंगफली के रोग हैं:

कालर राट

यह रोग ‘एसपरजिल्लस नाइजर’ नामक कवक से होता है. यह रोग सभी इलाकों में पाया जाता है. बीज बोने के बाद किसी भी अवस्था में इस का संक्रमण हो सकता है. यह रोग बोआई के करीब 20 से 40 दिनों के अंदर दिखाई पड़ता है. रोग की शुरुआत में पौधों का मुख्य अक्ष मुरझा जाता है लेकिन जमीन के ऊपरी तनों व जड़ों पर कोई असर दिखाई नहीं देता. कुछ समय बाद मुख्य अक्ष मर जाता है.

जमीन की सतह के साथ एक धब्बा बन जाता है जो कि फफूंद के बीजाणुओं से ढक जाता है, जैसेजैसे रोग आगे बढ़ता है पौधों का कौलर भाग मुरझाने लगता है. पौधों की नीचे वाली पत्तियां पीली पड़ जाती हैं. कौलर रोट का सब से खास लक्षण सूखे मौसम में तुरंत मुरझा कर सूख जाना है. बाद में रोग लगे भागों

का झड़ना शुरू होता है और फिर पौधे नष्ट हो जाते हैं.

रोकथाम

* साफ व बिना रोग लगे बीज इस्तेमाल करने चाहिए.

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