आम एक लजीज फल तो है ही साथ ही किसानों के लिए मोटे मुनाफे का जरीया भी है. ज्यादातर देखने में आता है कि आम को तोड़ने से ले कर खरीदारों तक पहुंचाने पर खास ध्यान नहीं दिया जाता, जिस से एक ओर जहां किसानों की आमदनी बहुत ही कम हो जाती है, वहीं दूसरी ओर फसलों का नुकसान भी बढ़ जाता है. वैसे आम की तोड़ाई के बाद होने वाले कुछ खास कामों में कुछ खास बातों का ध्यान रख कर फसल में होने वाले नुकसान को बचाने के साथ ही साथ किसान आसानी से अपनी आमदनी अच्छीखासी बढ़ा सकते हैं. तोड़ाई का समय : आम की तोड़ाई का सही समय सुबह और शाम होता है, क्योंकि उस समय बाग व फलों का तापमान कम होता है, नतीजतन तोड़े गए फलों की भंडारण कूवत बढ़ जाती है.

तोड़ाई का तरीका : पके फलों की तोड़ाई 8 से 10 मिलीमीटर लंबे डंठल के साथ करनी चाहिए. ऐसा करने से फल पकने पर उस पर दागधब्बे नहीं पड़ते हैं और भंडारण कूवत 2 से 3 दिन बढ़ जाती है. इस के साथ ही तोड़ाई के समय फलों को चोट व खरोंच न लगने दें व उन्हें धूलमिट्टी से बचाएं.

प्रीकूलिंग (पूर्वशीतलन) : पके फल पेड़ से टूटने के बाद खराब होने शुरू हो जाते हैं. इस की सब से खास वजह तापमान का ज्यादा होना है. फलों को तोड़ने के बाद उन की प्रीकूलिंग बहुत जरूरी है. इस से ताजे तोड़े गए फलों की गरमी कम हो जाती है, जिस से पकने का काम धीमा हो जाता है. गरमी के दिनों में फल तोड़ने पर उस के अंदर का तापमान, हवा के तापमान से बहुत अधिक होता है.

खराब होने से बचाने के लिए फलों का तापमान तोड़ने के तुरंत बाद ही लगभग 40 डिगरी फारेनहाइट तक लाना जरूरी होता?है. इस काम को प्रीकूलिंग कहते हैं. यही वजह है कि फलों को रात में या बहुत सुबह तोड़ने की सलाह दी जाती है, जिस से वातावरण की गरमी फल में कम से कम हो. प्रीकूलिंग के काम को बर्फ, पानी, हवा और वैक्यूम के जरीए कर सकते हैं.

तोड़ाई के बाद खास काम

तोड़ाई के बाद होने वाले खास काम इस तरह हैं:

* तोड़ाई के बाद फलों को छायादार जगह पर रखना चाहिए, ताकि उन का भीतरी तापमान कम हो जाए.

* तोड़ाई के बाद फलों को साफ पानी से धो कर छाया में सुखाने के बाद पेटी में बंद करना चाहिए.

* फलों को एथरेल नामक रसायन के 750 पीपीएम (1.8 मिलीलीटर प्रति लीटर) के कुनकुने पानी के घोल में 5 मिनट तक डुबो दें. इस के बाद पूरी तरह से सुखा कर भंडारित करें. इस से सारे फल पीला रंग विकसित कर समान रूप से पकते हैं. इस विधि के जरीए कच्चे फलों को भी समान रूप से पकाया जा सकता है.

छंटाई व ग्रेडिंग : फलों को रंगरूप, गुण व आकार के अनुसार छांट कर अलग करना श्रेणीकरण कहलाता है. खराब या अनचाहे फलों को छांट कर पहले ही अलग कर देना चाहिए. यह पैकिंग से पहले बहुत जरूरी है, क्योंकि पैकिंग के अंदर रोग बहुत तेजी से फैलते हैं.

पैकिंग : पैकिंग के वक्त निम्न जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए:

*  तोड़ाई के बाद फलों को साफ पानी से धो कर छाया में सुखाने के बाद पेटीबंदी करनी चाहिए.

* आम के रोग जैसे ऐंथ्रेक्नोज, स्टेम एंड राट व ब्लैक राट की रोकथाम के लिए फलों को 0.05 फीसदी कार्बंडाजिम के कुनकुने पानी में 5 से 15 मिनट तक डुबो कर रखने के बाद सुखा कर पेटीबंदी करनी चाहिए.

* बक्सों में फलों को रखते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी फल को थोड़ा सा भी नुकसान न हो, नहीं तो फल सड़ कर खत्म हो जाएंगे. फलों की पैकिंग एकदूसरे से सट कर होनी चाहिए, जिस से फल

हिलडुल न सकें. हर फल को डाईफिनील से उपचारित किए हुए टिश्यू पेपर से लपेटना चाहिए. बक्से में ऊपरनीचे किसी मुलायम चीज की तह लगा देनी चाहिए.

* यदि आम को दूसरे देशों में भेजना हो तो पैकिंग नालीदार कार्ड बोर्ड के बक्सों में की जाती है. इन की बगल में हवा के आवागमन के लिए कुछ छेद होते हैं. बक्से के अंदर बहुत से खाने होते हैं. हर खाने में 1 आम रखा जाता है.

लेबलिंग : फलों को अगर सीधे स्थानीय बाजार में न बेचना हो तो तोड़ाई के बाद बक्सों या टोकरियों पर लेबल जरूरी लगाना चाहिए. लेबल पर खासतौर पर फल का नाम, प्रजाति का नाम, श्रेणी, साइज व मात्रा के बारे में लिखा होना चाहिए.

भंडारण : शीत भंडारण विधि में आम की कई प्रजातियों जैसे दशहरी, मल्लिका, आम्रपाली को 12 डिगरी सेंटीग्रेड, लंगड़ा को 14 डिगरी सेंटीग्रेड और चौसा को 8 डिगरी सेंटीग्रेड तापमान व 85 से 90 फीसदी आर्द्रता पर 3 से 4 हफ्ते तक रखा जा सकता है. दशहरी फलों को 3 फीसदी डाई हाईड्रेटेड कैल्शियम क्लोराइड के घोल में 500 मिलीमीटर वायुमंडलीय दाब पर 5 मिनट के लिए उपचारित कर के कम तापमान (लगभग 12 डिगरी सेंटीग्रेड) में 27 दिनों तक भंडारित कर सकते हैं.

आम की तोड़ाई यंत्र के जरीए

 

हमारे देश का एक खास फल आम है. खास फल होने के बावजूद आम के व्यापार में लगे बागबान कई बार इस से खास आमदनी नहीं कर पाते हैं. इस का सब से बड़ा करण देश के बागबानों का बागबानी की उन्नत तकनीकों से दूर रहता और अनपढ़ होना है. शायद यही कारण है  कि आज भी आम, अमरूद, शहतूत जैसे फलों की तोड़ाई लग्घी या हाथ के भरोसे ही की जाती है.

आम की तोड़ाई लग्घी या हाथ से करने के कारण एक ओर जहां समय और मेहनत की जरूरत पड़ती है, तो वहीं फलों के फटने, चोटिल होने, धूल से सन जाने और चेंपा (आम का विशेष प्रकार का रस) के कारण आम बेहद बदसूरत हो जाता है. इस से आमों की कीमत कम मिलती है और बागबानों या इस काम में लगे लोगों को भारी नुकसान होता है.

आम की परंपरागत तोड़ाई में होने वाले नुकसान से नजात पाने और अधिक मुनाफा बढ़ाने के लिए लखनऊ स्थित केंद्रीय उपोष्ण बागबानी संस्थान (सिस) के इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने आम की तोड़ाई का एक खास यंत्र विकसित किया है. इस यंत्र की  खासीयतें इस प्रकार हैं:

 

* यह पेड़ों पर 4 मीटर ऊंचाई तक पकड़ने, खींचने और डंठल से गुच्छों के कतर लेने के सिद्धांत पर काम करता है.

* यह खासतौर से डिजाइन किए गए 4 मीटर लंबे अल्यूमीनियम पाइप और नायलोन के नेट से बनाया जाता है.

* इस से आम की सतह पर किसी भी प्रकार के नुकसान  होने जैसे फटने, चोटिल होने,

धूलगर्दे से सन जाने और चेंपा (आम का विशेष प्रकार का रस) की गुंजाइश नहीं होती है. इस से फल बहुत ही खूबसूरत और अच्छी कीमत वाले साबित होते हैं.

* इस से 1 घंटे में लगभग 800 फल तोड़े जा सकते हैं, जिस से आम की तोड़ाई में लगने वाली मेहनत घट  जाती है.

* इस यंत्र की खास बनावट के कारण आम की तोड़ाई के समय किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने की संभावना नहीं होती है.

* इस यंत्र से कम से कम 2 दिन फलों का टिकाऊपन बढ़ जाता है व तोड़ाई के समय होने वाले नुकसान में 2 से 3 फीसदी तक की कमी हो जाती है.

* इस यंत्र की खरीदारी के लिए आप केंद्रीय उपोष्ण बागबानी संस्थान, लखनऊ के इंजीनियरिंग विभाग के डा. अनिल कुमार वर्मा से उन के मोबाइल नंबर 09935866769 पर

संपर्क कर सकते हैं. संस्थान का पता है : इंजीनियरिंग विभाग, केंद्रीय उपोष्ण बागबानी संस्थान, लखनऊ : 227107.                                                                – मनीष अग्रहरि ठ्ठ

 

 

 

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