हर दिन के खाने में शामिल रहने वाला दही बेमिसाल खूबियों से भरपूर होता है. दही के इस्तेमाल से न सिर्फ खाने का जायका ही बढ़ता है, बल्कि सेहत के लिहाज से भी यह कमाल का होता है. इस से बनने वाली लस्सी तो पूरे गरमी के मौसम में घरघर में छाई रहती है. गरमी जाने के बाद भी लस्सी की दुकानों पर लस्सी के दीवानों की लाइनें लगी रहती हैं. लस्सी के अलावा भी दहीबूरा, दहीचीनी या दहीनमक बहुत से लोगों के हर खाने में शामिल होता है. साउथ के लोग तो अपने सांभरचावल में सादा दही शौक से मिलाते हैं. बगैर दही के उन्हें हर खाना फीका लगता है. हर चाट व रायते में शामिल रहने वाला दही किसी दायरे का मुहताज नहीं है. तमाम लोग हर सुबह दही व जलेबी का नाश्ता डट कर करते?हैं. यानी स्वाद के मोरचे पर दही बराबर डटा रहता?है. कैल्शियम, प्रो बायोटिक बैक्टीरिया व मिनरल्स सहित तमाम पौष्टिक तत्त्वों से?भरपूर दही को पावर फूड कहा जाता है. जायके में तो यह लाजवाब होता ही है, साथ ही सेहत सुधारने व शक्ति देने में भी इस की भूमिका गजब की होती है.

ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक 13वीं सदी में जब चंगेजखान अपनी मुहिम पर निकला था, तो उस के खाने का इकलौता जरीया दही ही था. इस बात से समझा जा सकता है कि दही से शरीर को काम करने की कितनी कूवत मिलती है. यह भी साबित हो चुका है कि दही खाने से सेहत अच्छी होने के साथसाथ जिंदगी भी लंबी होती?है. इसी वजह से दुनिया भर के तमाम देशों में सदियों से दही का लगातार इस्तेमाल हो रहा?है.

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