हमारे देश में ककोड़ा हिमालय से ले कर कन्याकुमारी तक पाया जाता है. यह ज्यादातर गरम व नम जगहों पर बाड़ों में मिलता है. उत्तर प्रदेश में ककोड़ा की खेती बड़े पैमाने पर की जाती?है. बिहार के पहाड़ी क्षेत्रों राजमहल, हजारीबाग व राजगीर और महाराष्ट्र के नम पहाड़ी इलाकों, दक्षिण राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, असम व पश्चिम बंगाल के जंगलों में यह अपनेआप ही उग आता है. ककोड़ा की पौष्टिकता, उपयोगिता व बाहरी इलाकों में इस की बढ़ती मांग के कारण अब किसान इस की खेती को ज्यादा करने लगे हैं. ककोड़ा फल की सब्जी बेहद स्वादिष्ठ होती है. जुलाई से अक्तूबर तक इस का फल बाजार में उपलब्ध रहता है और इस की बाजारी कीमत 18-20 रुपए प्रति किलोग्राम तक होती है. इस फल के बीज से तेल निकाला जाता है, जिस का उपयोग रंग व वार्निश उद्योग में किया जाता है.

ककोड़ा की जड़ यानी कंद का इस्तेमाल मस्सों का खून रोकने और पेशाब की बीमारियों में दवा के रूप में किया जाता है. इस के फल को मधुमेह के मरीजों के लिए बहुत असरदार पाया गया है. इस के फल करेले की तरह कड़वे नहीं होते.

ये भी पढ़ें- तोरिया लाही की उन्नत उत्पादन तकनीक

पौष्टिक है ककोड़ा

ककोड़ा में खासतौर से पाए जाने वाले तत्त्व इस तरह हैं: नमी 84.19 फीसदी, प्रोटीन 3.11 फीसदी, दूसरे तत्त्व 0.97 फीसदी, राख 1.10 फीसदी, वसा 0.66 फीसदी, कार्बोहाइड्रेट 7.70 फीसदी, क्रूडरेशा 2.97 फीसदी, कैल्शियम 33 मिलीग्राम/100 ग्राम, फास्फोरस 42 मिलीग्राम/100 ग्राम, लोहा 4.68 मिलीग्राम/100 ग्राम, केरोटीन (विटामिन ए) 2 माइक्रोन थाइमिन 45.20 माइक्रौनराइबोफ्लोबिन 176 मिलीग्राम और नाइक्सीन 0.50 मिलीग्राम/100 ग्राम. इस के फल में एस्कारबिक अम्ल ज्यादा (275.10 मिलीग्राम/100 ग्राम) और आयोडीन 0.70 मिलीग्राम/100 ग्राम मात्रा में पाया जाता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...