फार्म से फूड तक यानी खेती की उपज से खानेपीने की चीजें बनाने तक का दायरा बहुत बड़ा है. नई तकनीकों से इस में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है. खेती से ज्यादा कमाई करने के लिए अब जरूरी है कि किसान वक्त की नब्ज पहचानें, खेती के सहायक उद्योगधंधों में उतरें व अपनी इकाई लगाएं. आजकल भागदौड़ से भरी जिंदगी में वक्त की कमी का असर खानपान व रसोई पर भी पड़ा है. मर्दों के अलावा कामकाजी औरतों की गिनती तेजी से बढ़ने के कारण पुराने तरीकों से खाना पकाने का चलन घटा है. उन के पास इतना वक्त नहीं बचता कि वे चक्की, चकला बेलन, इमामदस्ता व सिलबट्टे का झंझट पालें. लिहाजा अब खाना बनाने का नहीं खाने के लिए तैयार चीजें खरीदने का जमाना है. वक्त बचाने की गरज से ज्यादातर लोग खाने लायक व जल्दी तैयार होने वाली चीजें खरीदना पसंद करते हैं. लिहाजा अपनी जमीन पर खेती की उपज से खाने की नई उम्दा चीजें बनाई जा सकती हैं. खाने का सामान बनाने का तैयार मिक्स बनाने की इकाई लगा कर खासी कमाई की जा सकती है, लेकिन इस केलिए पूरी तैयारी, ट्रेनिंग, पैकिंग व मार्केटिंग वगैरह की जानकारी जरूरी है.

तुरतफुरत

खेती बागबानी की उपज से बहुत सी खाने लायक चीजें बनाई जा सकती हैं. खाने की चीजें बनाने का दायरा बहुत बड़ा है. इस में बहुत से सुधार व बदलाव हुए हैं और आए दिन हो रहे हैं. एमटीआर व गिट्स जैसी बहुत सी कंपनियां रेडी टू कुक यानी अधबने व रेडी टू ईट यानी खानेपीने को तैयार चीजें बना कर बेच रही हैं. ,नाश्ते के लिहाज से इडली, डोसा, सांभर, वड़ा, पोहा, ओट्स व उपमा मिक्स खूब बिकते हैं. मिठाई मिक्स में गुलाबजामुन, रबड़ी, हलवा व बेसन के लड्डू बनाने की पैकेटबंद सामग्री की काफी मांग है. इन के अलावा बादाम, केसर व चाकलेट ड्रिंक्स, नूडल्स, पास्ता, मोमोज, मैक्रोनी, मंचूरियन व सिवइयां वगैरह चीजें बाजार में खूब बिक रही हैं. अब कई तरह के सूप पाउडर भी पैकेटबंद मिलते हैं, यानी पैकेट खोलो, घोलो व झटपट बना लो. इन के अलावा मसाला मिक्स, मसाला पाउडर, मसाला पेस्ट, रसम, सांभर, ढोकला, पकौड़ी व चटनी के पाउडर, आलू व केले के चिप्स, मसाला चना, पापकार्न, पावभाजी व भुजिया वगैरह की भी खूब मांग है.

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