मधुमक्खी व तितली जमीन पर पाए जाने वाले 2 खास कीट हैं. ये कीट परागण में खास भूमिका निभाते हैं. मधुमक्खियों के सिर पर 5 आंखें होती हैं, लेकिन इन सब के बावजूद ये सिर्फ 1 मीटर की दूरी तक ही देख सकती हैं. फूलों का रस चूसते समय परागकण मधुमक्खियों के पैरों पर चिपक जाते हैं. जब ये दूसरे पौधों पर जा कर बैठती हैं, तो वहां पर ये परागकण छूट जाते हैं, इस प्रकार उस पौधे पर फूलफल आदि आ जाते हैं. इस प्रकार यह छोटा सा कीट हमारे लिए कई प्रकार के फलों, सब्जियों और अनाजों के उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है. लेकिन आधुनिक कृषि में बढ़ते कीटनाशकों के प्रयोग से इन की तादाद में चिंताजनक गिरावट आई है.

तितली जमीन पर पाया जाने वाला सुंदर और तमाम खासीयतों वाला कीट है. दुनियाभर में तितलियों की करीब 20 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं. ये लगभग सभी देशों में मिलती हैं. भारत में यह ज्यादातर केरल, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश वगैरह में पाई जाती हैं. लेकिन अफसोस की बात यह है कि इन की लगभग 15 हजार प्रजातियां खतरे से घिरी हुई हैं. इन में से कुछ तो गायब ही हो गई हैं.

तितली के जीवनचक्र की 4 अवस्थाएं होती हैं अंडा, लारवा, प्यूपा व प्रौढ़. तितली के अंडे छोटे, गोल व बेलनाकार होते हैं. इस का जीवन काल 2 से 9 महीने का होता है.

फूलों से रस चूसने के लिए तितली के मुंह के आगे की ओर एक   सूंड़ होती है. मधुमक्खी के जीवनचक्र की भी 4 अवस्थाएं होती हैं अंडा, लारवा, प्यूपा व प्रौढ़. ये 3 प्रकार की होती हैं क्वीन मक्खी, ड्रोन व वर्कर.

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