लेखक-प्रो. रवि प्रकाश मौर्य

गेंदा फूल को शादीब्याह, जन्मदिन, सरकारी व निजी संस्थानों में आयोजित विभिन्न समारोहों के अवसर पर, पंडाल, मंडपद्वार और गाड़ी, सेज आदि सजाने व अतिथियों के स्वागत के लिए माला, बुके, फूलदान सजाने में भी इस का प्रयोग किया जाता है. गेंदा की खेती खरीफ, रबी व जायद तीनों मौसम में की जाती है. पूर्वांचल में गेंदा की खेती की काफी संभावनाएं हैं, बस यह ध्यान रखना है कि कब कौन सा त्योहार है, शादी के लग्न कब हैं, धार्मिक आयोजन कबकब होते है. इस को ध्यान में रख कर खेती की जाए, तो ज्यादा लाभदायक होगा. गेंदा के औषधीय गुण भी बताए जाते हैं. खुजली, दिनाय और फोड़ा में हरी पत्ती का रस लगाने पर रोगाणुरोधी का काम करती है. साधारण कटने पर पत्तियों को मसल कर लगाने से खून का बहना रुक जाता है. मिट्टी और खेत की तैयारी गेंदा की खेती के लिए दोमट, मटियार दोमट व बलुआर दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है.

भूमि को समतल करने के बाद एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से और 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर के और पाटा चला कर मिट्टी को भुरभुरा बनाने व कंकड़पत्थर आदि को चुन कर बाहर निकाल दें और सुविधानुसार उचित आकार की क्यारियां बना दें. बीज, नर्सरी व प्रसारण गेंदा का प्रसारण बीज और कटिंग दोनों विधि से होता है. इस के लिए तकरीबन 100 ग्राम बीज प्रति बीघा (2,500 वर्गमीटर प्रति 1 हेक्टेयर का चौथाई भाग) में जरूरत होती है, जो 100 वर्गमीटर के बीज शैया में तैयार किया जाता है. बीज शैया में बीज की गहराई 1 सैंटीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. जब कटिंग द्वारा गेंदा का प्रसारण किया जाता है, उस में ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा कटिंग नए स्वस्थ पौधे से लें, जिस में मात्र 1-2 फूल खिला हो. कटिंग का आकार 4 इंच (10 सैमी.) लंबा होना चाहिए. इस कटिंग पर रूटैक्स लगा कर बालू से भरे ट्रे में लगाना चाहिए. 20-22 दिन बाद इसे खेत में रोप देना चाहिए. रोपाई का समय और दूरी गेंदा फूल खरीफ, रबी, जायद तीनों सीजन में बाजार की मांग के अनुसार उगाया जाता है. लेकिन इस के लगाने का सही समय सितंबरअक्तूबर महीना है.

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