साल के आखिरी लमहों की याद दिलाने वाले दिसंबर महीने में जहां एक ओर साल खत्म होने की कसक छिपी होती है, तो दूसरी ओर नएनवेले साल के आगमन का जोश भी छिपा होता है. फिर आनाजाना तो कुदरत का नियम है, लिहाजा कर्मयोगियों को अपने काम से ही मतलब होता है. जज्बातों से जुड़े बेहद ठंडे महीने दिसंबर में भी खेतीकिसानी की दुनिया का खजाना छिपा है. जागरूक किस्म के किसानों के लिए दिसंबर की अहमियत भी बहुत ज्यादा है. दिसंबर की कड़ाके की हाड़ कंपा देने वाली सर्दी से जिम्मेदार किस्म के किसानों पर कोई फर्क नहीं पड़ता. वे तो अपना गमछा व कंबल ओढ़े लगातार खेतों की खैरखबर लेते रहते हैं, उन्हें सींचते हैं और सफाई वगैरह का खयाल रखते हैं.

आइए डालते हैं एक पैनी नजर दिसंबर में होने वाली खेतीकिसानी संबंधी तमाम गतिविधियों पर :

* पिछले यानी नवंबर महीने की खास मुहिम थी गेहूं की बोआई, तो अब नंबर आता है गेहूं के खेतों की देखभाल का. अगर गेहूं की बोआई को 3 हफ्ते हो चुके हों तो फौरन खेतों की पहली सिंचाई का काम निबटा दें.

* सिंचाई के अलावा इस दौरान उग आए खरपतवारों को भी निराईगुड़ाई कर के निकाल दें. गेहूंसा नाम के खरपतवार के खात्मे के लिए आइसोप्रोट्यूरान दवा का इस्तेमाल करें. अगर चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों का असर नजर आए तो 2-4 डी सोडियम साल्ट का इस्तेमाल करें. इन कैमिकल दवाओं का इस्तेमाल बोआई के 4 हफ्ते बाद करना ही ठीक रहता है, इस से पहले खुरपी की मदद से ही खरपतवार निकालें.

* आमतौर पर ज्यादातर किसान नवंबर में ही गेहूं की बोआई का काम खत्म कर देते हैं, मगर किसी वजह से गेहूं की बोआई बाकी रह गई हो, तो उसे पक्के तौर पर दिसंबर के दूसरे हफ्ते तक यानी 15 दिसंबर के आसपास तक जरूर कर दें.

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