सफेद मक्खी के प्रकोप से नरमा फसल तबाह

भिवानी (हरियाणा) : सूबे के किसानों की कपास की फसल पर सफेद मक्खी ने कहर बरपा रखा है. इन सफेद मक्खियों पर दवाओं का असर भी बेअसर हो रहा है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर इस बार इन सफेद मक्खियों का प्रकोप नहीं थमा तो इस का असर अगले वर्ष भी रहेगा. दूसरी तरफ नरमा किसान फसल के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार से मुआवजे की मांग को ले कर उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि 1 एकड़ में नरमा फसल पैदा करने में 30-35 हजार रुपए का खर्च होता है. ऐसे हालात में फसल बरबादी के मुहाने पर है और सरकार चुप है. कृषि विभाग और सरकार को फसल में हुए नुकसान की भरपाई करनी चाहिए. वहीं प्रदेश के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ का कहना है कि किसानों का कहना सही है. सरकार इस मामले को ले कर चिंतित है और इस के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अकेले भिवानी जिले में 62 हजार 700 हेक्टेयर भूमिपर कपास की बिजाई की गई है. उन का यह भी कहना है कि पिछले साल भी सफेद मक्खी ने नरमा फसल को नुकसान पहुंचाया था और इस बार भी सफेद मक्खी कहर बरपा रही है. तकरीबन 30 फीसदी नुकसान अब तक हो चुका है.

इस बारे में माहिरों का कहना है कि किसान अपनी फसल पर सफेद मक्खी से बचाव के लिए 2-3 बार दवाओं का स्प्रे कर चुके हैं, लेकिन फायदा नहीं हुआ. फसल चौपट हुई जा रही है. ऐसी हालत में बेहतर होगा कि किसान महंगे कीटनाशकों की बजाय डेमोथेरट्स, रोगोर या मेटासिसटोन को नीम की दवा के साथ मिला कर फसल पर स्प्रे करें. उन्होंने बताया कि यह सफेद मक्खी एक बार में सौ से सवा सौ अंडे देती है. यह तेजी से फसल को नुकसान पहुंचाती है. अगर कीटनाशक दवाओं से सफेद मक्खी की रोकथाम न की गई तो फसल को काफी नुकसान होगा. सफेद मक्खी के प्रकोप से फसल के पत्तों पर काला पाउडर जमा हो जाता है, नतीजतन पत्ते काले हो कर खराब होने लगते हैं, पौधों की बढ़वार रुक जाती है और फल भी कम आते हैं. इसलिए सफेद मक्खी से फसल का बचाव करने में किसान लापरवाही न करें.    

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