भरतपुर जिले की भरतपुरबयाना सड़क पर गांव पना के पास कमल मीणा परिवार ने अपने 16 बीघा खेत यानी फार्महाउस में विभिन्न प्रकार के फल व फूलदार पौधे, औषधीय व सब्जियों और खाद्यान्नों की फसलें लगा कर किसानों के लिए समन्वित खेती का बेहतरीन उदाहरण सामने रखा है.

उन्होंने अपने खेत में कैमिकल खाद व कीटनाशक दवाओं के बजाय प्राकृतिक विधि को अपनाया है, ताकि खाद्य पदार्थों में जहरीले तत्त्व न हों.

गांव पना में कमल मीणा के इस फार्महाउस को लोग मिनी कृषि विश्वविद्यालय के नाम से अधिक जानते हैं. इस मिनी कृषि विश्वविद्यालय को रोजना दर्जनों लोग देखने आते हैं, ताकि वे इन विधियों को अपने खेतों पर अपना कर आमदनी बढ़ा सकें.

वैसे तो कमल मीणा सरकारी सेवा में हैं. जब उन्होंने सेवा के दौरान पंजाब, हरियाणा और दक्षिणी राज्यों का दौरा किया तो वहां देखा कि किसान परंपरागत खेती के स्थान पर अधिक आमदनी देने वाली औषधीय, फलफूलों व सब्जियों की खेती कर के अधिक मुनाफा कमा रहे हैं.

इसी तर्ज पर उन्होंने अपने खेतों में अधिक आमदनी देने वाली फसलें उगाने का मन बनाया, जिसे भरतपुर की लुपिन फाउंडेशन नामक स्वयंसेवी संगठन ने तकनीकी जानकारी दी और उन्नत किस्म के फल व फूलदार पौधे और खाद्यान्नों के बीज मुहैया कराए. उन्होंने अपने फार्महाउस के चारों तरफ की तकरीबन

8 फुंट ऊची दीवार बनाई, ताकि फार्महाउस में लगाई जाने वाली फसलें महफूज रह सकें.

फल व फूलदार पौधे बने अधिक आमदनी का जरीया

गांव पना के सड़क के किनारे बने कृषि फार्महाउस में कमल मीणा ने मलिहाबाद लखनऊ से ललित, कोलकाता से थाई 7, सवाई माधोपुर से बर्फखान व धवन किस्मों के अमरूद के पौधे ला कर लगाए. ये पौधे अभी डेढ़ साल के हैं. जब वे फल देने लगेंगे, तो निश्चय ही तकरीबन 5 लाख रुपए की आमदनी शुरू हो जाएगी.

इसी प्रकार उन्होंने पुष्कर से जामुन, सऊदी अरब से खजूर के पौधे मंगा कर लगाए और काजरी से बेर के रैड कश्मीरी एपल किस्मों के और नीबू के सीडलैस व कागजी किस्मों के पौधे मंगवा कर अपने फार्महाउस में लगाए.

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इस के अलावा कमल मीणा ने अपने फार्महाउस में आंवला, अनार, चीकू, शहतूत, सहजन, कचनार, अमलतास के अलावा इमारती लकड़ी व सजावटी किस्मों के सागवान, नीम, फाइकस, मछलीपाम, पाम, अर्जुन, शीशम, बांस वगैरह के पौधे लगाए हैं.

फूलदार पौधों से महका फार्महाउस

कृषि फार्महाउस में गुलाब, गेंदा, मोरपंखी, बारहमासी समेत विभिन्न किस्मों के फूलदार पौधे लगाए हैं, जिस से पूरा फार्महाउस महक रहा है. इन फूलों की बिक्री से कमल मीणा के परिवार को हर महीने तकरीबन 8,000 से 10,000 रुपए की आमदनी अलग से  हो जाती है.

जैविक सब्जियां व खाद्यान्न बिक रहे हैं अधिक दामों पर

कमल मीणा ने अपने फार्महाउस पर गेहूं की देशी किस्म के बंशी, काली मूंछ वाला, बोधका व काला प्रजाति के गेहूं और देशी किस्म के चना व मसूर की बोआई की है, वहीं सब्जियों में मिर्च, बैगन, टमाटर, गाजर, मेथी, मटर, पालक, धनिया, बथुआ, पत्तागोभी, फूलगोभी, लहसुन व प्याज के साथ गन्ना भी लगा रखा है.

इन सभी फसलों में कैमिकल खादों और कीटनाशक दवाओं के स्थान पर जैविक खाद व डाक्टर सुभाष पालेकर द्वारा विकसित की गई प्राकृतिक कृषि विधि को अपनाया है. सब्जियों और खाद्यान्न की बिक्री से उन्हें हर साल 3 लाख से 4 लाख रुपए की आमदनी हासिल हो रही है.

औषधीय सतावर की खेती से 6 लाख की हुई आमदनी

गांव पना के कमल मीणा ने अपने फार्महाउस में तकरीबन आधा एकड़ खेत में औषधीय फसल सतावर लगाई, जिन की जड़ों की बिक्री से उन्हें आसानी से 6 लाख रुपए की आमदनी हासिल हो गई. वे अपने फार्महाउस में दूसरे औषधीय पौधे भी इस साल लगाएंगे, जिस के लिए जमीन तैयार कर ली गई है.

खुद बनाते हैं प्राकृतिक कीटनाशक व जैविक खाद

‘पद्मश्री’ अवार्ड से नवाजे गए डाक्टर सुभाष पालेकर के टे्रनिंग कैंप में कमल मीणा ने प्राकृतिक खेती की तकनीकी जानकारी हासिल की. लुपिन फाउंडेशन के कृषि वैज्ञानिकों की देखरेख में कमल मीणा ने प्राकृतिक कीटनाशक जीवामृत, नीमास्त्र, अग्नि अस्त्र, दशापणी अर्क, ब्रहा्रास्त्र वगैरह तैयार किया और खुद की फसलों, फल व फूलदार पौधों पर छिड़काव करते हैं, ताकि कीटनाशक दवाओं से उत्पाद जहरीले नहीं हो सकें. कैमिकलखादों के स्थान पर उन्होंने वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करने के लिए अपने फार्महाउस पर वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगा रखी है.

खेती में आधुनिक उपकरणों का कर रहे हैं इस्तेमाल

कमल मीणा ने अपने फार्महाउस पर सिंचाई के लिए सोलर पंप सैट लगा रखा है और बूंदबूंद व फव्वारा सिंचाई पद्धति का उपयोग करते हैं, ताकि सिंचाई में पानी की बचत हो और उत्पादन बढ़ सके. इस के अलावा वे जुताई के लिए पावर टिलर, गुड़ाई के लिए हैंड हो साइकिल, ट्रिबलर वगैरह का उपयोग कर रहे हैं.

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दुधारू पशु भी आमदनी में बन रहे हैं मददगार

कमल मीणा ने अपने फार्महाउस में गिर नस्ल की गाय और मुर्रा नस्ल की भैंसें पाल रखी हैं, जिन्हें हरा चारा मुहैया कराने के लिए बरसीम व कांचनी भी अपने फार्महाउस में लगा रखी है. दूध बेचने से उन्हें हर दिन 800 से 1,000 रुपए की खालिस आमदनी हासिल हो रही है.

आउटलेट बनाएंगे फार्महाउस के बाहर

गांव पना के कमल मीणा अपने फार्महाउस के बाहर जल्दी ही आउटलेट बनाएंगे और फार्महाउस में उत्पादित सागसब्जियां, फल, फूल व दूध वगैरह को बेच सकें, ताकि लोगों को कीटनाशक व कैमिकल खाद से रहित शुद्ध उत्पाद मिल सकें.

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