आज के समय में खेती  की पैदावार बढ़ाने के लिए कैमिकल खादों और दवाओं का जम कर इस्तेमाल किया जाता है, जिस से दिनप्रतिदिन खेत की मिट्टी की सेहत खराब हो रही है और पर्यावरण को भी अच्छाखासा नुकसान पहुंच रहा है.

दवाओं और कैमिकल खादों के इस्तेमाल से आबोहवा को जहरीली होने से बचाने के लिए सुरक्षित और स्वस्थ भोजन की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए जैविक खेती एक खास विकल्प के रूप में उभरी है.

ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत की केवल 30 फीसदी खेती लायक जमीन में, जहां सिंचाई के साधन मुहैया हैं, कैमिकल खादों का उपयोग होता है और बाकी 70 फीसदी जमीन में जो कि बारिश पर निर्भर है, बहुत कम मात्रा में कैमिकल खाद उपयोग की जाती है.

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इन इलाकों में किसान जैविक खादों का उपयोग करते हैं, जो कि उन के अपने खेत या अपने घरेलू संसाधनों से मिलते हैं या उन के इलाकों में मौजूद होते हैं.

जीवाणु खाद जैविक खेती का एक अहम हिस्सा है. जीवाणु खाद एक विशेष या लाभदायक जीवाणुओं के समूह की बड़ी आबादी है, लाखों की तादाद में इन को एक खास तरीके में मिलाया जाता है, जिन्हें पौधों की जड़ों पर या मिट्टी में डालने से इन की क्रियाओं द्वारा पोषक तत्त्व पौधों को आसानी से मिल जाते हैं और जमीन में जरूरी जीवाणुओं की तादाद बढ़ती है. इस से जमीन की सेहत में सुधार होता है और खेती के लिए अनेक फायदेमंद जरूरी तत्त्वों में सुधार करता है.

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