बचपन में हमेशा शहद खाने की जिद करने वाली बच्ची आज मधुमक्खीपालन कर के शहद के कारोबार में अपना खूंटा गाड़ चुकी है. ‘हनी गर्ल’ के नाम से मशहूर हो चुकी अनीता की कामयाबी की कहानी एनसीईआरटी की चौथी क्लास की किताब ‘इनवायरमेंटल स्टडीज आफ लुकिंग अराउंड’ के जरीए बच्चों को पढ़ाई जा रही है. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बोचहा प्रखंड के पिछड़े गांव पटियासी में अनीता का जन्म हुआ था. बचपन में बकरी चरा कर कुछ पैसे कमा कर अपने परिवार की मदद करने वाली अनीता को 14-15 साल की उम्र में ही यह महसूस होने लगा था कि इस तरह से उन के परिवार की जिंदगी की गाड़ी नहीं चल सकती. स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही अनीता ने गरीब बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया. उस से होने वाली कमाई से वे अपनी पढ़ाई के साथसाथ घर की जरूरतों को भी पूरा करने लगीं. शहद के प्रति दीवानगी ने उन्हें साल 2002 में शहद का रोजगार करने की राह दिखाई.

मधुमक्खी के 2 बक्से खरीद कर अनीता ने अपना करोबार शुरू किया. उन के पिता जनार्दन सिंह ने उन का पूरा साथ दिया और आज वे अपनी बिटिया की कामयाबी को देख फूले नहीं समाते हैं. अनीता बताती हैं कि ‘अनीता महिला किसान क्लब’ बना कर वे मधुमक्खीपालन में 400 से ज्यादा महिलाओं को जोड़ चुकी हैं. सभी जीतोड़ मेहनत कर के बिहार में शहद उत्पादन को नई दिशा देने में लगी हुई हैं. मधुमक्खीपालन के कारोबार को बढ़ाने के लिए नई तकनीक को अपनाना जरूरी था, इस के लिए उन्होंने समस्तीपुर जिले के राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (पूसा) से मधुमक्खीपालन की ट्रेनिंग ली. मेहनत और लगन की वजह से उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से सर्वश्रेष्ठ मधुमक्खीपालक का अवार्ड भी मिला था.

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