अम्मान : आने वाले वक्त में खेती के लिए भारत की उर्वरक जरूरतें जार्डन से पूरी की जाएंगी. यह फास्फेट की कमी से जूझ रही भारतीय कृषि के लिए बहुत राहत देने वाली बात?है. जार्डन द्वारा भारत की फास्फेट जरूरतों को पूरा करने के लिए वहां दुनिया के सब से बड़े फास्फोरिक अम्ल संयंत्र का आगाज हो चुका है. पश्चिम एशिया के 6 दिनों के दौरे की शुरुआत में जार्डन पहुंचे भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और जार्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने मिल कर इस संयंत्र का उद्घटन किया. यह संयंत्र भारतीय सहकारी उर्वरक कंपनी इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टीलाइजर्स कोआपरेटिव लिमिटेड) के सहयोग से जेपीएमसी (जार्डेनियन फास्फेट माइंस कंपनी) ने बनाया है. अम्मान से 325 किलोमीटर दूर स्थित इशीदिया शहर में बने इस संयंत्र की बुनियाद साल 2007 में रखी गई थी. इस बात का यकीन दिलाया जा रहा?है कि इस संयंत्र के चालू होने से?भारत की कृषि क्षेत्र की तमाम उर्वरक से जुड़ी जरूरतें पूरी हो सकेंगी. इस संयंत्र में बनने वाले फास्फोरिक एसिड का जार्डन के अकाबा बंदरगाह से गुजरात के कांडला बंदरगाह को निर्यात किया जाएगा. 860 मिलियन डालर यानी करीब 56 अरब रुपए की लागत से बने इस संयंत्र में इफको का आधे से ज्यादा यानी 52 फीसदी हिस्सा है.

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और शाह अब्दुल्ला ने जब इस संयंत्र का उद्घाटन किया तो उसे अल हुसैनिया महल में बड़े स्क्रीन पर देखा गया. इस उद्घाटन समारोह से पहले जार्डन की राजधानी अम्मान पहुंचने पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जार्डन के शाह अबदुल्ला ने तहे दिल से जोरदार स्वागत किया. आधुनिक विचारों वाले शांत मिजाज अरब मुल्क जार्डन में दूसरे अरब देशों की तरह तेल का भंडार नहीं है, मध्यपूर्व के इस देश की अर्थव्यवस्था खनिज पर टिकी है. फास्फेट इस का खास उत्पाद है. इसीलिए भारत की इफको कंपनी ने जार्डन के साथ मिल कर फास्फेट के उत्पादन के लिए ‘जिफको’ नामक कंपनी का गठन किया?है. बहरहाल, इफको का यह नया कदम भारतीय खेती में नया मोड़ ला सकता है.  

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