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रिश्तों का सच
रवि सोच रहा था, इतनी अच्छी तरह से तो वह घर में भी कभी नहीं मिली थी. ‘‘किस सोच में डूब गए?
भाग - 1
कुछ संबंध ऐसे होते हैं जिन्हें बनाना पड़ता है. ननदभाभी का रिश्ता जो दीदी और चंद्रिका के बीच था, कुछ ऐसा ही था. बात कुछ खास नहीं थी, फिर भी उसे गंभीर बना कर दोनों ने अपने रिश्ते को उलझा दिया था. क्या दोनों के मन की गांठें कभी खुल सकीं?
भाग - 2
रवि की तेज नजरों ने देख लिया था कि सभी चीजें दीदी की पसंद की ही बनी हैं. वास्तव में वह मन ही मन पछता भी रहा था.
भाग - 3
खाने की मेज पर भी रवि कम बोल रहा था. चंद्रिका ही आग्रह करकर के दीदी को खिला रही थी. हर बार चंद्रिका के अबोलेपन की स्थिति से शायद माहौल तनावयुक्त हो उठता था.
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