युवतियों को मिलने वाले हकों ने अब एक अनयूजुअल सिचुएशन पैदा कर दी है. उदाहरण है आम आदमी पार्टी का आदेश कि उस का कोई एमएलए किसी युवती से अकेले में और दफ्तर के समय के बाद नहीं मिलेगा. उस के 2 विधायकों पर महिलाओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें मोलैस्ट किया गया है. एमएलए दिनेश मोहनिया को 6 दिन बाद जमानत मिली और प्रकाश जरवल के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है.
यह रिऐक्शन युवतियों की आजादी को खतरा है. वीमन हैरेस्मैंट के केस जिस तरह दायर किए जा रहे हैं इन से महिलाओं को स्वतंत्रता मिलेगी या नहीं कहा नहीं जा सकता, लेकिन उन्हें अपना साथी ढूंढ़ने में मुश्किल जरूर होने लगेगी. किसी भी स्मार्ट, यंग लड़की का हक है कि वह अपनी पर्सनैलिटी का इस्तेमाल अपने मनसूबों को पाने में करे. आखिर शादी में भी तो ऐसा ही होता है. तो कैरियर में यदि पर्सनैलिटी का भरपूर उपयोग हो, तो हर्ज क्या है?
पर अगर माहौल ऐसा बन जाए कि हर युवक या आदमी उसे लगे कि किसी यंग स्मार्ट की स्माइल कल को खंजर बन कर उस के जीवन के सुखों की हत्या कर देगी, तो क्या होगा? हर स्मार्ट युवा लड़की को देख कर वह दूर हो जाएगा. यदि वह पास नहीं आएगा तो कैसे दोस्ती बढ़ेगी, कैसे प्रेम होगा, कैसे सैक्स, विवाह या दूसरे मतलब सिद्ध होंगे.
ज्यादातर वीमन हैरेस्मैंट के मामलों में पहले युवतियों की कंसैंट होती है. वे यदि चाय पर चलने को तैयार हो जाएं बिना किसी खास वजह के, तो उसे दोस्ती नहीं, आगे कुछ करने का इनविटेशन ही माना जाएगा. पर यदि हजारों में से एकदो ने भी इनविटेशन को ऐक्सैप्ट कर के बाद में उस व्यक्ति के खिलाफ पुलिस कंप्लेंट कर दी, तो बाकी हजारों भी डर जाएंगे.
जेंडर इक्वैलिटी का मतलब यह भी है कि जेंडर मिक्सिंग आराम से हो. युवकयुवतियां खुल कर साथसाथ काम करें, मजाक करें. चाय पीएं, पिकनिक पर जाएं और रजामंदी और चाहत हो तो बिस्तर तक जाएं. नैतिकता का तकाजा है कि जब दोनों की बहुत हद तक सहमति है तो किसी पौइंट पर उस सहमति को जोरजबरदस्ती न समझा जाए.
विकिलीक्स के जूलियन असांजे 2-3 साल से अपने ही जेल में लंदन स्थित इक्वाडोर की ऐंबैसी में रह रहे हैं, क्योंकि यदि वे बाहर आए तो स्वीडन और अमेरिका के कहने पर पुलिस उन्हें पकड़ कर इन देशों को सौंप देगी. जूलियन असांजे का दोष यह था कि वे अपनी गर्लफ्रैंड के घर में रहते हुए बिस्तर पर तब भी सैक्स करने से नहीं रुके जब बीच में गर्लफ्रैंड ने मना कर दिया, दोनों में गंभीर झगड़ा हुआ और गर्लफ्रैंड ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी. स्वीडन का कानून भारत के कानून से सख्त है. वैसे भी दुनिया भर की सरकार विकिलीक्स के भंडाफोड़ से परेशान थी और उन्होंने किसी तरह जूलियन असांजे से छुटकारा पाने के लिए इस शिकायत का भरपूर उपयोग किया.
यही हमारे यहां हो रहा है. वीमन सैल महिलाओं के लिए मर्दों को परेशान करने का टूल बन रहे हैं. ठीक है इस से गर्ल्स की सेफ्टी बढ़ी है पर साथ ही अब डर भी बैठने लगा है कि न जाने आज प्रेम का ऐक्सप्रैशन करने वाली कल जेल का प्रैशर बना दे.
मेलफीमेल संबंध कंसैंट और फेथ पर तय होने चाहिए न कि सोसायटी के रूल्स या कानूनों के बल पर. अगर ऐसा हुआ तो मेलफीमेल फिर बंट जाएंगे. दफ्तरों, बसों, कक्षाओं, बागबगीचों व अकेले में साथ रहने पर युवकों को डर लगेगा और वे भागेंगे और नुकसान युवतियों को ज्यादा होगा.
यह सोचना कि कानून के बल पर सोसायटी में बदलाव लाया जा सकता है एक गलतफहमी है. कानून तो जब झगड़ा हो तो बीच में आता है. उस से पहले का बिहेवियर सोसायटी को खुद तय करना होगा.
रेव पार्टियों में खुलेआम डांस, हगिंग, सैक्स पर कुछ लोग औब्जैक्ट करें पर ये असल में युवकयुवतियों को बराबरी का हक देती हैं. अगर फीमेल प्रोटैक्शन कानून ज्यादा जोरजबरदस्ती से लागू किया गया तो पता चलेगा ओनली मेल रेव पार्टियां हो रही हैं, जिन में केवल बाजारू पेशेवर युवतियों को बुलाया जाएगा जिन से डर न हो.