प्रेममें सबकुछ जायज हो सकता है पर प्रेम से पहले युवती को फुसलाने के लिए जोरजबरदस्ती, धमकी, छींटाकशी, मारपीट, तेजाब फेंकना, बदनामी करना, वीडियो बनाना न प्रेम है न सफल प्रेम की शुरुआत, पर कम से कम हमारे देश में यह उत्तर से दक्षिण तक कौमन है. हमारे यहां सहमी, डरी, दुबकी युवतियों को बात करने और दोस्ती करने के लिए राजी करने के लिए सबकुछ जायज मान लिया जाता है.
जब कोई अनजान, अनचाहा युवक पीछा करने लगे और दोस्त बनाने की पेशकश करने लगे तो युवती को जिस तनाव से गुजरना पड़ता है, यह बयान करना आसान नहीं है. चलतेफिरते दोस्ती हो जाए, पड़ोसी हो, सहकर्मी हो, सहपाठी हो तो दोस्ती करने में आनंद आता है, चाहे वह प्रेम में बदले या न बदले पर जब युवक पीछा करते, सीटियां बजाते, घर के आगे लटक कर दोस्ती पर जोर डाले तो दहशत हो जाती है.
दिल्ली के एक स्कूल की 12वीं कक्षा की छात्रा को दोस्ती करने के लिए मजबूर करने वाला एक युवक पुलिस से शिकायत करने पर गिरफ्तार किया गया पर इस से होगा क्या? ज्यादा से ज्यादा मारपीट कर उसे दोचार रोज जेल में बंद कर के छोड़ दिया जाएगा. अगर वह आसपास कहीं रहता होगा तो सदा ही संकट बना रहेगा.
हमारे यहां युवतियों के प्रति इतनी अधिक कुंठा और सैक्स फ्रस्ट्रेशन है कि हर लड़का मानो पगलाया हो. समाज एक तरफ तो युवतियों को ताले में बंद कर रखता है और दूसरी ओर युवक को मर्दानगी दर्शाने के लिए उकसाता है. चालू जबान में सैक्स भरे वाक्य ऐसे उछाले जाते हैं मानो वे गांधी या लेनिन के विचार हों.
समाज इतना दोगला है कि अपने घर की युवतियों को तो ले कर तो वह बेहद संकुचित है पर युवकों को छुट्टे सांड़ की तरह छोड़ देता है. उसी घर में दोहरा मानदंड चलता है. दोगलापन असल में सोच के अभाव का परिणाम है. हमारे यहां बंधीबंधाई लीक पर चलने की इतनी आदत है कि हम तर्क और व्यावहारिकता के बारे में सोच ही नहीं सकते. पंडों, पादरियों और मुल्लाओं के चक्कर में पड़ कर अपने को शुद्ध समझने वाले हमारे समाज में असल में विकृति ही भरी है जो हर कोने पर दिखती है. युवतियों पर खुद को थोपने की वजह भी यही है.
इस का इलाज पुलिस का डंडा नहीं क्योंकि पुलिस वाले तो हर युवती को वेश्या मान कर चलते हैं जो उन्हें बिना पैसा लिए सुख दे. इस का इलाज तो घरों में है पर घरों में न पहले और न अब यह पाठ पढ़ाया जा रहा है कि लड़कियों से छेड़खानी मंहगी पड़ती है और कब यह मारपीट में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता. घरों को शराफत सीखनी होगी वरना प्रेम भी समाप्त होगा और आजादी भी.